
Rajadhiraj Shri Kameshwar Maharaj
June 18, 2025 at 04:51 AM
*शुभ बुुधवार-शुभ आषाढ़ कृष्ण मासिक शीतला सप्तमी/ काल भैरवाष्टमी*
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*वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:।*
*निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा॥*
भावार्थ- हे हाथी के जैसे विशालकाय जिसका तेज सूर्य की सहस्त्र किरणों के समान है। बिना विघ्न के मेरा कार्य पूर्ण हो और सदा ही मेरे लिए शुभ हो ऐसी कामना करते हैं।
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*नमामि देवं सकलार्थदं तं सुवर्णवर्णं भुजगोपवीतम्ं।*
*गजाननं भास्करमेकदन्तं लम्बोदरं वारिभावसनं च॥*
भावार्थ- मैं उन भगवान् गजानन की वन्दना करता हूं, जो समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाले हैं, सुवर्ण तथा सूर्य के समान देदीप्यमान कान्ति से चमक रहे हैं। वे सर्पका यज्ञोपवीत धारण करते हैं, एकदन्त हैं, लम्बोदर हैं तथा कमल के आसनपर विराजमान हैं..
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*गजाननंभूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं।*
*उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥*
*वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:।*
*निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा॥*
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*परोक्षे कार्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम्।*
*वर्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम्।।*
अर्थात् पीठ पीछे कार्य को नष्ट करने वाले तथा सम्मुख प्रिय (मीठा) बोलने वाले मित्र का उसी प्रकार त्याग कर देना चाहिए, जिस प्रकार मुख पर दूध लगे विष से भरे घड़े को छोड़ दिया जाता है।
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*अग्निशेषमृणशेषं शत्रुशेषं तथैव च ।*
*पुन: पुन: प्रवर्धेत तस्माच्शेषं न कारयेत् ॥*
अर्थात्
यदि कोई आग, ऋण, या शत्रु अल्प मात्रा अथवा न्यूनतम सीमा तक भी अस्तित्व में बचा रहेगा तो बार बार बढ़ेगा ; अत: इन्हें थोड़ा सा भी बचा नही रहने देना चाहिए । इन तीनों को सम्पूर्ण रूप से समाप्त ही कर डालना चाहिए ।
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*आपको और समस्त स्वजनों को आषाढ़ कृष्ण सप्तमी/अष्टमी विक्रम संवत २०८२ तदनुसार दिनांक 18 जून 2025 ईस्वी " बुधवार "मासिक शीतला सप्तमी और काल भैरवाष्टमी " की हार्दिक शुभकामनाएं और कोटि-कोटि अभिनन्दन*
*आपके दिवस वर्ष मंगलमय हों*
*सादर सुप्रभातवन्दनम्*
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