Ganga Digital
June 19, 2025 at 03:28 AM
लिखना चाहता हूँ तुम्हें
अनदेखे-अन्जाने ही सही तुम
तो क्या हुआ.......
जो मिले नही कभी हम तुम
यूँ लगता है ....
हर पल साथ है तुम्हारा.......
इज़हार-ए-इश्क़ किया है
तुमने इकबार
पर कानों में कुछ कह कर
तुम चले जाते हो बार बार .....
और मैं हँस पड़ता हूँ
खिलखिलाकर
पास नही हो मेरे तुम
पर दुनिया जाने क्यों
लगने लगी है रोशन
हर चीज अच्छी लगने लगी है....
बेवजह की बातें भी
अब प्यारी लगने लगी हैं
कोई ख्वाहिश भी नही है कि मिलें हम
सिर्फ इस एहसास को जीना चाहता हूँ......
बस पन्नों पर तुम्हे छूना चाहता हूँ...
साथ तुम्हारा सदा ख्वाब में चाहता हूँ.....
....... ✍️