एक कहानी सुंदर सी
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आज के संस्कार विहीन जमाने में इस प्रकार की प्रेरणादायक संस्कार प्रेरक कहानियों की अति आवश्यकता है,जिससे कि समाज में सुधार हो सके,नई पीढ़ियों में सुधार हो सके संस्कार आ सके लोगों में। ✍️शिक्षक नवनीत चौधरी शायरियां, जोक्स ग्रुप में जुड़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक से *Follow* कर सकते है👇👇 https://whatsapp.com/channel/0029Va4TOcPKQuJG8yI65p0q हमारा यूटयूब चैनल भी सब्सक्राइब जरूर करें👇👇 https://youtu.be/2Yxs0BVPa9w?si=BpL7K7RO4vusK0Lv अगर आप कुटुंब app पर हो तो आप हमारे कहानी समूह को जॉइन कर सकते है।। https://kutumb.app/ek-khoobsurat-si-kahani?slug=da61c33d5516&ref=RVWS5
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*🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐दो पत्तो की कहानी💐💐* एक समय की बात है... गंगा नदी के किनारे पीपल का एक पेड़ था। पहाड़ों से उतरती गंगा पूरे वेग से बह रही थी कि अचानक पेड़ से दो पत्ते नदी में आ गिरे। एक पत्ता आड़ा गिरा और एक सीधा। जो आड़ा गिरा वह अड़ गया, कहने लगा, “आज चाहे जो हो जाए मैं इस नदी को रोक कर ही रहूँगा…चाहे मेरी जान ही क्यों न चली जाए मैं इसे आगे नहीं बढ़ने दूंगा।” वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा– रुक जा गंगा….अब तू और आगे नहीं बढ़ सकती….मैं तुझे यहीं रोक दूंगा! पर नदी तो बढ़ती ही जा रही थी…उसे तो पता भी नहीं था कि कोई पत्ता उसे रोकने की कोशिश कर रहा है। पर पत्ते की तो जान पर बन आई थी..वो लगातार संघर्ष कर रहा था…नहीं जानता था कि बिना लड़े भी वहीँ पहुंचेगा, जहां लड़कर.. थककर.. हारकर पहुंचेगा! पर अब और तब के बीच का समय उसकी पीड़ा का…. उसके संताप का काल बन जाएगा। वहीँ दूसरा पत्ता जो सीधा गिरा था, वह तो नदी के प्रवाह के साथ ही बड़े मजे से बहता चला जा रहा था। यह कहता हुआ कि “चल गंगा, आज मैं तुझे तेरे गंतव्य तक पहुंचा के ही दम लूँगा…चाहे जो हो जाए मैं तेरे मार्ग में कोई अवरोध नहीं आने दूंगा….तुझे सागर तक पहुंचा ही दूंगा। नदी को इस पत्ते का भी कुछ पता नहीं…वह तो अपनी ही धुन में सागर की ओर बढ़ती जा रही थी।पर पत्ता तो आनंदित है, वह तो यही समझ रहा है ,कि वही नदी को अपने साथ बहाए ले जा रहा है। आड़े पत्ते की तरह सीधा पत्ता भी नहीं जानता था कि चाहे वो नदी का साथ दे या नहीं, नदी तो वहीं पहुंचेगी जहाँ उसे पहुंचना है! पर अब और तब के बीच का समय उसके सुख का…. उसके आनंद का काल बन जाएगा। जो पत्ता नदी से लड़ रहा है…उसे रोक रहा है, उसकी जीत का कोई उपाय संभव नहीं है और जो पत्ता नदी को बहाए जा रहा है उसकी हार को कोई उपाय संभव नहीं है। हमारा जीवन भी उस नदी के सामान है जिसमें सुख और दुःख की तेज़ धारायें बहती रहती हैं ... और जो कोई जीवन की इस धारा को आड़े पत्ते की तरह रोकने का प्रयास भी करता है, तो वह मुर्ख है ,क्योंकि ना तो कभी जीवन किसी के लिये रुका है और ना ही रुक सकता है। वह अज्ञान में है जो आड़े पत्ते की तरह जीवन की इस बहती नदी में सुख की धारा को ठहराने या दुःख की धारा को जल्दी बहाने की मूर्खता पूर्ण कोशिश करता है । क्योंकि सुख की धारा जितने दिन बहनी है... उतने दिन तक ही बहेगी। आप उसे बढ़ा नहीं सकते, और अगर आपके जीवन में दुःख का बहाव जितने समय तक के लिए आना है वो आ कर ही रहेगा, फिर क्यों आड़े पत्ते की तरह इसे रोकने की फ़िज़ूल मेहनत करना। बल्कि जीवन