
🕉️🇮🇳 वंदेमातरम्🚩🚩🇮🇳🇮🇳
June 20, 2025 at 02:59 AM
पिछले कुछ दिनों में इजरायल ने ईरान में कई परमाणु सुविधाओं पर हमले किए हैं, लेकिन फोर्डो ईंधन संवर्धन संयंत्र, जो एक अत्यधिक संरक्षित स्थल है, अभी भी सुरक्षित है। यह संयंत्र एक पहाड़ के नीचे स्थित है और जमीन में करीब 300 फीट गहराई में बना है।जहाँ हाई-ग्रेड यूरेनियम पर काम चलता है।
इसे हवाई हमलों से बचाने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह इजरायल के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
लेकिन दिक्कत ये है कि इजरायल के पास इतने गहरे बंकर तोड़ने वाले बम नहीं हैं। वो GBU-57 जैसे सुपर-बम सिर्फ अमेरिका के पास हैं, जो B-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स से गिराए जा सकते हैं। इसीलिए ऑपरेशन में देरी हो रही है।
इजरायल और अमेरिका का असली मकसद है ईरान के सबसे सुरक्षित परमाणु ठिकाने, फोर्डो, को नेस्तनाबूद करना। अमेरिका हर कदम सोच-समझकर उठा रहा है, क्योंकि ये हमला सिर्फ सैन्य नहीं, बल्कि भूराजनीतिक भूचाल भी ला सकता है।
ट्रम्प और ISI चीफ आसिम मुनीर की गुप्त मुलाकात कोई साधारण वाकया नहीं। ट्रम्प ने उन्हें वॉशिंगटन में लंच पर बुलाया—ये पहली बार हुआ है। इसके पीछे बड़ा इशारा है: अमेरिका, पाकिस्तान के रास्ते ईरान पर दबाव बनाना चाहता है। क्योंकि चीन, CPEC के जरिए ईरान को गुप्त सैन्य मदद दे सकता है।
लंबे वक्त का लक्ष्य सिर्फ फोर्डो को खत्म करना नहीं, बल्कि ईरान की पूरी तानाशाही को उखाड़ फेंकना है। अगर सिर्फ फोर्डो नष्ट हुआ और शासन वही रहा, तो खामनेई का वारिस फिर से वही खतरनाक परमाणु प्रोग्राम चालू कर देगा। इसलिए असली मकसद है: ईरान में जनतांत्रिक सरकार लाना। जब तक ये नहीं होता, न इजरायल सुरक्षित होगा, न पश्चिम एशिया में स्थिरता आएगी। फोर्डो तो बस पहला कदम है—असली लड़ाई ईरान की सत्ता का चेहरा बदलने की है। और जब तक ये नहीं बदलता, इजरायल का मिशन अधूरा रहेगा।
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