
Political Science With - Kr Dogiyal
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देश दुनिया की राजनीतिक घटनाओं का विश्लेषण 🙏✌️✌️
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*न्यायमूर्ति नागरत्ना भारत की 55वीं मुख्य न्यायाधीश और भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश होंगी। हालाँकि, CJI के रूप में उनका कार्यकाल 24 सितंबर से 29 अक्टूबर, 2027 तक केवल 36 दिनों का होगा । जो शीर्ष अदालत के इतिहास में CJI का तीसरा सबसे छोटा कार्यकाल होगा 🔰जस्टिस नागरत्ना के 5 बड़े फैसले: सुप्रीम कोर्ट जज रहते हुए- 1. 2004 में जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने बिलकिस बानो केस में गुजरात सरकार द्वारा 11 दोषियों को दी गई रिहाई को अवैध घोषित कर दिया। बेंच ने कहा कि दोषियों को महाराष्ट्र की विशेष अदालत ने सजा सुनाई थी। इसलिए रिहाई का अधिकार महाराष्ट्र सरकार को था, न कि गुजरात को। 2. 2023 में 5 जजों की संविधान पीठ में जस्टिस नागरत्ना ने सहमति जताई कि सरकार अपने मंत्रियों के बयानों के लिए जिम्मेदार नहीं है। 3. 2023 में 5 जजों की बेंच में से 4 ने 2016 में हुई नोटबंदी को वैध ठहराया, जबकि जस्टिस नागरत्ना ने असहमति जताई। उन्होंने कहा कि फैसला संसद के माध्यम से होना चाहिए था, न कि केवल कार्यकारी आदेश के माध्यम से। कर्नाटक हाईकोर्ट जज रहते हुए 4. अवैध विवाह से जन्मे बच्चों को अनुकंपा नियुक्ति का अधिकारी माना। उन्होंने कहा कि माता-पिता अवैध हो सकते हैं, लेकिन कोई बच्चा अवैध नहीं होता। 5. कोरोना महामारी के दौरान कर्नाटक सरकार को निर्देश दिया कि मिड डे मील योजना को जारी रखा जाए और डिजिटल एजुकेशन जारी रखी जाए। ✍✍Join- @KrDogiyal01


न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के स्थान पर भूषण रामकृष्ण गवई ने आधिकारिक रूप से भारत के मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाल लिया है। शपथ- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में न्यायमूर्ति गवई को शपथ दिलाई। नियुक्ति- राष्ट्रपति द्वारा (अनुच्छेद 124(2) के अनुसार) कार्यकाल- 23 नवम्बर 2025 तक रहेगा। (6 माह) सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत, ए.जी. मसीह, पी.एस. नरसिम्हा, बी.वी. नागरत्ना, बेला त्रिवेदी आदि भी समारोह में उपस्थित थे। भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में उत्तराधिकार संभालने के बाद, न्यायमूर्ति गवई अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले दूसरे मुख्य न्यायाधीश बने हैं। इससे पहले न्यायमूर्ति के.जी. बालकृष्णन 2010 में सेवानिवृत्त हुए थे। इसके साथ ही वे देश के पहले बौद्ध मुख्य न्यायाधीश भी बन गए हैं। उन्हें 24 मई 2019 को बॉम्बे हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया था।
