एक कहानी सुंदर सी
May 31, 2025 at 10:06 AM
*सभी सदस्य को समजने ,पढ़ने लायक जीवन में उतारने लायक* *य़े ताजा exp है समाज को* *$$* अभी आप लोगों ने सुना होगा कि पंचकूला में एक ही परिवार के 7 लोगों ने आत्महत्या कर ली बंद कार में । इसमें दो छोटे मासूम बच्चे थे और दो वृद्ध थे जिसमें इन बच्चों के दादा दादी थे । यह परिवार कर्जे से दबा हुआ था । हर जगह से कर्ज ले लिया था इन्होंने । बच्चे देहरादून के बड़े स्कूल में पढ़ते थे । अपना कर्जा की समस्या लेकर बागेश्वर सरकार के पास गए थे जो पंचकुला में आये थे । लेकिन पर्ची नहीं निकल पाई तो इनका अंतिम आस भी चला गया और अंत में लौटते समय इन्होंने जहर खा लिया । आप ये सोच सकते हैं कि उस परिवार ने यह कदम कितना असहाय होकर उठाया होगा । क्या इसका दोषी समाज है ? क्या इसके दोषी बागेश्वर बाबा हैं ? क्या इसके दोषी बैंक वाले हैं जो अपना कर्जा माँग रहे थे ? क्या इसके दोषी वह रिश्तेदार हैं जिन्होंने गाढ़े समय इनको 50,000 रुपये देकर मदद की ? क्या इसके दोषी इस व्यक्ति के ससुराल वाले हैं जो इनकी मदद प्रति महीने 15000 रुपये भेजकर करते थे ?? क्या इसका दोषी मोदी सरकार है ? क्या इसका दोषी यह देश है ? नहीं इनमें से कोई नहीं है । दोषी केवल इनकी बढ़ती हुई महत्वकांक्षा । स्वयं को समाज में प्रतिष्ठित करने की महत्वकांक्षा । इनके बच्चे देहरादून के नामी स्कूल में पढ़ रहे थे । पड़ोसियों ने बताया कि पहले इनके ऐश्वर्य में कोई कमी नहीं थी । खुलकर मस्ती , खर्च इत्यादि करते थे । आजकल समाज में इसको बहुत सम्मान सूचक बना दिया गया कि अमुक व्यक्ति अपना पेट काटकर अपने बच्चे को बहुत बड़े स्कूल में पढ़ा रहा है । क्यों भाई क्यों ?? क्यों सम्मानसूचक है यह ?? उतना ही खर्च करो न जितनी तुम्हारी औकात हो । तेते पाँव पसारिये , जेती लांबी सौर । पेट काटकर कितना भी पढ़ा लो , अगर वह खराब निकल गया और संस्कार नहीं दिया गया तो उसी कटे पेट पर वह लात मारेगा या फिर जीवन में कभी अपने संघर्षों से आत्महत्या कर लेगा । जो व्यक्ति मरा है , उसके पिता ने भी उसे पेट काटकर business करवाया होगा और आज उसके कुल में कोई दीपक जलाने वाला तक नहीं बचा । तो क्यों किसी को दिखाने की ललक ? . कोई क्या कर लेगा देखकर ? क्यों किसी मध्यम स्कूल में न पढ़ाना ? आज क्या काम आया पेट काटना ? तीनों बच्चों को झोंक दिया मृत्यु के मुँह में । पेट काटना काम आया ? जो काम 500 के शर्ट पैंट या साड़ी से चल सकता है , उसे क्यों आवश्यक है 5000 रुपये में खरीदने से ? जिस समाज को दिखाने के लिए आप इतनी महँगी महँगी वस्तु लेते हैं , क्या वह समाज आपके काम आया ?? बल्कि वही समाज आपकी आत्महत्या का कारण बनता है । क्यों ?? क्योंकि आपने पहले ही उसको दिखाकर उसकी expectation को बढ़ा दिया है । अब आपको डर है कि अगर वह उसे नहीं दिखा तो वह समाज आपको देखकर क्या कहेगा , मजाक उड़ाएगा और यही आपको आत्महत्या को बाध्य करता है । अब देखिए , यह बागेश्वर बाबा के पास गए । आपको केवल यही दिखेगा कि पता नहीं इतनी पूजा करने वालों के साथ ऐसा क्यों होता है ?? क्योंकि आपने तब देखा जब वह परेशान होकर , असहाय होकर बागेश्वर बाबा के पास गया , आपने तब नहीं देखा था जब इस परिवार के पास सब कुछ था , और तब इससे कहा जाता था कि चले जाओ किसी संत के पास , उससे जीवन जीने की शिक्षा लो, तब इसी व्यक्ति ने तरह तरह के बहाने BUSINESS और परिवार को लेकर बनाये होंगे । तो इसलिए जीवन यापन के साथ साथ जीवन जीने की भी शिक्षा लीजिये कि विकट परिस्थितियों में क्या करना है । अगर इस परिवार के पास अध्यात्म होता तो यह नौबत ही नहीं आती । वह इस परिस्थिति से पार हो जाता । और सभी को यह सख़्त निर्देश है कि जितने लोग मुझसे जुड़े हैं , वह अपनी महत्वकांक्षा पर काबू रखें । जितने कम में आपका जीवन निर्वहन हो जाये , बस उतना ही खर्च करें । खर्चे कम करें और अपनी savings पर ध्यान दें । संसार को दिखाने के लिए जीवन न नष्ट करें । कोई काम नहीं आएगा । शरीर की बजाय आत्मा के लिए खर्च करें । शरीर को सजाने की बजाय आत्मा को सजाएँ । अगर यह ठीक रहा तो शरीर स्वतः ही सजा रहेगा । अगर आप 10,000 महीना कमाते हैं तो कम से कम 3 से 5 हज़ार तक की बचत करें । लोभ में न जायें । दिखावे पर मत जाएं । बाहर का भोजन करने से बचें । इससे आप हज़ारों बचा सकते हैं । 200 अगर आप खर्च कर रहै हैंन बाहर के भोजन में तो इसमें 3 kg आटा आ जायेगा और 2 kg सब्जी आ जायेगी जिससे आप हफ्तों खा सकते हैं । कपड़े कम से कम । सामान कम से कम जो आप utilise कर सकें । कबाड़ कम से कम इकट्ठा करें । अन्यथा यह संसार को रिझाने में ही जायेगा । एक बात ध्यान रखिये कि कभी भी ऋण मत लीजिये । जितना आप कमा रहे हैं बस उतना ही खर्च करें । अपनी Savings पर सब ध्यान रखें । और सबसे मुख्य बात भगवान या अध्यात्म से सम्पर्क कभी भी न तोड़ें । अगर तोड़ा तो सांसों की डोर टूटने में अधिक समय नहीं लगेगा
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