में आने वाली हर अच्छी बुरी परिस्थितियों में खुश हो कर जीवन की बहती धारा के साथ उस सीधे पत्ते की तरह ऐसे चलते जाओ.... जैसे जीवन आपको नहीं बल्कि आप जीवन को चला रहे हो। सीधे पत्ते की तरह सुख और दुःख में समता और आनन्दित होकर जीवन की धारा में मौज से बहते जाएँ। और जब जीवन में ऐसी सहजता से चलना सीख गए तो फिर सुख क्या? और दुःख क्या ? *शिक्षा-* जीवन के बहाव में ऐसे ना बहें कि थक कर हार भी जाएं और अंत तक जीवन आपके लिए एक पहेली बन जाये। बल्कि जीवन के बहाव को हँस कर ऐसे बहाते जाएं की अंत तक आप जीवन के लिए पहेली बन जायें। सुख हमारी खुद की सम्पत्ति है... इसे बाहर नहीं अपने भीतर ही तलाशें। इससे आप सदैव सुखी रहेंगे।
*💐💐जीवन का संघर्ष💐💐* एक बार एक व्यक्ति को अपने उद्यान में टहलते हुए किसी टहनी से लटकता हुआ एक तितली का कोकून दिखाई पड़ा. अब प्रतिदिन वो व्यक्ति उसे देखने लगा और एक दिन उसने ध्यान किया कि उस कोकून में एक छोटा सा छेद बन गया है।. उस दिन वो वहीं बैठ गया और घंटों उसे देखता रहा। उसने देखा की तितली उस खोल से बाहर निकलने की बहुत कोशिश कर रही है, पर बहुत देर तक प्रयास करने के बाद भी वो उस छेद से नहीं निकल पायी और फिर वो बिलकुल शांत हो गयी मानो उसने हार मान ली हो. इसलिए उस व्यक्ति ने निश्चय किया कि वो उस तितली की मदद करेगा. उसने एक कैंची उठायी और कोकून की उस छेद को इतना बड़ा कर दिया की वो तितली आसानी से बाहर निकल सके और यही हुआ, तितली बिना किसी और संघर्ष के आसानी से बाहर निकल आई, पर उसका शरीर सूजा हुआ था और पंख सूखे हुए थे। वो व्यक्ति तितली को ये सोच कर देखता रहा कि वो किसी भी वक़्त अपने पंख फैला कर उड़ने लगेगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. इसके उलट बेचारी तितली कभी उड़ ही नहीं पाई और उसे अपनी बाकी की ज़िन्दगी इधर-उधर घिसटते हुए बीतानी पड़ी. वो व्यक्ति अपनी दया और जल्दबाजी में ये नहीं समझ पाया की दरअसल कोकून से निकलने की प्रक्रिया को प्रकृति ने इतना कठिन इसलिए बनाया है ताकि ऐसा करने से तितली के शरीर में मौजूद तरल उसके पंखों में पहुंच सके और वो छेद से बाहर निकलते ही उड़ सके. *शिक्षा:-* वास्तव में कभी-कभी हमारे जीवन में संघर्ष ही वो चीज होती है, जिसकी हमें सचमुच आवश्यकता होती है. यदि हम बिना किसी प्रयत्न के सब कुछ पाने लगे, तो हम भी एक अपंग के सामान हो जायेंगे. बिना परिश्रम और संघर्ष के हम कभी उतने मजबूत नहीं बन सकते, जितना हमारी क्षमता है. इसलिए जीवन में आने वाले कठिन पलों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखिये, वो आपको कुछ ऐसा सीखा जायेंगें, जिससे आप अपनी ज़िन्दगी की उड़ान को सफल बना पायेंगे..!!
*रविवार 01 जून 2025 के मुख्य सामाचार* 🔸ट्रंप का ऐलान- भारत और अमेरिका के बीच महत्वपूर्ण व्यापार समझौता जल्द, पाकिस्तान को दी सुधरने की चेतावनी। 🔸बांग्लादेश को लेकर आतंकी हाफिज सईद के संगठन का बड़ा दावा- '1971 का लिया बदला, शेख हसीना को सता से हटाया । 🔸एक और पाकिस्तानी जासूस गिरफ्तार, NIA की टीम ने कोलकाता से दबोचा। 🔸फेसबुक यूजर्स हो जाएं सतर्क! 1.2 अरब लोगों का पर्सनल डेटा लीक, मोबाइल नंबर से लेकर जन्मतिथि तक खतरें में 🔸दुश्मन की हर हरकत से निपटने की तैयारी, पाक सीमा से सटे राज्यों में मॉक ड्रिल। 🔸24 घंटे में 81 नए मरीज, अलर्ट हो जाएं, दिल्ली में तेजी से बढ़ रहा कोरोना। 🔸सुराब के बाद मस्तुंग: बलूच विद्रोहियों का कहर, 2 दिन में 2 शहरों पर कब्जा। 