
Echoes Of Ink
June 14, 2025 at 09:55 AM
अहमदाबाद विमान हादसे के मृतकों को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि
कल नभ में जो चीख उठी थी, आज धरा क्यों मौन है?
अहमदाबाद की धरती पर, यह क्रंदन करता कौन है?
लोहे का पंछी उड़ चला, सपनों का ले भार था,
पल में अग्नि में भस्म हुआ, कैसा यह संहार था।
कोई घर को लौट रहा था,
कोई करने काम चला,
लेकर मन में लाख योजना, जीवन का संग्राम चला।
बच्चों की किलकारी थी, माँ-बाप की उम्मीदें थीं,
मेहँदी वाले हाथ थे,
राखी की कुछ रस्में थीं।
एक झटके में छूटा सब,
छूटा जग-संसार भी,
अधूरी रह गईं बातें,
अधूरा रह गया प्यार भी।
चीखों का वो शोर भयावह, गूँजा होगा व्योम में,
हर एक साँस तड़प उठी,
उस अग्नि-तप्त लोक में।
आँखों में आँसू का सागर,
दिल में केवल हूक है,
नियति! बता तेरी यह कैसी, निर्मम भारी चूक है।
जो गए उन्हें हम नमन करें,
दें श्रद्धांजलि आज सब,
उनकी आत्मा को शांति दे,
हे करुणामय! हे प्रभु!
उनके प्रियजन जो पीछे हैं, उन्हें कहाँ से धीर मिले,
टूटे हुए हृदयों को कैसे,
संबल की जागीर मिले।
यादों में वे जीवित रहेंगे,
बन कर एक कहानी अब,
अहमदाबाद की यह पीड़ा, भूल न पाएगा जग अब।
~ *अज्ञात*