Sanatan Dharma 🚩 (धर्म, संस्कृति और आध्यात्म)
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June 19, 2025 at 08:48 AM
*गरुड़ पुराण का यह दिव्य मंत्र बना सकता है आपको धन-समृद्धि का अधिकारी करें नियमित जप और देखें चमत्कार!* 🔹विधि विधान अनुसार बता रहा हूँ... हिंदू धर्म में ज्यादातर लोग गरुड़ पुराण का पाठ किसी की मृत्यु के बाद कराते हैं, और यही समझते है कि गरुड़ पुराण केवल इसी लिए है किंतु ये सत्य नहीं गरुड़ पुराण बहुत से ऐसे दिव्यों मंत्रों से भरा पड़ा है जिसकी कोई सीमा नहीं। इसका पाठ करने से मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को सद्गति प्राप्त ही होती है, किंतु जीवन में और भी दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है। सनातन धर्म में गरुड़ पुराण को विशेष दर्जा दिया गया है. इसे महापुराण कहा जाता है और इसके अधिष्ठातृ देव विष्णु हैं. हिंदू धर्म में ज्यादातर लोग गरुड़ पुराण का पाठ किसी की मृत्यु के बाद कराते हैं, क्योंकि ऐसा करने से मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को सद्गति प्राप्त होती है। चूंकि इसमें मृत्यु और मृत्यु के बाद की तमाम स्थितियों का वर्णन किया गया है, इसलिए तमाम लोगों का मानना है कि गरुड़ पुराण को सिर्फ किसी की मृत्यु के बाद ही सुनना चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं है, ये सिर्फ एक भ्रांति है. गरुड़ पुराण को कभी भी सुना जा सकता है। गरुड़ पुराण में एक ऐसा मंत्र बताया गया है जिसे यदि सिद्ध करके मृत व्यक्ति के कान में फूंक दिया जाए तो उसके शरीर में फिर से प्राण वापस आ सकते हैं। मंत्र है – *यक्षि ओम उं स्वाहा*, ये सत्य है ऐसा होता है किंतु ये भी सत्य है मंत्र बोलने वाले को मंत्र सिद्धि होनी चाहिए, यम नियम सबका पालन अनिवार्य है। अपितु कोई भी मंत्र बोल कर किसी को जीवत नहीं कर सकता। इस मंत्र को सिद्ध करने के अलावा इसके प्रयोग के बाद के भी कुछ नियम बताए गए हैं. पूरे नियमों को जानने के बाद ही किसी जानकार के मार्गदर्शन में संजीवनी मंत्र का प्रयोग करना चाहिए। *गरीबी (दरिद्रता) दूर करने का मंत्र* गरुड़ पुराण में गरीबी दूर करने के लिए विशेष मंत्र बताया गया है ऐसी मान्यता है कि इस मंत्र के जाप से कुछ ही समय में गरीबी दूर हो जाती है और व्यक्ति धनवान हो जाता है, गरीबी दूर करने का मंत्र – *ॐ जूं स:* गरुड़ पुराण में श्रीविष्णु सहस्त्रनाम की महिमा का वर्णन है. कहा जाता है कि यदि छह माह तक कोई व्यक्ति इस पाठ को करे तो उसके जीवन की हर बाधा दूर हो सकती है और उसकी कोई भी मनोकामना पूरी हो सकती है। *“ॐ जूं स:”* यह एक अत्यंत शक्तिशाली बीज मंत्र है जो तांत्रिक साधना में उपयोग होता है। यह मंत्र आमतौर पर दारिद्र्य (गरीबी), बाधा, शत्रु, और नकारात्मक शक्तियों को दूर करने के लिए जपा जाता है। इसमें मुख्यतः “जूं” बीज शब्द है, जो अग्नि तत्व और रक्षण ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। 🔱 “ॐ जूं स:” मंत्र की जप विधि- 1. समय सबसे उपयुक्त समय प्रातः ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) या रात्रि 9 बजे के बाद। विशेष रूप से शनिवार और मंगलवार को जप अधिक प्रभावकारी माना जाता है। 2. स्थान एक शांत, पवित्र और एकांत स्थान चुनें। पूजास्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और दीपक जलाएं। 3. आसन लाल या काले रंग के आसन पर बैठें। (कुश का आसन भी शुभ होता है।) मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें। 4. संकल्प (Sankalp) पहले ध्यान कर भगवान विष्णु या अपने इष्ट देवता का स्मरण करें। फिर हाथ में जल लेकर यह संकल्प लें “मैं अमुक कार्य के लिए, अमुक संख्या में इस मंत्र का जप कर रहा हूँ। कृपा कर सिद्धि प्रदान करें।” 5. मंत्र जप मंत्र “ॐ जूं स:” कम से कम 108 बार (1 माला) प्रतिदिन जप करें। अगर विशेष लाभ चाहते हैं तो 11,000 या 21,000 जप संकल्प लें (अनुष्ठान में)। 6. माला रुद्राक्ष माला या लाल चंदन की माला का उपयोग करें। 7. ध्यान/भावना मंत्र जप करते समय यह भावना रखें कि हर जप के साथ नकारात्मकता जल रही है और सुख-समृद्धि प्रवेश कर रही है। फल (Benefits) दारिद्र्य, दरिद्रता और आर्थिक संकट दूर होते हैं। घर में नकारात्मकता, तंत्र बाधा, और शत्रु बाधा समाप्त होती है। आत्मबल, रक्षण ऊर्जा और मनोबल बढ़ता है। ॐ नमः पार्वती पतये हर हर महादेव 🔱🙏
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