🔸हमने 300 KM अंदर तक मारा, अब दुश्मन समझ जाए अपनी औकात, CDS चौहान की चेतावनी। 🔸Miss World 2025 बनीं थाईलैंड की ओपाल सुचाता, भारत की नंदिनी गुप्ता का टूटा सपना 🔸BSF अलर्ट मोड में...ऑपरेशन खत्म नहीं, सिर्फ विराम है - DIG योगेन्द्र सिंह राठौड़ 🔸जासूसी मामला: आरोपी कासिम का भाई गिरफ्तार, 4 साल से पाकिस्तान को दे रहा था खुफिया जानकारी 🔸कर्नाटक में बारिश ने मचाई तबाही, 60 दिन में 71 लोगों की मौत; प्री-मानसून वर्षा ने तोड़ा 125 साल का रिकॉर्ड 🔸J&K News: गहरी खाई में गिरी गाड़ी, बंगाल के दो पर्यटक घायल; पुलिस ने सिंथन टॉप में 9 लोगों को बचाया 🔸बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार 20 घरों में लूटपाट के बाद आग, मंदिर को भी बनाया निशाना। 🔸Shamli: दिल्ली- सहारनपुर एक्सप्रेस को पलटाने की साजिश, पटरी पर रख दिया 12 फीट लंबा लोहे का मोटा पाइप। 🔸भोपाल में PM मोदी की पाकिस्तान को फिर चुनौती:कहा- आतंकियों के मददगारों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी, गोली का जवाब गोले से मिलेगा। 🔸बीकानेर में पाकिस्तान ने भेजे थे सर्विलांस ड्रोन:BSF के DIG ने कहा- आर्मी और एयरफोर्स का मूवमेंट जानना चाहता था, भारत ने विफल किया। 🔸माफिया मुख्तार के विधायक बेटे अब्बास की विधायकी जाएगी:हेटस्पीच में 2 साल की सजा; कहा था- अफसरों का हिसाब-किताब होगा। 🔹करुण नायर का दोहरा शतक पूरा, ठोकी टेस्ट सीरीज के लिए पक्की दावेदारी। *आप का दिन शुभ और मंगलमय हो सुप्रभात....!* *जय हो🙏*
हे राधे...... जिनकी नजरों में मोहन समाए, वो नजर फिर तरसती नहीं.! ___......✍🏻 श्री राधे राधे

*💐💐बंद मुट्ठी💐💐* खुशहाल परिवार की तीनों बहुएँ जब तब गुफ़्तगू करती रहती हैं... अमीर मायके वाली बड़ी बहू कहती है, *"ये अम्मा जी ने बिस्तर पकड़ लिया है। पर इनकी टाँग तो ऊँची। हमारे पीछे ही पड़ी रहती है।"* मझली कहाँ पीछे रहने वाली, *"हाँ दीदी ! देखो ना लंदन से मेरे भैया ने अम्मा के लिए चलने की मंहगी स्टिक भिजवाई है। और हाँ दमे की खास दवा भी। "* *"देख मझली हम कितना भी कर दें पर बुढ़िया का पूरा लाड़ छुटकी पर ही बरसता है।"* बड़की ने भड़ास निकाली। *"हाँजी दीदी ! वैसे भी छुटकी गरीब घर से है। उसे तो आदत है पॉटी शॉटी साफ करने की। बाँझ जो ठहरी, काम क्या है।"* बेचारी अम्मा परेशान है। छुटकी दिन भर कोल्हू के बैल की तरह जुटी रहती है। वो घर के बंटवारे का सोचती है। घर पक्का तो था पर टुकड़े करने के हिसाब से नहीं बना था। तीनों भाइयों में इतना प्रेम है कि उन्होंने तीन चूल्हों का सोचा ही नहीं कभी। अम्मा अपना हिसाब किताब करके तीनों बहुओं को बुलाकर कहती हैं, *" देखो ये दो थैलियाँ हैं। एक में घर के सारे जेवर व दूसरी में बैंक की पासबुकें हैं। और तीसरा मेरी बंद मुट्ठी में है। तुम लोग सोच समझ कर अपना फ़ैसला लेने के लिए आज़ाद हो।"* बड़की व मझली अंदाज़ा लगाने लगी कि *जेवर भारी पड़ेंगे कि पैसा। अम्मा की मुट्ठी का क्या ? बंद मुठ्ठी लाख की खुली तो खाक की...इसका क्या भरोसा ?* बड़की ठहरी सोने चाँदी की लालची। इनके भाव जो आसमान छू रहे हैं। मझली को विदेश घूमने के लिए नकदी चाहिए। छुटकी तो पहले ही ऐलान करके काम निपटाने चली गई थी। वह अम्मा के लिए अदरक वाली चाय व मूंग का खस्ता चीला बना कर लाती है, *"अम्मा पहले कुछ खाकर दवाई लो। फ़िर चाय पीकर मूड ठीक करो।"* अम्मा मुस्कुराती है, *"अरे मेरी लाड़ो ! मेरी...तेरी यह मुट्ठी खोलेगी तभी तो मैं कुछ कर पाऊँगी।"* जैसे ही अम्मा की मुट्ठी खोली छुटकी लिपट कर रोने लगी, *"ओ मेरी अम्मा।"* मुट्ठी में दबे कागज़ पर लिखा था *'घर और अम्मा'।* बड़की और मझली बेघर होने से रहने का ठिकाना व काम के लिए सेविका के बारे में सोचने लगती है। *शुभ प्रभात। आज का दिन आपके लिए शुभ एवं मंगलकारी हो।*
*🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐संत की शरण💐💐* एक गांव में एक ठाकुर थे। उनके यहां एक नौकर काम करता था.. जिसके कुटुंब में बीमारी की वजह से कोई आदमी नहीं बचा। केवल नौकर का लड़का रह गया। वह ठाकुर के घर काम करने लग गया.. रोजाना सुबह वह बछड़े चराने जाता था.. और लौटकर आता तो रोटी खा लेता था। ऐसे समय बीतता गया। एक दिन दोपहर के समय वह बछड़े चरा कर आया तो ठकुरानी की नौकरानी ने उसे ठंडी रोटी खाने के लिए दे दी। उसने कहा कि थोड़ी सी छाछ या रबड़ी मिल जाए तो ठीक है। नौकरानी ने कहा कि, जा जा तेरे लिए बनाई है रबड़ी, जा ऐसे ही खा ले नहीं तो तेरी मर्जी। उस लड़के के मन में गुस्सा आया कि, मैं धूप में बछड़े चरा कर आया हूं, भूखा हुँ.. पर मेरे को बाजरे की सूखी रोटी दे दी.. रबड़ी मांगी तो तिरस्कार कर दिया.. वह भूखा ही वहां से चला गया। गांव के पास में एक शहर था.. उस शहर में संतों कि एक मंडली आई हुई थी.. वह लड़का वहां चला गया। संतों ने उसको भोजन कराया और पूछा कि तेरे परिवार में कौन हैं। उसने कहा कि कोई नहीं है.. संतों ने कहा तू भी साधु बन जा.. लड़का साधु बन गया। संतों ने ही उसके पढ़ने की व्यवस्था काशी में कर दी.. वह पढ़ने के लिए काशी चला गया वहां पढ़कर वह विद्वान हो गया। फिर कुछ समय बाद उसे महामंडलेश्वर महंत बन दिया गया। महामंडलेश्वर बनने के बाद एक दिन उसको उसी शहर में आने का आमंत्रण मिला.. वह अपनी मंडली लेकर वहां आये.. जिनके यहाँ वह बचपन में काम करते थे, वे ठाकुर बूढ़े हो गए थे। वह ठाकुर जी भी शहर में उनका सत्संग सुनने आए.. उनका सत्संग सुना और प्रार्थना की कि महाराज.. एक बार हमारी कुटिया में पधारो जिससे हमारी कुटिया पवित्र हो जाए ! महामंडलेश्वर जी ने उसका निमंत्रण स्वीकार कर लिया.. महामंडलेश्वर जी अपनी मंडली के साथ ठाकुर के घर पधारे। भोजन के लिए पंक्ति बैठी, भोजन मंत्र का पाठ हुआ.. फिर सबने भोजन करना आरंभ किया। महाराज के सामने तख़्त लगाया गया, और उस पर तरह-तरह के भोजन के पदार्थ रखे हुए थे। अब ठाकुर जी महाराज के पास आए साथ में नौकर था जिसके हाथ में हलवे का पात्र था। ठाकुर साहब प्रार्थना करने लगा कि महाराज कृपा करके थोड़ा सा हलवा मेरे हाथ से ले लो। महाराज को हंसी आ गई.. ठाकुर ने पूछा कि आप हँसे कैसे ? महाराज बोले कि, मेरे को पुरानी बातें याद आ गई इसलिए हंसा। ठाकुर साहब बोले महाराज यदि हमारे सुनने लायक बात हो तो हमें भी बताइए। महाराज ने सब संतो से कहा कि, भाई थोड़ा ठहर जाओ बैठे रहो, ठाकुर बात पूछता है, तो बताता हूं.. महाराज ने ठाकुर से पूछा कि, आपके कुटुंब में एक नौकर का परिवार रहा करता था उस परिवार में अब कोई है क्या ? ठाकुर बोले कि, केवल एक लड़का था.. और हमारे यहाँ उसने कई दिन बछड़े चराए.. फिर ना जाने कहाँ चला गया। बहुत दिन हो गए फिर कभी उसको देखा नहीं। महाराज बोले, कि मैं वही लड़का हूं। पास के शहर में संत-मंडली ठहरी हुई थी। मैं वहां चला गया। पीछे काशी चला गया वहां पढ़ाई की और फिर महामंडलेश्वर बन गया। यह वही आंगन है जहां आपकी नौकरानी ने मेरे को थोड़ी सी रबड़ी देने के लिए भी मना कर दिया था। अब मैं भी वही हुँ, आंगन भी वही है.. आप भी वही हैं..