सद्गुरुवाणी
सद्गुरुवाणी
June 11, 2025 at 05:00 AM
*अपने आप कर्म का बंध नहीं होता।* _*परिणामों* को उज्जवल बनाने के लिए *देव, गुरु और शास्त्र* को यदि हम अपने *उपयोग का विषय* बनते हैं। तो बहुत ही आसानी से *कर्मों से बचा* जा सकता है।_ - आचार्य श्री समयसागर जी - 24/3/25, कुंडलपुर सिद्धक्षेत्र - (6.31 से 7.46 तक) *पूरा प्रवचन-* https://youtu.be/hyvnmzhPimw?si=SWE3W193rKD08diO 🪔🪔🪔 कर्मों का संश्लेषण होना, आत्मा से फिर उनका स्व-पर कारणवश विश्लेषण होना, *ये दोनों कार्य* *आत्मा की ही* *ममता-समता-परिणति पर* *आधारित हैं।* - _मूकमाटी :: १५, १६_ - _आचार्य श्री विद्यासागर जी_

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