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भास्कर नालेज प्रोटीन शेक सेहत के लिए क्या वाकई फायदेमंद हैं? नई दिल्ली | प्रोटीन शेक मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने और उनकी रिकवरी में सहायक होता है। कसरत करने वालों को प्रोटीन सप्लीमेंट लेने की सलाह दी जाती है। लेकिन क्या प्रोटीन सप्लीमेंट शरीर के लिए संपूर्ण आहार हैं। क्या यह शरीर के लिए वाकई फायदेमंद हैं? आइए जानते हैं... प्रोटीन शेक की जरूरत किन्हें सबसे ज्यादा? डायटिशियन एमी ब्रैगाग्निनी बताती हैं कि कसरत करने वालों को प्रोटीन की ज्यादा आवश्यकता होती है। व्यायाम के बाद आपके पास ब्रेकफास्ट बनाने का समय नहीं है, तो प्रोटीन शेक कम समय में बनाया जा सकता है। ऊर्जा की कमी को दूर करने में कुछ हद तक सहायक है। लेकिन यह एनर्जी का संपूर्ण स्रोत नहीं है। क्या आहार का पूरक होते हैं प्रोटीन शेक? चिकित्सक डॉ. शैनन डाउलर बताती हैं कि भले ही प्रोटीन शरीर के लिए जरूरी है। पर प्रोटीन शेक या सप्लीमेंट कभी भी पोषक तत्वों से भरपूर आहार की जगह कभी नहीं ले सकते। खासकर जब आपको वास्तव में अधिक प्रोटीन की आवश्यकता है। यह सिर्फ कुपोषण, अत्यधिक थकान की स्थिति में या कीमोथैरेपी उपचार के समय सहायक हो सकते हैं। प्रोटीन शेक से सभी पोषक तत्वों की पूर्ति संभव ? यदि आप ये सोचें कि प्रोटीन शेक के पर्याप्त सेवन से आपके शरीर को सारे पोषक तत्व मिल रहे हैं, तो आप सही नहीं हैं। प्रोटीन शेक या सप्लीमेंट अन्य पोषक तत्वों की कमी को शत प्रतिशत कभी पूरा नहीं करते। इसलिए प्रोटीन शेक को आहार का विकल्प न बनाएं। प्रोटीन सप्लीमेंट के क्या हो सकते हैं अन्य विकल्प? प्रोटीन पाउडर अत्यधिक प्रोसेस्ड होते हैं। अत्यधिक प्रोटीन के सेवन से पाचन तंत्र में समस्याएं हो सकती हैं। किडनी पर भी यह प्रभाव डाल सकते हैं। अत्यधिक मात्रा में प्रोटीन का सेवन किडनी पर दबाव डाल सकता है। ब्रैगाग्निनी बताती हैं कि ग्रीक दही, अलसी, चिया बीज, मूंगफली प्रोटीन पाउडर का बेहतर विकल्प हैं। टेलीग्राम चैनल https://telegram.me/HealthyWorld9 व्हाट्सएप चैनल https://whatsapp.com/channel/0029Va5qDaECsU9SNTLEWE3Z

72 घंटे का उपवास: मस्तिष्क के लिए प्राकृतिक इलाज क्या आप जानते हैं कि 72 घंटे का उपवास आपके मस्तिष्क के लिए एक प्राकृतिक इलाज है? यह नशे की लत, डिप्रेशन और चिंता को बिना किसी दवा के दूर कर सकता है। यह थेरेपी है—बिना थेरेपिस्ट के। लेकिन उपवास को सही तरीके से करना ज़रूरी है। आइए समझते हैं कि यह कैसे काम करता है। उपवास सिर्फ वज़न घटाने के लिए नहीं है अधिकांश लोग सोचते हैं कि उपवास का उद्देश्य सिर्फ वजन घटाना या पाचन तंत्र को आराम देना है। लेकिन असली “जादू” हमारे शरीर के सेलुलर स्तर पर होता है, जिसे ऑटोफैजी (Autophagy) कहा जाता है। ऑटोफैजी: मस्तिष्क की सफाई प्रक्रिया ऑटोफैजी आपके मस्तिष्क की अंदरूनी डिटॉक्स मोड है। यह खराब सेल्स, टूटी हुई माइटोकॉन्ड्रिया, और उन प्रोटीन को साफ करती है जो अल्ज़ाइमर, थकान और डिप्रेशन से जुड़े होते हैं। आप सिर्फ खाना नहीं छोड़ रहे—आप मानसिक कचरे को हटा रहे हैं। 