Bedi Trading Company Rania All India rice Paddy Rate
Bedi Trading Company Rania All India rice Paddy Rate
June 22, 2025 at 05:21 AM
अंबाला: इजराइल और ईरान के बीच चल रहे विवाद से हरियाणा के चावल निर्यातक चिंतित हैं। उनका कहना है कि ईरान-इजराइल युद्ध का राज्य के निर्यातकों पर बुरा असर पड़ेगा। ईरान-इजराइल युद्ध के कारण हरियाणा के बासमती निर्यातकों को भारी नुकसान हो सकता है, क्योंकि भारतीय निर्यातकों का 2000 करोड़ रुपये का भुगतान रुक सकता है, जिसका असर बासमती चावल के निर्यात पर पड़ेगा। उन्होंने बताया कि बंदरगाह पर करीब 2.50 लाख मीट्रिक टन चावल शिपमेंट के लिए इंतजार कर रहा है और घरेलू बाजार में बासमती की कीमतों में भी गिरावट आई है। निर्यातक हालात सामान्य होने का इंतजार कर रहे हैं, जिसका किसानों पर भी बुरा असर पड़ सकता है। चावल निर्यातक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील जैन ने बताया कि ईरान-इजराइल युद्ध का असर भारतीय बाजार पर भी दिखने लगा है। भारतीय निर्यातकों का करीब दो हजार करोड़ का भुगतान ईरान में रुका हुआ है। अगले ऑर्डर पर भी ब्रेक लग गया है। युद्ध के चलते ईरानी व्यापारियों ने फिलहाल भुगतान रोक दिया है। जैन ने बताया कि इतना ही नहीं कोई ठोस निर्णय न होने से आगे के निर्यात को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है, भारतीय निर्यातकों का करीब 2.50 लाख मीट्रिक टन बासमती चावल शिपिंग के इंतजार में बंदरगाह पर पड़ा हुआ है। भारतीय निर्यातकों के लिए स्थिति ऐसी हो गई है कि वे इस चावल को वापस स्टॉक में भी नहीं रख सकते हैं, अभी निर्यातक इंतजार करो और देखो की नीति पर चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि बंदरगाह पर अटके चावल को विकल्प के तौर पर दूसरे देश में निर्यात करना आसान नहीं है, चूंकि ईरान को भारतीय चावल का निर्यात करीब 9 लाख मीट्रिक टन है, ऐसे में अचानक इतने बड़े अंतर को भरना लगभग असंभव है। ऐसे में व्यापारी हालात सामान्य होने का इंतजार कर रहे हैं। जैन ने बताया कि ईरान में हमारे चावल के खराब होने के कारण भारतीय घरेलू बाजार में बासमती चावल के दाम में 6 से 7 रुपए प्रति किलो की गिरावट देखी गई है और यदि स्थिति सामान्य होने में समय लगा तो दामों में और भी गिरावट आ सकती है। जानकारी के अनुसार सात राज्यों में बासमती उत्पादन में हरियाणा की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। देशभर में बासमती का उत्पादन करने वाले सात राज्यों के 95 जिले हैं। हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर में बासमती चावल के लिए अनुकूल माहौल है। हरियाणा में करीब 7.8 लाख हेक्टेयर में बासमती की खेती होती है। अगर हिस्सेदारी की बात करें तो हरियाणा की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है, जबकि वित्त वर्ष 2024-25 में 5.3 मिलियन टन निर्यात में अकेले हरियाणा की हिस्सेदारी 1.86 मिलियन टन थी। जैन ने आगे कहा, माना जा रहा है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में बासमती की मांग कम होने से घरेलू कीमतें कम रहेंगी। निर्यातक हालात सामान्य होने का इंतजार करेंगे, जिससे उनका स्टॉक बढ़ेगा, जिसका असर आगामी धान सीजन में किसानों पर पड़ सकता है, मांग कम होने से निर्यात प्रभावित होगा, जिससे धान की कीमत में भी गिरावट आ सकती है। चावल निर्यातक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील जैन ने कहा कि निर्यात के लिए कोई विकल्प तलाशने की संभावना बहुत कम है, क्योंकि ईरान जितना बड़ा खरीदार मिलना संभव नहीं है। अगर सरकार कोई उपाय खोज लेती है तो संभव है कि चावल उद्योग से संकट के बादल छंट जाएं और प्रदेश के निर्यातक हालात पर नजर रखे हुए हैं।
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