नवनीत पर अब आप अपने हाथों से मोहनभोग दे रहे हैं.. कि महाराज कृपा करके थोड़ा सा मेरे हाथ से ले लो ! मांगे मिले ना रबड़ी, करूं कहां लगी वरण। मोहनभोग गले में अटक्या, आ संतों की शरण।। सन्तो की शरण लेने मात्र से इतना हो गया कि जहां रबड़ी नहीं मिलती थी वहां मोहनभोग भी गले में अटक रहे हैं.. अगर कोई भगवान् की शरण ले ले, तो वह संतों का भी आदरणीय हो जाए.. लखपति करोड़पति बनने में सब स्वतंत्र नहीं हैं.. पर भगवान् की शरण होने में भगवान् का भक्त बनने में सब के सब स्वतंत्र हैं.. . और ऐसा मौका इस मनुष्य जन्म में ही है।। *यह ग्रुप एक प्रेरणा स्रोत और जिंदगी जीने के नजरिया को जाहिर करता है इस ग्रुप में हर रोज धार्मिक, प्रेरणादायक कहानियां और आत्मविश्वास से जुड़ी गाथा भेजी जाती है कृपया इस ग्रुप को लिंक से जॉइन करें* *`ऐसे और पोस्ट देखने के लिए जुड़िये एक कहानी सुंदर सी,,,, जुड़ने के लिए क्लिक करें 👇👇`* https://whatsapp.com/channel/0029VaA9AohDDmFX8KAAUY39 *हिन्दू है हम👇👇👇👇* https://whatsapp.com/channel/0029VbA8YzTDp2Q1k98Wyw3w *`हिंदी शायरियां ग्रुप को join/Follow करो`*👇👇👇👇👇👇 https://whatsapp.com/channel/0029Va4TOcPKQuJG8yI65p0q *आप चाहे किसी भी समाज से हो, अगर आप अपने समाज के किसी उभरते हुए व्यक्तित्व से जलते हो या उसकी निंदा करते हो तो आप निश्चित रूप से उस समाज के लिए कलंक हो ।* *सदैव प्रसन्न रहिये।* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।* 🙏🙏🙏🙏🌳🦚🦚🌳🙏🙏🙏
*🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐प्रभु पर विश्वास💐💐* कई बार हम निरर्थक एवं अंतहीन कामनाओं के कारण अनावश्यक चिंताओं और तनाव से घिर जाते हैं जबकि कामनाओं को त्याग कर हम सहज ही उस से मुक्त हो सकते हैं ।इसी बात को एक बोध कथा के माध्यम से बहुत सहज ही समझा जा सकता है। एक व्यापारी की बड़ी अच्छी स्थिति थी व्यवसाय चलता था खूब पैसा था, व्यवधान भी आते थे एक दिन नींद ना आई मन में चैन नहीं था, बहुत बेचैनी थी पत्नी ने सब देखा तो पूछा क्या बात है ? तो बहुत पूछने पर भी कुछ बताया नहीं; दूसरे दिन भी उसकी यही हालत थी तब पत्नी ने जिद की और कहा - आपको बताना होगा तब व्यापारी ने कहा यह मत पूछो अगर तुम सुनोगी तो तुम्हारी भी मेरी जैसी हालत हो जाएगी परंतु पत्नी के विशेष आग्रह करने पर उसने कहा कि एक दिन मेरे मन में आया कि यदि सारा काम बंद हो जाए तो अपनी स्थिति क्या रहेगी ? तब मैंने सब हिसाब लगाकर देख लिया कि अगर आज व्यवसाय बंद हो जाए तो नौ पीढ़ी तक काम चलने लायक धन होगा परंतु इसके बाद कुछ नहीं रहेगा, तब बच्चे क्या खाएंगे, फिर कैसे काम चलेगा - यही सोचकर मैं व्यथित हो गया हूं , मुझे चिंता हो रही है । पत्नी बुद्धिमती थी बोली - ठीक है अभी चिंता मत करो कल एक सन्त के पास चलेंगे उनसे अपनी समस्या का हल पूछ लेंगे, आज सो जाओ। पत्नी ने उन्हें किसी तरह सुला दिया। अगले दिन जब वे गाड़ी में बैठने लगे तो पत्नी महात्मा जी कोदेने के लिए गाड़ी में अन्न फल आदि सामान रखवाने लगी, यह देखकर पति ने कहा यह क्यों रखवा रही हो यह सब तो मैंने कल हिसाब में जोड़ा ही नहीं है। पति ने कहा - रोज तो जाना नहीं है ,बस आज ही ले चलना है , तो व्यापारी मान गया संत के आश्रम में दोनों पहुंचे। व्यापारी की पत्नी ने सब सामान देना चाहा तो संत उन्हें रोकते हुए अपने शिष्य से बोले जा भीतर गुरुवानी से पूछ तो आ कि कितना अन्न आदि शेष है ? शिष्य ने पूछ कर बताया कि आज रात तक के लिए सब है। कल सबेरे के लिए नहीं है तब संत ने कहा- हम तुम्हारी भेंट स्वीकार नहीं कर सकते; क्योंकि इसकी आवश्यकता नहीं है, पत्नी के विशेष आग्रह करने पर संत ने कहा कि कल की चिंता ठाकुर जी करेंगे । हां, यदि आज के लिए सामान नहीं होता तो मैं रख लेता । पत्नी से व्यापारी पति बोला - चलो अब चलते हैं ।