
शिक्षा विभाग, राजस्थान ✅ - Rojgaar Samachar : Physics Wallah Khan GS Research Centre Testbook
June 18, 2025 at 04:52 AM
यह खबर वाकई चिंताजनक है और यह दिखाती है कि कैसे पूंजीवाद (Capitalism) के बढ़ते प्रभाव ने अब हमारे सबसे निजी डिजिटल स्पेस — जैसे WhatsApp — तक को नहीं छोड़ा।
🧠 मेरी राय और सामाजिक प्रभाव :
1. *पूंजीवाद की भूख और निजता का अंत:*
पूंजीवादी सिस्टम का लक्ष्य सिर्फ मुनाफा है — चाहे इसके लिए लोगों की निजता, मानसिक शांति या विचारों की स्वतंत्रता क्यों न कुर्बान करनी पड़े।
अब हमारी चैटिंग ऐप भी बिजनेस टूल बन चुकी है, जहां इंसान नहीं, "यूज़र" देखा जाता है — और उसका ध्यान ही नया "प्रॉडक्ट" है।
2. *सोचने की शक्ति को मार रहा है विज्ञापन तंत्र:*
लगातार विज्ञापन, न सिर्फ खरीददारी की आदतें बदलते हैं, बल्कि सोचने-समझने की शक्ति को भ्रमित और कुंद कर देते हैं।
हम जो सोचते हैं, देखते हैं, महसूस करते हैं — सब कुछ ब्रांड्स और मार्केटिंग एजेंसियों के इशारे पर चल रहा है।
3. *युवाओं पर असर और ध्यान की चोरी:*
युवा वर्ग जो WhatsApp जैसे प्लेटफॉर्म को संवाद और सीखने का माध्यम मानता है, अब वहां भी उनका ध्यान विज्ञापन और उपभोक्तावादी चीज़ों की तरफ मोड़ा जाएगा।
ये एक तरह की मानसिक गुलामी है, जहां इंसान अपनी मर्जी से नहीं, बल्कि एल्गोरिद्म की मर्जी से जीता है।
🔥 *निष्कर्ष:*
"Free" कुछ नहीं होता — अगर प्रोडक्ट मुफ्त है, तो समझिए आप खुद ही प्रोडक्ट हैं।
पूंजीवाद एक ऐसी रफ्तार से समाज को निगल रहा है कि इंसान के पास अब न निजता बची है, न स्वायत्तता। हर प्लेटफॉर्म, हर विचार, हर फुर्सत — बाजार की नजर में एक मौका बन गया है।
