
सद्गुरुवाणी
June 15, 2025 at 03:45 PM
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कल्याण में जगत के रत सर्वदा हैं,
हो के निमित्त हरते जग आपदा है।
चौंतीस सातिशय चौसठ चामरों से,
शोभे जिनेश नित वन्द्य नरामरों से
॥२९॥
📘 *दर्शन पाहुड* 📘
आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज
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