अभी आपने अपने प्रश्न का समाधान तो पूछा ही नहीं । व्यापारी ने कहा अब उसकी जरूरत नहीं मुझे उसका समाधान मिल गया है। संत को कल की चिंता नहीं और मुझे नौ पीढ़ी के आगे की चिंता हो रही है - प्रभु पर विश्वास नहीं होने पर ही ऐसा होता है। *यह ग्रुप एक प्रेरणा स्रोत और जिंदगी जीने के नजरिया को जाहिर करता है इस ग्रुप में हर रोज धार्मिक, प्रेरणादायक कहानियां और आत्मविश्वास से जुड़ी गाथा भेजी जाती है कृपया इस ग्रुप को लिंक से जॉइन करें* *`ऐसे और पोस्ट देखने के लिए जुड़िये एक कहानी सुंदर सी,,,, जुड़ने के लिए क्लिक करें 👇👇`* https://whatsapp.com/channel/0029VaA9AohDDmFX8KAAUY39 *हिन्दू है हम👇👇👇👇* https://whatsapp.com/channel/0029VbA8YzTDp2Q1k98Wyw3w *`हिंदी शायरियां ग्रुप को join/Follow करो`*👇👇👇👇👇👇 https://whatsapp.com/channel/0029Va4TOcPKQuJG8yI65p0q *आप चाहे किसी भी समाज से हो, अगर आप अपने समाज के किसी उभरते हुए व्यक्तित्व से जलते हो या उसकी निंदा करते हो तो आप निश्चित रूप से उस समाज के लिए कलंक हो ।* *सदैव प्रसन्न रहिये।* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।* 🙏🙏🙏🙏🌳🦚🦚🌳🙏🙏🙏
*🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐आज वो घर पर है इसलिए💐💐* घर जाने के लिए निकला। अशांत और विचलित मन लिए सब्जी मंडी पहुँचा कुछ सब्जियाँ खरीदीं। आज कुछ देर हो गई थी तो घर पहुँचकर खिचड़ी अथवा मैगी बना लेने का विचार चल रहा था। पिछले सप्ताह के एक भी कपड़े धुले नहीं थे अतः 5-6 दिन से एक ही जीन्स को रगड़ रहा था। एक हाथ से काँधे पर लटके बैग को सम्हालता और दूसरे हाथ में दूध की थैली पकड़े पसीने से तरबतर चेहरा लिए घर पहुँचा। द्वार का ताला खोलना चाहा तो देखा, पल्ले भर भिड़के हुए थे, ताला खुला था। कुछ चिंतित हुआ। जैसे ही घर में प्रवेश किया तो यूँ लगा मानो स्वर्ग में आ गया हूँ। शंका हुई कि, किसी दूसरे के घर में तो नहीं आ गया ? खामोशी से अंदर के कमरे में गया। फ्रीज खोला तो भीतर की ठंडक चेहरे से टकराई। कोने में अचार रखा हुआ था। मैथी की भाजी बारीक और व्यवस्थित कतरी हुई करीने से रखी थी। सुबह तो फ्रीज में एक ठो बिस्किट पैकेट रखने की जगह नहीं थी, सारा फ्रीज भरा पड़ा था और अब देखो, साफ सुथरी जगह ही जगह थी। धीरे से साथ लाई हुई सब्जियाँ भी फ्रीज में ही रख दीं। कोने में रखी पानी की टंकी, जिसने हफ्ते भर से पानी का मुँह नहीं देखा था अब, पूरी भरी हुई चमक रही थी। तभी ध्यान गया कि पीछे पीछे अगरबत्ती की खुशबू भी चली आ रही थी, मन को आनंदित कर रही थी। अपना बैग एक कुर्सी पर पटका तो याद आया कि, सुबह अपना टॉवेल बिस्तर पर ही छोड़ दिया था, देखा तो वहाँ न होकर वह खिड़की के बाहर तार पर लटका सूख रहा था। अलमारी का पल्ला खोला जिसमें बिना धुले कपड़े थे लेकिन अब सारे ही धुले, इस्त्री किए व्यवस्थित रखे थे। सुबह एक रुमाल मिलकर नहीं दे रहा था और अब, अंदर साफसुथरे रुमाल पर रुमाल की गड्डी रखी हुई थी। सुबह सॉक्स की जोड़ी नहीं मिली तो अलग अलग डिजाइन के मोजे पहनकर निकल गया था लेकिन अब सारे सॉक्स एक स्थान पर उपस्थित पड़े मुझे देख मुस्कुरा रहे थे। लाल, पीली, नीली शर्ट्स बढ़िया हैंगर पर टंगी हुई थीं। धीरे से टीवी के सामने बैठा, टीवी जिसपर धूल की परतें जम गई थीं