Urdu Safar Channel
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June 14, 2025 at 04:42 PM
दिमाग़ का वज़न, जो खोपड़ी के अंदर होता है, दरअस्ल तक़रीबन 1.5 किलो ग्राम होता है, जो कि ज़िन्दगी भर उठाए रखने के लिए एक ख़ासा वज़न है। लेकिन हमें अपने सिर में दिमाग़ का वज़न महसूस क्यों नहीं होता? क्योंकि दिमाग दिमाग़ी रीढ़ी माए (cerebrospinal fluid) में तैर रहा होता है, और तबीअत (physic) का उसूल (अरशमीदस का उसूल) बयान करता है कि जो जिस्म किसी माए' (fluid) में ग़ोता ज़न होता है, वह अपने वज़न का उतना हिस्सा खो देता है जितना हज्म उसने माए' में सरकाया हो। इसी लिए हमें दिमाग़ का पूरा वज़न महसूस नहीं होता, बल्कि सिर्फ़ तक़रीबन 50 ग्राम जितना कम किया हुआ वज़न महसूस होता है। यह दिमाग़ी माए' उस वक़्त हरकत करता है जब कोई नमाज़ में सज्दा और रुकू करता है, जो दिमाग़ को एक नरम मसाज-नुमा हरकत फ़राहम करता है, और सुकून व इत्मीनान का एहसास पैदा करता है। अल्लाह तआला सूरह अस-सज्दह (आयत 7) में फ़रमाते हैं: वही है जिसने हर चीज़ को बेहतरीन अंदाज़ में पैदा किया और सूरह क़मर (54:49) में फ़रमाया: "बेशक हमने हर चीज़ को एक अंदाज़े के मुताबिक़ पैदा किया है"
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