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*🧘♂️ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🧘♀️* *योग केवल व्यायाम नहीं, एक जीवन जीने की कला है।* *यह तन को ताकत, मन को शांति और आत्मा को संतुलन देता है।* *आइए, इस योग दिवस पर स्वस्थ जीवन की ओर पहला कदम बढ़ाएँ।* *🧎🏻♀️योग करें, निरोग रहें!* *योग से ही संभव है जीवन में संपूर्ण संतुलन।* > 👉 *Official Youtube Channel Shantikunj Rishi Chintan को आज ही Subscribe करें*। https://yugrishi-erp.awgp.org/l?id=IpX6xqFWK1-ya3 🙏🏽 *Please Like, Share, Comment and Subscribe Thanks* 🙏🏽


*अमृत सन्देश :* *अध्यात्म से उठी आज़ादी की आँधी | Adhyatam Se Uti Azadi Ki Andhi* *आपने पांडुचेरी वाले अरविंद घोष का नाम सुना है न? पांडुचेरी के अरविंद घोष ने जब विलायत से आईसीएस पास कर लिया, तब उन्होंने यहां हिंदुस्तान आ गए। हिंदुस्तान को आजादी दिलाने के लिए बड़ौदा महाराज के यहां दीवान की नौकरी कर ली और सारे के सारे राजा महाराजाओं से उन्होंने मिलकर के यह कोशिश की कि इनको भगा दें अंग्रेजों को।........* > 👉 *Official Youtube Channel Shantikunj Rishi Chintan को आज ही Subscribe करें।* https://yugrishi-erp.awgp.org/l?id=IpX6xqFWK1-ya3 🙏🏽 *Please Like, Share, Comment and Subscribe Thanks* 🙏🏽

