
Human With Education Journey 🇮🇳
May 29, 2025 at 03:18 PM
---
📜 पाली मूल पाठ:
> "Mā anussavena, mā paramparāya, mā itikirāya, mā piṭakasampadānena, mā takkahetu, mā nayahetu, mā ākāraparivitakkena, mā diṭṭhinijjhānakkhantiyā, mā bhabbarūpatāya, mā samaṇo no garūti."
---
📝 देवनागरी लिप्यंतरण:
> "मा अनुशवेन, मा परम्पराय, मा इति-कीराय, मा पिटक-संपदानेन, मा तक्क-हेतु, मा नय-हेतु, मा आकार-परिवित्तक्केन, मा दृष्टि-निज्झान-खन्तिया, मा भब्ब-रूपताय, मा समणो नो गरूति।"
---
🧩 शब्दार्थ और हिंदी व्याख्या:
1. मा (mā) – नहीं, मत
व्याख्या: निषेध सूचक; किसी क्रिया या विचार को न करने का निर्देश।
2. अनुशवेन (anussavena) – श्रवण परंपरा से
अनुशव (anussava): सुनी-सुनाई बात; परंपरागत श्रवण।
व्याख्या: केवल इसलिए विश्वास मत करो क्योंकि तुमने किसी बात को सुना है।
3. परम्पराय (paramparāya) – परंपरा से
परम्परा (paramparā): पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही परंपरा।
व्याख्या: केवल इसलिए विश्वास मत करो क्योंकि वह परंपरा से चला आ रहा है।
4. इति-कीराय (itikirāya) – अफवाह या जनश्रुति से
इति-कीरा (itikirā): "ऐसा कहा जाता है" प्रकार की बातें।
व्याख्या: केवल इसलिए विश्वास मत करो क्योंकि बहुत से लोग ऐसा कहते हैं।
5. पिटक-संपदानेन (piṭakasampadānena) – धार्मिक ग्रंथों में होने से
पिटक (piṭaka): बौद्ध धर्म के ग्रंथ; संपदान (sampadāna): संग्रह।
व्याख्या: केवल इसलिए विश्वास मत करो क्योंकि वह धार्मिक ग्रंथों में लिखा है।
6. तक्क-हेतु (takkahetu) – तर्क के आधार पर
तक्क (takka): तर्क; हेतु (hetu): कारण।
व्याख्या: केवल इसलिए विश्वास मत करो क्योंकि वह तर्कसंगत प्रतीत होता है।
7. नय-हेतु (nayahetu) – तर्क प्रणाली के आधार पर
नय (naya): विश्लेषणात्मक तर्क; हेतु: कारण।
व्याख्या: केवल इसलिए विश्वास मत करो क्योंकि वह किसी तर्क प्रणाली से मेल खाता है।
8. आकार-परिवित्तक्केन (ākāraparivitakkena) – विचारों के विश्लेषण के आधार पर
आकार (ākāra): रूप, तरीका; परिवित्तक्क (parivitakka): गहन विचार।
व्याख्या: केवल इसलिए विश्वास मत करो क्योंकि वह विचारों के विश्लेषण से उपजा है।
9. दृष्टि-निज्झान-खन्तिया (diṭṭhinijjhānakkhantiyā) – पूर्व धारणा के आधार पर
दृष्टि (diṭṭhi): दृष्टिकोण; निज्झान (nijjhāna): निरीक्षण; खन्ति (khanti): सहमति।
व्याख्या: केवल इसलिए विश्वास मत करो क्योंकि वह तुम्हारी पूर्व धारणा से मेल खाता है।
10. भब्ब-रूपताय (bhabbarūpatāya) – प्रभावशाली दिखने के कारण
भब्ब (bhabba): सक्षम; रूपता (rūpatā): रूप या दिखावट।
व्याख्या: केवल इसलिए विश्वास मत करो क्योंकि वह प्रभावशाली या आकर्षक लगता है।
11. समणो नो गरूति (samaṇo no garūti) – कहने वाला तपस्वी या गुरु है
समण (samaṇa): तपस्वी; गरु (guru): गुरु।
व्याख्या: केवल इसलिए विश्वास मत करो क्योंकि कहने वाला कोई तपस्वी या गुरु है।
---
🧠 संदेश का सार:
बुद्ध यहाँ यह सिखा रहे हैं कि किसी भी बात को केवल इसलिए सत्य मत मानो क्योंकि:
वह परंपरा से चली आ रही है,
बहुत से लोग उसे कहते हैं,
वह धार्मिक ग्रंथों में लिखी है,
वह तर्कसंगत प्रतीत होती है,
कहने वाला कोई गुरु या तपस्वी है।
बल्कि, जब तुम स्वयं निरीक्षण, अनुभव और विचार के द्वारा यह समझो कि कोई विचार या आचरण:
तर्कसंगत है,
सबके लिए कल्याणकारी है,
अहिंसक, करुणामय और विवेकपूर्ण है,
तब ही उसे स्वीकार करो और जीवन में उतारो।
---