72 घंटे का उपवास क्या करता है? तीन दिन का उपवास मस्तिष्क के लिए एक गहन मरम्मत प्रक्रिया की तरह है। इस दौरान सक्रिय होता है BDNF (Brain-Derived Neurotrophic Factor)—एक हार्मोन जो नई न्यूरॉन्स बनाने में मदद करता है: याददाश्त तेज करता है मूड बेहतर करता है न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से बचाव करता है उपवास कैसे करें: चरण-दर-चरण 🔹 शुरू करने से पहले (2–3 दिन की तैयारी) 16:8 इंटरमिटेंट फास्टिंग अपनाएं कार्ब्स कम करें, हेल्दी फैट्स बढ़ाएं नींद और पानी पर ध्यान दें यह सब शरीर को धीरे-धीरे कीटोसिस में प्रवेश करने में मदद करेगा और पहले दिन की तकलीफ़ को कम करेगा। 🥇 दिन 1: मानसिक क्रैश आपका मस्तिष्क घबरा जाता है। खाने का मतलब होता है डोपामिन—अब वो नहीं मिल रहा। आप चिड़चिड़े, थके हुए और बेचैन महसूस करेंगे। यह असफलता नहीं है—यह विथड्रॉअल है। 👉 यह वही समय है जब मस्तिष्क की लत टूटती है। हाइड्रेट रहें, टहलें, स्क्रीन से दूर रहें। 🥈 दिन 2: स्विच ऑन अब आपका शरीर फैट को जलाने लगता है। कीटोसिस शुरू होती है। आपका मस्तिष्क अब शुगर की जगह कीटोन्स से ऊर्जा लेने लगता है: मानसिक स्पष्टता भूख कम चिंता में राहत 👉 अब आप टूट नहीं रहे—आप रीसेट हो रहे हैं। 🥉 दिन 3: ब्रेन रिबूट यह वह स्तर है जहां अधिकांश लोग पहुंच ही नहीं पाते। आप शांत, केंद्रित, सतर्क और यहां तक कि हल्की-सी यूफोरिया (आनंदानुभूति) महसूस करते हैं। कोई दवा नहीं कोई ऐप नहीं सिर्फ बायोलॉजी 👉 अब आपका मस्तिष्क खुद को साफ कर रहा है। BDNF तेजी से बढ़ रहा है—यही आपकी याददाश्त, मूड और लर्निंग को सुधारता है। 72 घंटे बाद आपको क्या महसूस होगा: आंतरिक शांति तेज़ सोच बाहरी व्याकुलताओं से दूरी संतुलित डोपामिन स्तर अब आप प्रतिक्रिया देना बंद करते हैं—और चुनाव करना शुरू करते हैं। उपवास का असली लाभ क्या है? लोग सोचते हैं उपवास भोजन का त्याग है, लेकिन असली परिवर्तन मस्तिष्क में होता है। यह आपके तनाव प्रतिक्रिया तंत्र को रीसेट करता है। सोचिए: अगर आप ओवरस्टिम्युलेशन से मुक्त हो जाएं तो आप क्या बन सकते हैं? क्या खा सकते हैं 72 घंटे के उपवास में? शुद्ध पानी (सादा या स्पार्कलिंग) ब्लैक कॉफ़ी (बिना चीनी या क्रीम) सादा हर्बल या ग्रीन टी इलेक्ट्रोलाइट्स (बिना मिठास) 👉 शुद्ध उपवास करने वाले सिर्फ पानी लेते हैं। उपवास तोड़ना कैसे है? सूप से शुरुआत करें 1 घंटे बाद—1-2 उबले अंडे या एवोकाडो लें फिर 1 घंटे बाद—एक छोटा प्रोटीन और फैट वाला भोजन कम से कम 24 घंटे तक कार्ब्स, चीनी और प्रोसेस्ड फूड से दूर रहें अनुभव से सीखा गया: "पहली बार 72 घंटे का उपवास करना कठिन होता है। दूसरी बार चुनौतीपूर्ण होता है लेकिन संभाल सकते हैं। तीसरी बार, आपको खुद हैरानी होगी कि यह कितना आसान लगता है।" 👉 शरीर सीखता है, और हर बार यह आसान होता जाता है। और सबसे अच्छी बात? लाभ धीरे-धीरे बढ़ते हैं। निष्कर्ष: 72 घंटे का उपवास सिर्फ उपवास नहीं है—यह मस्तिष्क की मरम्मत है। यह एक नशे से बाहर निकलने, मानसिक स्पष्टता पाने और जीवन में फिर से नियंत्रण पाने का तरीका है। टेलीग्राम चैनल https://telegram.me/HealthyWorld9 व्हाट्सएप चैनल https://whatsapp.com/channel/0029Va5qDaECsU9SNTLEWE3Z