दीन सिखाओ बेटी बचाओ
दीन सिखाओ बेटी बचाओ
May 30, 2025 at 11:50 PM
*क़ुर्बानी का बयान👇* सवाल--- क़ुर्बानी करना किस पर वाजिब है, जवाब--- क़ुर्बानी करना हर मालिके निसाब पर वाजिब है, सवाल--- क़ुर्बानी का मालिके निसाब कौन है, जवाब--- क़ुर्बानी का मालिके निसाब वो शख़्स है जो साढ़े बावन (52.5) तोला चांदी या साढ़े सात (7.5) तोला सोना या इनमें से किसी एक की क़ीमत का सामाने तिजारत या सामाने ग़ैर तिजारत का मालिक हो, या इनमें से किसी एक की क़ीमत भर के रुपया का मालिक हो और ममलूका चीजें हाजते असलिया से ज़ाइद हों, (यानी जिन चीजों का मालिक है वो चीजें असली ज़रूरत से ज़्यादा हों) सवाल--- मालिके निसाब पर अपने नाम से जिंदगी में सिर्फ़ एक मर्तबा क़ुर्बानी करना वाजिब है या हर साल, जवाब--- अगर हर साल मालिके निसाब है तो हर साल अपने नाम से क़ुर्बानी वाजिब है और अगर दूसरे की तरफ़ से भी करना चाहता है तो उसके लिए दूसरी क़ुर्बानी का इंतज़ाम करें, सवाल--- क़ुर्बानी करने का तरीक़ा क्या है, जवाब--- कुर्बानी करने का तरीक़ा ये है के जानवर को बाएं पहलू पर इस तरह लिटाएं के मुंह उसका क़िब्ला की तरफ़ हो और अपना दायां पांव उसके पहलू पर रखकर तेज़ छुरी लेकर ये दुआ पढ़े👇 اني وجهت وجهى للذى فطر السموات والارض حنيفا وما انا من المشركين، ان صلاتى و نسكى ومحياى ومماتى لله رب العالمين لا شريك له وبذلك امرت وانا من المسلمين اللهم منك و لك بسم الله الله اكبر، इन्नी वज्जह्तू वज्हिया लिल्लज़ी फ़तरस्समावाती वल अर्दा हनीफ़व वमा अना मिनल मुशरिकीन, इन्ना सलाती व नुसुकी वमह'याया व ममाती लिल्लाही रब्बिल आलमीना ला शरीका लहू व बि ज़ालिका उमिर्तू व अना मिनल मुसलिमीन, अल्लाहुम्मा मिन्का व लका बिस्मिल्लाही अल्लाहु अकबर, पढ़ कर ज़िबह करें फिर ये दुआ पढ़ें👇 اللهم تقبل منى كما تقبلت من خليلك ابراهيم عليه الصلاة والسلام و حبيبك محمد صلى الله تعالى عليه وسلم، अल्लाहुम्मा तक़ब्बल मिन्नी कमा तक़ब्बलता मिन ख़लीलिका इब्राहीमा अलैहिस्सलातू वस्सलामू व हबीबिका मुहम्मदिन सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम, अगर दूसरे की तरफ़ से क़ुर्बानी करे तो *मिन्नी* के बजाय *मिन* कहकर उसका नाम ले, सवाल--- साहिबे निसाब अगर किसी वजह से अपने नाम क़ुर्बानी ना कर सका और क़ुर्बानी के दिन गुज़र गए तो उसके लिए क्या हुक्म है, जवाब--- एक बकरी की क़ीमत उस पर सदक़ा करना वाजिब है 📚बहारे शरीअत, सवाल--- क्या क़ुर्बानी के चमड़े को अपने काम में ला सकता है, जवाब--- कुर्बानी के चमड़े को बाक़ी रखते हुए अपने काम में ला सकता है मसलन मुसल्ले बनाए या मश्कीज़ा वग़ैरह, मगर बेहतर ये है के सदक़ा कर दे मस्जिद या दीनी मदरसे को दे दे या किसी ग़रीब को, 📚बहारे शरीअत, सवाल--- क्या मस्जिद के लिए कुर्बानी का चमड़ा देना जाइज़ है, जवाब--- हां मस्जिद के लिए कुर्बानी का चमड़ा देना जाइज़ है और बेचकर उसकी क़ीमत देना भी जाइज़ है लेकिन अगर चमड़े को अपने खर्च में लाने की नियत से बेचा तो अब उसकी क़ीमत को मस्जिद में देना जाइज़ नहीं, 📗अनवारे शरीअत, ब हवाला. 📚किफ़ायह)

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