Bolatee Kalam
Bolatee Kalam
June 10, 2025 at 05:59 AM
*किसी ने EGO को बहुत खूबसूरती से* *परिभाषित किया है,* *बस इतनी सी बात समंदर को खल गई,* *एक कागज की नाव मुझपे कैसे चल गई..!*
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