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*चलो कुंभ की ओर!* प्रिय सनातनी हिंदू भाइयों और बहनों, धर्म और आस्था के सबसे पवित्र पर्व *कुंभ मेले* की तैयारी शुरू हो चुकी है। यह केवल एक मेला नहीं है, यह *हमारी संस्कृति, हमारे वेदों, और हमारी पहचान* का जीवंत उत्सव है। *हर सनातनी का कर्तव्य है कि वह इस महापर्व का हिस्सा बने।* 🌊 *गंगा, यमुना, और सरस्वती के संगम में स्नान करें* और अपने जीवन को पवित्र करें। 🕉️ *साधु-संतों के सान्निध्य में बैठें* और उनके अमूल्य विचारों से प्रेरणा लें। 🙏 *अपने धर्म, संस्कृति, और परंपराओं का सम्मान करें और इसे आगे बढ़ाएं।* 💌 *हर सनातनी से निवेदन है:* - इस भावनात्मक संदेश को हर घर तक पहुँचाएं। - अपने दोस्तों, परिवार, और सभी प्रियजनों से इसे साझा करें। - अधिक जानकारी और कुंभ मेले से जुड़ी हर खबर के लिए *https://kumbh.co.in* पर जाएं। *"चलो कुंभ की ओर, चलो संस्कृति की ओर।"* हर सनातनी के लिए यह मेला सिर्फ आस्था का नहीं, बल्कि *जीवन का सबसे बड़ा अवसर* है। *हर हर गंगे! 🙏* --- आप इस संदेश को अपने सोशल मीडिया, व्हाट्सएप ग्रुप्स, और हर जगह शेयर करें। *धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो।*
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गंगा में जादुई स्नान कहानी: एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में रोहन नाम का एक उत्साही लड़का रहता था। उसके दादा जी उसे महाकुंभ मेला और उसमें होने वाले पवित्र स्नान के बारे में हमेशा सुनाते थे। एक दिन रोहन ने अपने दादा जी के साथ प्रयागराज का दौरा करने का निर्णय लिया। जब वे त्रिवेणी संगम पहुंचे, जहाँ गंगा, यमुन और सरस्वती नदियाँ मिलती हैं, तो रोहन ने देखा कि हजारों श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए वहाँ पहुंचे थे। लोग भजन गा रहे थे, प्रार्थना कर रहे थे और एक-दूसरे से मुस्कुराते हुए मिल रहे थे। रोहन ने अपनी पांवों को नदी में डुबो दिया, और जैसे ही उसने ऐसा किया, उसे अंदर से शांति का अहसास हुआ। उसके दादा जी ने मुस्कुराते हुए कहा, "रोहन, जब तुम शुद्ध दिल से पवित्र जल में स्नान करते हो, तो तुम दिव्य आशीर्वाद का अनुभव करते हो।" रोहन ने यह सीखा कि महाकुंभ मेला सिर्फ नदी में स्नान करने का अवसर नहीं है, यह एकता, प्रेम और शांति को महसूस करने का स्थान है। वह खुशी-खुशी महाकुंभ मेला से वापस लौटा, यह जानकर कि उसने कुछ बेहद खास अनुभव किया है। सीख: वास्तविक आध्यात्मिक अनुभव शांति, एकता और दिल की शुद्धता से जुड़े होते हैं। https://kumbh.co.in/Kumbh-Blog/Kumbh-Kids-Stories-Part-1

https://kumbh.co.in/Kumbh-Blog/media-ki-nazar-se-13-january-2025

मौनी अमावस्या की कहानी बहुत समय पहले की बात है, एक दयालु और ज्ञानी देवता थे, जिनका नाम भगवान शिव था। वह पहाड़ों में अकेले समय बिताना पसंद करते थे, शांतिपूर्वक बैठकर दुनिया के बारे में सोचते थे। एक दिन, भगवान शिव ने तय किया कि वह पूरे दिन मौन रहेंगे। उन्होंने अपने अनुयायियों से कहा, “मौन हमें हमारे दिल की सुनने और शांति महसूस करने में मदद करता है।” मौनी अमावस्या के दिन भगवान शिव मौन रहकर ध्यान में बैठ गए। उनके अनुयायी, जो उनके मौन को देखकर हैरान थे, उन्होंने भी सोचा कि क्यों न भगवान शिव की तरह मौन रखा जाए। वे भी शांतिपूर्वक बैठ गए और अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित किया। उन्हें जल्द ही समझ में आया कि मौन से वे कितने शांत और खुश महसूस कर रहे थे। तभी से, हर साल लोग मौनी अमावस्या मनाने लगे। इस विशेष दिन पर, सभी लोग थोड़ी देर के लिए मौन रहते, अपनी ज़िंदगी की अच्छाइयों के बारे में सोचते और आंतरिक शांति प्राप्त करते थे। और इस तरह, मौनी अमावस्या एक ऐसा दिन बन गया जब लोग मौन की शक्ति को याद करते और यह महसूस करते थे कि मौन से हम अपने अंदर की शांति और खुशी पा सकते हैं।