
हिंद कि खोज
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"धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः । तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्".
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*┈┉सनातन धर्म की जय,हिंदू ही सनातनी है┉┈* *लेख क्र.-सधस/२०८१/माघ/शु./६-१६९०७* *┈┉══════❀((""ॐ""))❀══════┉┈* *❇️स्वदेशी चिकित्सा❇️* *✔️चूना खाने के फायदे😊* ☝🏻✔️भारत के जो लोग चूने से पान खाते हैं, बहुत होशियार लोग हैं, पर तंबाकू नही खाना😳☝🏻, तम्बाकू जहर हैं और चूना अमृत हैं, ✔️तो चूना खाइए, तम्बाकू मत खाइए और पान खाइए चूने का उसमें कत्था मत लगाइए, कत्था कैंसर करता हैं, पान में सुपारी मत डालिए सोंट डालिए, उसमें इलाइची, लौंग, केसर डालिए ।😊✔️ ☝🏻✔️महिलाओं के लिए गर्भाशय की बीमारियों में यह बहुत अच्छा कार्य करता हैं जैसे कि सफेद पानी आना, लाल पानी आना, माहवारी आगे-पीछे होना,😳 गर्भाशय में गांठ बन जाना तथा अन्य सभी गर्भाशय से जुड़ी बीमारियों को चुना ठीक करता हैं। 😊☝🏻✔️बाल टूटना, चेहरे के मुहांसे, हड्डी के टूटने पर, जोड़ो के दर्द में, हीमोग्लोबिन का प्रतिशत कम हो तो, हैपेटाइटिस A,B,C,D,E स्मरण शक्ति कम हो तो, हाथी पैर हो गया तो इन सब बीमारियों में चुना दही में अथवा पानी में मिला कर लेना चाहिए।😳✔️ पुरूषों में शुक्राणु बढ़ाने के लिए चूना गन्ने या संतरे या मौसमी के रस में लेना चाहिए। १४ साल से कम आयु के बच्चे जिनका कद छोटा हो, महिलाए जिनमें वक्ष का कम विकास हो, दांतों की किसी भी तरह की समस्या, इन सबमें में चूनेका सेवन करना लाभदायक हैं। मात्रा - एक गेहूँ के दाने बराबर दिन में एक बार जोड़ो का दर्द यदि बहुत पुराना हो भले २० से ३० वर्ष पुराना हो या जब डॉक्टर कहे कि घुटने बलदने पडेंगे 😳☝🏻उस समय चूना काम नहीं करेगा। उसको चूने की जगह हारश्रृंगार के पत्तों का काढ़ा देना पड़ेगा। इस पेड़ के ७-८ पत्तों को बारीक पीस कर चटनी जैसा बनाकर एक गिलास पानी में उबालें, आधा गिलास रह जाने पर सुबह खाली पेट पी लें।😳☝🏻 तीन महीने में यह समस्या बिल्कुल ठीक हो जायेगी। किसी तरह का बुखार होने की स्थिति में भी यह काढ़ा काम करता हैं। उस स्थिति में ७-८ दिन ही देना हैं।✔️😊 ▬▬▬▬▬▬๑⁂❋⁂๑▬▬▬▬▬▬ *जनजागृति हेतु लेख प्रसारण अवश्य करें* इन्द्रियाणि मनो बुद्धिरस्याधिष्ठानमुच्यते । एतैर्विमोहयत्येष ज्ञानमावृत्य देहिनम् ॥ *शंकर भगवानजी की जय* *⛳⚜सनातन धर्मरक्षक समिति⚜⛳*

👑⚔️🚩हिन्दू राष्ट्र इसलिए बनाना है जरुरी ● कट्टर हिन्दू शेर Raja Bhaiya ने प्रयागराज महाकुंभ में सनातन की रक्षा को शस्त्र उठाने का किया आवाहन Video viral. 🚨जहां मुसलमानों की आबादी कम है, वहां सभी बड़े प्रेम से रहते हैं। लेकिन जहां उनकी आबादी ज्यादा है, तो वहां उनका असली रंग देखने को मिलता है। उस जगह पर वे हिंदू लड़कियों को निशाना बनाते हैं। हिंदू परिवारों को परेशान करके उनके घरों की जमीन पर कब्जा कर लेते हैं। जब कोई उनके खिलाफ आवाज उठाता है, तो या तो उसे मार दिया जाता है या फिर वामपंथी उनके समर्थन में आ जाते हैं और उस राज्य की सरकार भी वोट के लिए उनका समर्थन करती है। आज पूरे भारत में यही हो रहा है। इसके कुछ उदाहरण जैसे कश्मीर, पश्चिम बंगाल, केरल, बांग्लादेश और अन्य राज्य, भले ही अब उनकी आबादी कम है, लेकिन वे वहां दंगे करने में पीछे नहीं रहते। ये लोग मुसलमानों के अलावा कभी किसी को बर्दाश्त नहीं कर सकते। इस देश में ये सब देखकर हिंदू बिल्कुल टेंशन फ्री हैं। जब तक ये लोग उनके दरवाजे पर नहीं आएंगे, तब तक उनकी नींद नहीं खुलेगी और जब तक उनकी नींद नहीं खुलेगी, हिंदू कुछ नहीं कर पाएंगे। 👑⚔️🚩𝗝𝗢𝗜𝗡 | @Hindu_Forum

हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा क्यों? ﹌﹌﹌﹌﹌﹌﹌﹌﹌﹌﹌﹌﹌﹌﹌ अद्भुत रामायण में एक कथा का उल्लेख मिलता है, जिसमें मंगलवार की सुबह जब हनुमानजी को भूख लगी, तो वे माता जानकी के पास कुछ कलेवा पाने के लिए पहुंचे। सीता माता की मांग में लगा सिंदूर देखकर हनुमानजी ने उनसे आश्चर्यपूर्वक पूछा- "माता! मांग में आपने यह कौन-सा लाल द्रव्य लगाया है?" इस पर सीता माता ने प्रसन्नतापूर्वक कहा "पुत्र! यह सुहागिन स्त्रियों का प्रतीक, मंगल सूचक, सौभाग्यवर्धक सिंदूर है, जो स्वामी के दीर्घायु के लिए जीवनपर्यंत मांग में लगाया जाता है। इससे वे मुझ पर प्रसन्न रहते हैं।" हनुमानजी ने यह जानकर विचार किया कि जब अंगुली भर सिंदूर लगाने से स्वामी की आयु में वृद्धि होती है, तो फिर क्यों न सारे शरीर पर इसे लगाकर अपने स्वामी भगवान् श्रीराम को अजर-अमर कर दूं। उन्होंने जैसा सोचा, वैसा ही कर दिखाया। अपने सारे शरीर पर सिंदूर पोतकर भगवान् श्रीराम की सभा में पहुंच गए। उन्हें इस प्रकार सिंदूरी रंग में रंगा देखकर सभा में उपस्थित सभी लोग हंसे, यहां तक कि भगवान् राम भी उन्हें देखकर मुस्कराए और बहुत प्रसन्न हुए। उनके सरल भाव पर मुग्ध होकर उन्होंने यह घोषणा की कि जो मंगलवार के दिन मेरे अनन्य प्रिय हनुमान को तेल और सिंदूर चढ़ाएंगे, उन्हें मेरी प्रसन्नता प्राप्त होगी और उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। इस पर माता जानकी के वचनों में हनुमानजी को और भी अधिक दृढ़ विश्वास हो गया। कहा जाता है कि उसी समय से भगवान् श्रीराम के प्रति हनुमानजी की अनुपम स्वामिभक्ति को याद करने के लिए उनके सारे शरीर पर चमेली के तेल में घोलकर सिंदूर लगाया जाता है। इसे चोला चढ़ाना भी कहते है।

बसंत पंचमी से जुड़ी कुछ अनोखी और अनसुनी बातें: कामदेव और रति की कथा – बसंत पंचमी को प्रेम के देवता कामदेव और उनकी पत्नी रति से भी जोड़ा जाता है। माना जाता है कि इसी दिन कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग करने के लिए अपने प्रेम बाण चलाए थे। पीले रंग का वैज्ञानिक कारण – बसंत पंचमी पर पीला रंग पहनने की परंपरा सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक भी है। इस समय खेतों में सरसों के पीले फूल खिलते हैं और सूर्य की किरणों का प्रभाव अधिक होने से यह रंग मानसिक ऊर्जा और सकारात्मकता को बढ़ाता है। संगीत और विद्या की देवी सरस्वती – पुराणों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना के बाद जब चारों ओर सन्नाटा देखा, तब उन्होंने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे मां सरस्वती प्रकट हुईं और सृष्टि में वाणी व संगीत का संचार किया। इसलिए यह दिन विद्या और कला के लिए शुभ माना जाता है। पहली बार पढ़ाई की शुरुआत – बसंत पंचमी पर छोटे बच्चों को पहली बार 'अक्षर ज्ञान' कराया जाता है, जिसे ‘विद्या आरंभ’ कहते हैं। यह परंपरा खासतौर पर बंगाल और ओडिशा में अधिक प्रचलित है। पतंग उड़ाने की परंपरा – उत्तर भारत में इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा भी है। यह परंपरा इसलिए बनी क्योंकि इस समय सूर्य की किरणें लाभकारी होती हैं और पतंग उड़ाने से लोग खुले में जाकर धूप का लाभ लेते हैं, जिससे शरीर में ऊर्जा और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। गंगा नदी से जुड़ा संबंध – कुछ किंवदंतियों के अनुसार, इस दिन गंगा नदी पृथ्वी पर अवतरित हुई थी, इसलिए कई लोग बसंत पंचमी को गंगा स्नान का विशेष महत्व मानते हैं। सिखों में भी खास मान्यता – गुरु गोविंद सिंह जी ने बसंत पंचमी के दिन पटना साहिब में एक बड़ा आयोजन किया था। इस दिन निहंग सिख पारंपरिक नीला और पीला पहनकर खास ‘बसंती’ परेड निकालते हैं। यह अनसुनी बातें बसंत पंचमी को और खास बना देती हैं।