
BhaktiTak
June 15, 2025 at 02:15 AM
*जय श्री सीता राम*
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*🌞~ आज का पञ्चाङ्ग ~🌞*
*⛅दिनांक - 15 जून 2025*
*⛅दिन - रविवार*
*🌥️संवत्सर – सिद्धार्थ*
*⛅विक्रम संवत् - 2082*
*🌥️शक संवत – 1947*
*🌥️कलि युगाब्द – 5127*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - ग्रीष्म*
*⛅मास - आषाढ़*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - चतुर्थी दोपहर 03:51 तक तत्पश्चात् पञ्चमी*
*⛅नक्षत्र - श्रवण रात्रि 01:00 जून 16 तक तत्पश्चात् धनिष्ठा*
*⛅योग - इन्द्र दोपहर 12:20 तक तत्पश्चात् वैधृति*
*⛅राहुकाल - शाम 05:45 से शाम 07:27 तक*
*⛅सूर्योदय - 05:13*
*⛅सूर्यास्त - 06:47*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
🔥 *अग्निवास*🔥
19+01+01=21÷4=01 स्वर्ग लोक में।❌❌
🔱 *शिववास*🔱
19+19+5=43÷7 =01 कैलाश वासे। ✅✅
⛅व्रत पर्व विवरण - षडशीति संक्रांति (पुण्यकाल सुबह 06:53 से दोपहर 02:07 तक)
⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है व पञ्चमी को बेल फल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)
*🌹व्यापार में वृद्धि हेतु*
🌷रविवार को गंगाजल लेकर उसमें निहारते हुए २१ बार गुरुमंत्र जपें, गुरुमंत्र नहीं लिया हो तो गायत्री मंत्र जपें । फिर इस जल को व्यापार-स्थल पर जमीन एवं सभी दीवारों पर छिड़क दें । ऐसा लगातार ७ रविवार करें, व्यापार में वृद्धि होगी ।
*🌹स्वस्थ रहने के सरल सूत्र*
🌷प्रतिदिन योगासन करें, सम्भव न हो तो खुले हवादार स्थान में टहलें । सुबह की ताजी व शुद्ध वायु से शरीर में स्फूर्ति आती है तथा जीवनीशक्ति का विकास होता है ।
🌷रोज सुबह खाली पेट नीम की १५-२० पत्तियाँ खाने से उनमें विद्यमान जीवाणुनाशक 'इजेडिरेक्टिन' रसायन यकृत (लीवर) को स्वस्थ व मजबूत बनाता है । यह प्रयोग मोटापा घटाकर शरीर को सुडौल बनाता है ।
🌷भोजन में तेल, नमक व गर्म मसालों की मात्रा अधिक नहीं होनी चाहिए । ये कई रोगों की जड़ हैं ।
🌷आँवला, नींबू, अदरक, हरड़ का उपयोग किसी-न-किसी रूप में प्रतिदिन करना चाहिए । ( रविवार और शुक्रवार को आँवला नहीं खाना चाहिए ।)
🌷 सौंफ को चबाकर खाने से या उसका रस चूसने से अथवा ४-५ ग्राम सौंफ का चूर्ण गर्म पानी के साथ लेने से अफरा में लाभ होता है ।
🌷गुनगुना पानी ३-३ घंटे के अंतराल पर पीने से अपच में राहत मिलती है ।
*🌹उपयोगी बातें🌹*
🌷आरती के समय कपूर जलाने का विधान है । घर में नित्य कपूर जलाने से घर का वातावरण शुद्ध रहता है, शरीर पर बीमारियों का आक्रमण आसानी से नहीं होता, दुःस्वप्न नहीं आते और देवदोष तथा पितृदोषों का शमन होता है ।
🌷कपूर मसलकर घर में (खासकर कर ध्यान-भजन की जगह पर) थोड़ा छिड़काल कर देना भी हितावह है ।
🌷दीपज्योति अपने से पूर्व या उत्तर की ओर प्रगटानी चाहिए । ज्योति की संख्या 1,3,5 या 7 होनी चाहिए ।
🌷दिन में नौ बार की हुई किसी भी वक्त वाली प्रार्थना अंतर्यामी तक पहुँच ही जाती हैI