सुधा का सागर Sudha Ka Sagar
June 21, 2025 at 02:28 PM
*🤚🤚🤚किसी का हुक्म है* *ये जो रेत के महल बन रहे है हिफाजत इनकी करना है जरुरी।* *इसलिए जगतपूज्य रुपी हवाओं को अब चलने की इज़ाज़त नहीं होगी।।* *कोई उन्हें बताओ की हवाएं कब किसी का हुक्म सुनती है।* *और हवाएं अगर हो जाएं ख़ामोश तो उस ख़ामोशी अगला कदम शैलाब होता है।।* :-सुधा का सागर
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