Niraj Cyber Cafe
June 15, 2025 at 04:59 AM
"लाइब्रेरी खोला था उम्मीद से, आज वही उम्मीदें बोझ बन गई हैं... मधुबन अभी लाइब्रेरी के लायक नहीं है — यहां की तरक्की बस कागज़ों तक सीमित है.
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