अब चमक रहा था और स्क्रीन पर चित्र भी स्पष्ट दिख रहे थे। प्यास लगी तो पानी पीने किचिन में पहुँचा, जिस किचिन में लहसुन, प्याज और न जाने किस किस किस्म की गंध भरी रहती थी, अब भूख जगा देने वाले भोजन की सुगंध से महक रहा था। भावनाओं में बहता, बाहर आकर टीवी के सामने एक चेयर पर बैठ गया और अपनी आँखें बंद कर लीं और सोचने लगा। फिर आँखें खोलकर अपनी ही बाँह पर चिमटी ली कि, कहीं ये सब स्वप्न तो नहीं। तभी गरमागरम पकौड़ों की प्लेट और भाप निकलती चाय किसी ने सामने टेबल पर रख दी। भीतर का अहम जैसे जर्रा जर्रा होकर बिखर गया। जब थककर आता था तो जैसे तैसे दही चावल पर गुजारा कर लिया करता था और आज भाप निकलती स्वादिष्ट चाय और गरम पकौड़ों का आनंद ले रहा था। न चाहते हुए भी आँसू की दो बूंदें आँखों से निकलकर गालों पर बह निकलीं। फिर खुद को सम्हाला तो अहसास हुआ..... " #आज_वो_घर_पर_है_इसलिए !!! " संसार के सारे सुख और समृद्धि की प्रदाता वो... किसी के लिए माँ, किसी की पत्नी, किसी की बहन, तो किसी के लिए बेटी है। आप कितने ही बड़े हों, महान हों लेकिन सुखमय जीवन के लिए किसी न किसी रूप में एक स्त्री आपके जीवन में अतिआवश्यक है। वो किसी भी रूप में हो मगर, घर को घर वही बनाती है। *यह ग्रुप एक प्रेरणा स्रोत और जिंदगी जीने के नजरिया को जाहिर करता है इस ग्रुप में हर रोज धार्मिक, प्रेरणादायक कहानियां और आत्मविश्वास से जुड़ी गाथा भेजी जाती है कृपया इस ग्रुप को लिंक से जॉइन करें* *`ऐसे और पोस्ट देखने के लिए जुड़िये एक कहानी सुंदर सी,,,, जुड़ने के लिए क्लिक करें 👇👇`* https://whatsapp.com/channel/0029VaA9AohDDmFX8KAAUY39 *हिन्दू है हम👇👇👇👇* https://whatsapp.com/channel/0029VbA8YzTDp2Q1k98Wyw3w *`हिंदी शायरियां ग्रुप को join/Follow करो`*👇👇👇👇👇👇 https://whatsapp.com/channel/0029Va4TOcPKQuJG8yI65p0q *आप चाहे किसी भी समाज से हो, अगर आप अपने समाज के किसी उभरते हुए व्यक्तित्व से जलते हो या उसकी निंदा करते हो तो आप निश्चित रूप से उस समाज के लिए कलंक हो ।* *सदैव प्रसन्न रहिये।* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।* 🙏🙏🙏🙏🌳🦚🦚🌳🙏🙏🙏
*सभी सदस्य को समजने ,पढ़ने लायक जीवन में उतारने लायक* *य़े ताजा exp है समाज को* *$$* अभी आप लोगों ने सुना होगा कि पंचकूला में एक ही परिवार के 7 लोगों ने आत्महत्या कर ली बंद कार में । इसमें दो छोटे मासूम बच्चे थे और दो वृद्ध थे जिसमें इन बच्चों के दादा दादी थे । यह परिवार कर्जे से दबा हुआ था । हर जगह से कर्ज ले लिया था इन्होंने । बच्चे देहरादून के बड़े स्कूल में पढ़ते थे । अपना कर्जा की समस्या लेकर बागेश्वर सरकार के पास गए थे जो पंचकुला में आये थे । लेकिन पर्ची नहीं निकल पाई तो इनका अंतिम आस भी चला गया और अंत में लौटते समय इन्होंने जहर खा लिया । आप ये सोच सकते हैं कि उस परिवार ने यह कदम कितना असहाय होकर उठाया होगा । क्या इसका दोषी समाज है ? क्या इसके दोषी बागेश्वर बाबा हैं ? क्या इसके दोषी बैंक वाले हैं जो अपना कर्जा माँग रहे थे ? क्या इसके दोषी वह रिश्तेदार हैं जिन्होंने गाढ़े समय इनको 50,000 रुपये देकर मदद की ? क्या इसके दोषी इस व्यक्ति के ससुराल वाले हैं जो इनकी मदद प्रति महीने 15000 रुपये भेजकर करते थे ?? क्या इसका दोषी मोदी सरकार है ? क्या इसका दोषी यह देश है ? नहीं इनमें से कोई नहीं है । दोषी केवल इनकी बढ़ती हुई महत्वकांक्षा । स्वयं को समाज में प्रतिष्ठित करने की महत्वकांक्षा । इनके बच्चे देहरादून के नामी स्कूल