🌾Kisan Chennal🪴
June 16, 2025 at 12:29 AM
*📍मूंगफली फसल में कालर रोट बीमारी: कारण, प्रभाव और जैविक नियंत्रण* 🙏नमस्कार किसान साथियों! 🌿 मूंगफली, एक प्रमुख नकदी फसल, भारतीय कृषि का महत्वपूर्ण हिस्सा है। लेकिन इन दिनों मूंगफली की फसल में कालर रोट (Collar Rot) बीमारी एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। यह रोग फसल की बुआई के 20 से 30 दिनों के बीच नासुर का रूप धारण कर लेता है, जिससे प्रभावित पौधे मुरझा जाते हैं और उपज में भारी नुकसान होता है। *📍कालर रोट के फैलने के प्रमुख कारण* - अत्यधिक नमी: मूंगफली की छोटी फसल में बार-बार और जल्दी पानी देना इस रोग के लिए अनुकूल वातावरण बनाता है। - अनुचित जल निकास: खेत में जल निकास की उचित व्यवस्था न होने से पानी का जमाव रोग को बढ़ावा देता है। - दूषित बीज और मिट्टी: असंक्रमित बीजों का उपयोग न करना और मिट्टी में पहले से मौजूद फंगस भी इस बीमारी का कारण बनते हैं। - घनी बुआई: पौधों के बीच कम दूरी होने से हवा का संचार कम होता है, जिससे नमी बनी रहती है और रोग फैलता है। *📍रासायनिक नियंत्रण की सीमाएं* किसान अक्सर इस रोग को नियंत्रित करने के लिए महंगे फंगीसाइड और पेस्टीसाइड का उपयोग करते हैं, लेकिन बार-बार प्रयोग से फंगस इन रसायनों के प्रति सहनशील (Resistant) हो जाता है। इससे न केवल लागत बढ़ती है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है। *📍जैविक नियंत्रण: ट्राइकोडर्मा का महत्व* कालर रोट के स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल नियंत्रण के लिए जैविक एजेंट ट्राइकोडर्मा (Trichoderma spp.) एक वरदान साबित हुआ है। यह एक लाभकारी कवक है, जो निम्नलिखित तरीकों से कालर रोट को नियंत्रित करता है: - प्रतिस्पर्धा: ट्राइकोडर्मा हानिकारक फंगस के साथ पोषक तत्वों और स्थान के लिए प्रतिस्पर्धा करता है। - परजीवी क्रिया: यह कालर रोट के कवकों को नष्ट करता है। - प्रतिरोधक क्षमता: ट्राइकोडर्मा पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। *📍 विधि* - बीज उपचार: बुआई से पहले बीजों को ट्राइकोडर्मा पाउडर (4-6 ग्राम/किलो बीज) से उपचारित करें। - मिट्टी उपचार: खेत की अंतिम जुताई के समय ट्राइकोडर्मा को गोबर की खाद (2-3 किलो/हेक्टेयर) के साथ मिलाकर मिट्टी में डालें। *📍कालर रोट से बचाव के उपाय* - संतुलित सिंचाई: फसल को आवश्यकतानुसार ही पानी दें। जल जमाव से बचें। - उचित जल निकास: खेत में अच्छी जल निकास व्यवस्था सुनिश्चित करें। - प्रमाणित बीज: रोगमुक्त और प्रमाणित बीजों का उपयोग करें। - फसल चक्र: मूंगफली के बाद गैर-संवेदनशील फसलें (जैसे बाजरा, ज्वार) बोएं। 📍कालर रोट मूंगफली की फसल के लिए एक गंभीर खतरा है, लेकिन इसे जैविक नियंत्रण के माध्यम से प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है। ट्राइकोडर्मा का उपयोग न केवल इस रोग को नियंत्रित करता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देता है। *Follow the 🌾Kisan Chennal🪴 channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaAiUDiIt5ro4G08tO3P*
👄 1

Comments