‼ *क्या मृत व्यक्ति में प्राण संचार संभव है? (अंतिम भाग )* ‼ ‼ *शांतिकुंज ऋषि चिंतन* ‼ ➖➖➖➖‼️➖➖➖➖ 🌞 *21 June, 2025 Saturday* 🌞 🪻 *२१ जून, २०२५ शनिवार* 🪻 *!! आषाढ़ माह, कृष्ण पक्ष, दशमी तिथि, संवत २०८२ !!* ‼*सूर्योदय 5:21 AM, सूर्यास्त 7:16 PM*‼ ➖➖➖➖‼️➖➖➖➖ 🔶 इन प्रमाणों और प्रयोगों के आधार पर वैज्ञानिकों को मृत्यु सम्बन्धी परिभाषा के अनुसार उन्होंने यह निश्चित किया कि *जब तक मस्तिष्क कोशिकाएँ सक्रिय बनी रहती है, तब तक बाह्य रूप से मृत्यु जैसे लक्षण उपस्थिति होने पर भी व्यक्ति की मृत्यु न मानी जाय। जब मस्तिष्क कोशिकाएँ पूर्ण रूप से कार्य करना बन्द कर दें, तभी व्यक्ति की वास्तविक मौत की स्वीकारोक्ति हो।* इस तथ्य की पुष्टि भी उन घटनाओं द्वारा होती रहती है, जिनमें हृदय और श्वसन की क्रियाएँ पूर्णरूपेण बन्द हो चुकी हों। इतने पर कृत्रिम विधि द्वारा इन्हें सक्रिय कर व्यक्ति को पुनर्जीवित करने में चिकित्सा विज्ञानियों को सफलता मिलती रहती है। इससे यह निर्विवाद साबित होता है कि *चेतना का सम्बन्ध शरीर से नहीं, मानसिक स्थितियों से है।* यह शक्तियाँ अर्धमूर्छित स्थिति में पड़ी हुई हो और बाह्य लक्षण मौत की साक्षी उपस्थित कर रहे हों, तो भी व्यक्ति में जीवन की संभावना बनी रहती है। यदि अच्छे साधन और उपयुक्त उपचार इस समय व्यक्ति की उपलब्ध हो सकें, तो उसके पुनर्जीवन की शत-प्रतिशत गुँजाइश बनी रहती है। 🔷 *मृत्यु कैसे होती है? इसका आसान-सा जवाब यह है कि हृदय गति रुकने से मस्तिष्क को शुद्ध रक्त मिलना बन्द हो जाता है।* इसी क्रिया द्वारा मस्तिष्क को शक्ति मिलती है। किन्तु देखा गया है कि रक्त न मिलने पर भी वह छः मिनट तक आपातकालीन सहायताओं की अध्ययन करके मस्तिष्क का सीधा संबंध कार्बनिक पदार्थों के संश्लेषण से जोड़ने के प्रयत्न में है। यदि ऐसा कोई उपाय निकल आया, तो योगियों की समाधी के समान वैज्ञानिक भी मनुष्य का अर्ध जीवित (सुषुप्ति) अवस्था में सैकड़ों वर्ष तक बनाये रख सकते है। *गुरुदेव की दिव्य शक्तियों का अनुभव : गुरु चेतना में समाने की साहसपूर्ण इच्छा | Shishya Sanjeevani* https://youtu.be/K-4vjZLROnA?si=JVIwdqJdBjFinPoG 🔶 *विज्ञान के लिए जो सम्भावना है, वही योगियों के लिये स्वेच्छया हैं* देखना यह है कि इस सम्भावनाओं को विज्ञानवेत्ता किस हद तक साकार कर पाते है। यदि ऐसा सम्भव हुआ, तो यह चेतना विज्ञान के क्षेत्र में पदार्थ विज्ञान की बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। अध्यात्म जगत में तो ऐसे अनेकों उदाहरण मिलते है, जिसमें महीनों और वर्षों तक जीवात्मा को शरीर से बाहर रख कर स्थूल देह को निर्जीव जैसी स्थिति में सुरक्षित रखा गया हो और फिर प्रयोजन पूरा हो जाने के उपरान्त चेतना वापिस देह में लौट लायी गई हो। ऐसा एक प्रसंग तो *आदि शंकराचार्य का है, जिसमें उन्हें शास्त्रार्थ सम्बन्धी सवाल का जवाब ढूँढ़ने के लिए अपनी देह अस्थायी रूप से त्याग कर मृत राजा के शरीर में प्रवेश करना पड़ा। प्रश्न का उत्तर मिल जाने के बाद वे उधार की काया को छोड़कर पुनः अपनी देह में लौट आये।* 🔷 इन प्रसंगों से इस दिशा में विज्ञान के प्रयास की सार्थकता समझी जा सकती है। वह यदि इस बात का पता लगा सके कि परकाया प्रवेश की क्षमता रखने वालों में अपना शरीर त्याग कर दूसरे के शरीर में प्रवेश करने और वाँछित समय तक उसका उपभोग करने के पश्चात् पुनः आपने देह में लौटने जितने मध्यान्तर तक काया अनायास कैसे सुरक्षित बनी रहती है, तो शरीर शास्त्रियों को इस प्रयास में सफलता की शत-प्रतिशत गारण्टी मिल जायेगी। *विज्ञान के स्तर पर पुनर्जीवित तभी सम्भव है, जब मस्तिष्क की आधी चेतना बनी रहे अथवा एक-दो कोशिका भी यदि जीवित रही, तो भी कई बार पुनः जीवित शक्य बनते देखा गया है; पर विज्ञान के लिए यह अत्यन्त जटिल कार्य होगा कि शरीर को अर्धचेतना की स्थिति में कैसे रखा जाय?* > 👉 *शांतिकुंज हरिद्वार के (अधिकारिक) Official WhatsApp Channel को Follow करें* ➡️ https://whatsapp.com/channel/0029VaBQpZm6hENhqlhg453J 🔶 यह पदार्थ स्तर के प्रयास है। अध्यात्म विज्ञान में चेतना स्तर पर प्रयोग सम्पादित होते है। *पदार्थ विज्ञानी यह जान सकें कि मृत्यु के उपरान्त चेतना को शरीर छोड़ने पर क्यों विवश होना पड़ता है, तो कदाचित् इस सम्बन्ध में उन्हें कोई महत्वपूर्ण सूत्र हाथ लग जाय।* ऐसे किसी सूत्र के अभाव में सिर्फ पदार्थ गत परीक्षणों से कोई बहुत बड़ी सफलता मिल सकेगी, ऐसी आशा नहीं ही करनी चाहिए। विज्ञान की अब तक की खोजें चेतना के शारीरिक सम्बन्धों तक ही सीमित रही है। उसके आगे की लक्ष्य पूर्ति अब आध्यात्मिक सिद्धान्तों द्वारा ही सम्भव है। हम उन सिद्धान्तों को जीवन में लागू करें, तो सम्भव है कि चेतना हीन स्थिति की अनुभूति कर सके। यदि ऐसा हुआ तो फिर विज्ञान की वह गवेषणा सम्पूर्ण हो जायेगी, जिसके लिए अब तक वह पदार्थपरक परीक्षणों में उलझा रह कर समय और सम्पदा बर्बाद करता रहा। *... समाप्त* *अखण्ड ज्योति 1995 अगस्त पृष्ठ 31* ✍🏻 *पं श्रीराम शर्मा आचार्य* 🙏🏽 *Please Like, Share, Comment and Subscribe Thanks* 🙏🏽

*अमृतवाणी:- तप का सार है सादगी | Tap Ka Saar Hai Sadgi* *पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य* *कई बार लोगों ने कहा, आपको सोलह घंटे काम करना पड़ता है, दिमागी काम करना पड़ता है, आपकी खुराक कुछ होनी चाहिए, खुराक कुछ होनी चाहिए। मैंने कहा, सब भगवान के काम करते हैं, तो भगवान खुराक देगा ही। किसी ने माता जी को बता दिया कि, माता जी, इनको, आचार्य जी को, एक गिलास नारंगी का रस दिया करो। जाने कैसे समझ में आ गया? एक दिन ले आई, कई बार तो मैंने भी मना कर दिया।......* https://youtube.com/shorts/Yo5IrrTTNMQ?si=_Qs7jVOfzJ4gvQ2v > 👉 *Official Youtube Channel `Shantikunj Rishi Chintan`को आज ही Subscribe करें।* https://yugrishi-erp.awgp.org/l?id=IpX6xqFWK1-ya3 🙏🏽 *Please Like, Share, Comment and Subscribe Thanks* 🙏🏽