में पढ़ रहे थे । पड़ोसियों ने बताया कि पहले इनके ऐश्वर्य में कोई कमी नहीं थी । खुलकर मस्ती , खर्च इत्यादि करते थे । आजकल समाज में इसको बहुत सम्मान सूचक बना दिया गया कि अमुक व्यक्ति अपना पेट काटकर अपने बच्चे को बहुत बड़े स्कूल में पढ़ा रहा है । क्यों भाई क्यों ?? क्यों सम्मानसूचक है यह ?? उतना ही खर्च करो न जितनी तुम्हारी औकात हो । तेते पाँव पसारिये , जेती लांबी सौर । पेट काटकर कितना भी पढ़ा लो , अगर वह खराब निकल गया और संस्कार नहीं दिया गया तो उसी कटे पेट पर वह लात मारेगा या फिर जीवन में कभी अपने संघर्षों से आत्महत्या कर लेगा । जो व्यक्ति मरा है , उसके पिता ने भी उसे पेट काटकर business करवाया होगा और आज उसके कुल में कोई दीपक जलाने वाला तक नहीं बचा । तो क्यों किसी को दिखाने की ललक ? . कोई क्या कर लेगा देखकर ? क्यों किसी मध्यम स्कूल में न पढ़ाना ? आज क्या काम आया पेट काटना ? तीनों बच्चों को झोंक दिया मृत्यु के मुँह में । पेट काटना काम आया ? जो काम 500 के शर्ट पैंट या साड़ी से चल सकता है , उसे क्यों आवश्यक है 5000 रुपये में खरीदने से ? जिस समाज को दिखाने के लिए आप इतनी महँगी महँगी वस्तु लेते हैं , क्या वह समाज आपके काम आया ?? बल्कि वही समाज आपकी आत्महत्या का कारण बनता है । क्यों ?? क्योंकि आपने पहले ही उसको दिखाकर उसकी expectation को बढ़ा दिया है । अब आपको डर है कि अगर वह उसे नहीं दिखा तो वह समाज आपको देखकर क्या कहेगा , मजाक उड़ाएगा और यही आपको आत्महत्या को बाध्य करता है । अब देखिए , यह बागेश्वर बाबा के पास गए । आपको केवल यही दिखेगा कि पता नहीं इतनी पूजा करने वालों के साथ ऐसा क्यों होता है ?? क्योंकि आपने तब देखा जब वह परेशान होकर , असहाय होकर बागेश्वर बाबा के पास गया , आपने तब नहीं देखा था जब इस परिवार के पास सब कुछ था , और तब इससे कहा जाता था कि चले जाओ किसी संत के पास , उससे जीवन जीने की शिक्षा लो, तब इसी व्यक्ति ने तरह तरह के बहाने BUSINESS और परिवार को लेकर बनाये होंगे । तो इसलिए जीवन यापन के साथ साथ जीवन जीने की भी शिक्षा लीजिये कि विकट परिस्थितियों में क्या करना है । अगर इस परिवार के पास अध्यात्म होता तो यह नौबत ही नहीं आती । वह इस परिस्थिति से पार हो जाता । और सभी को यह सख़्त निर्देश है कि जितने लोग मुझसे जुड़े हैं , वह अपनी महत्वकांक्षा पर काबू रखें । जितने कम में आपका जीवन निर्वहन हो जाये , बस उतना ही खर्च करें । खर्चे कम करें और अपनी savings पर ध्यान दें । संसार को दिखाने के लिए जीवन न नष्ट करें । कोई काम नहीं आएगा । शरीर की बजाय आत्मा के लिए खर्च करें । शरीर को सजाने की बजाय आत्मा को सजाएँ । अगर यह ठीक रहा तो शरीर स्वतः ही सजा रहेगा । अगर आप 10,000 महीना कमाते हैं तो कम से कम 3 से 5 हज़ार तक की बचत करें । लोभ में न जायें । दिखावे पर मत जाएं । बाहर का भोजन करने से बचें । इससे आप हज़ारों बचा सकते हैं । 200 अगर आप खर्च कर रहै हैंन बाहर के भोजन में तो इसमें 3 kg आटा आ जायेगा और 2 kg सब्जी आ जायेगी जिससे आप हफ्तों खा सकते हैं । कपड़े कम से कम । सामान कम से कम जो आप utilise कर सकें । कबाड़ कम से कम इकट्ठा करें । अन्यथा यह संसार को रिझाने में ही जायेगा । एक बात ध्यान रखिये कि कभी भी ऋण मत लीजिये । जितना आप कमा रहे हैं बस उतना ही खर्च करें । अपनी Savings पर सब ध्यान रखें । और सबसे मुख्य बात भगवान या अध्यात्म से सम्पर्क कभी भी न तोड़ें । अगर तोड़ा तो सांसों की डोर टूटने में अधिक समय नहीं लगेगा