
Chander Shaker Azad
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डॉ भीम राव अम्बेडकर "विचारधारा" "शिक्षा ✍️📘सबसे शक्तिशाली 💥⚔️हथियार है" जिसका उपयोग करके आप🌍 दुनिया बदल सकते हो 🙏जय भीम🙏 📘✍️जय संविधान ✍️📘Subscribe My youtube channel https://youtu.be/I9R9iaexZFM?si=hs6ZCogzq54ssl3M
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डॉ. भीमराव अंबेडकर ने हिंदू कोड बिल में महिलाओं के लिए कई तरह के बदलावों का प्रस्ताव रखा था: इस बिल में महिलाओं को संपत्ति के अधिकार दिए गए थे. विवाह और तलाक से जुड़े कानूनों में सुधार लाया गया था. इस बिल में मिश्रित विवाह को संभव बनाया गया था. बहुविवाह, तलाक, विरासत, और संरक्षकता से जुड़े अधिकारों को सीमित किया गया था. इस बिल में महिलाओं को सौदेबाज़ी करने, व्यापार करने, और चुनौती देने का अधिकार दिया गया था. इस बिल ने लिंग के आधार पर बिना वसीयत के मरने वाले हिंदू की संपत्ति के अधिकारों से जुड़े कानूनों को संहिताबद्ध किया था. अंबेडकर समाज में महिलाओं और दलितों के अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष कर रहे थे. उन्होंने इस बिल को एक ऐतिहासिक कदम माना था और इसे 'सामाजिक क्रांति' कहा था. हालांकि, नेहरू सरकार ने इस बिल को धीरे-धीरे लागू करने का फ़ैसला किया था. इस वजह से अंबेडकर और नेहरू सरकार के बीच असहमति बढ़ी और अंबेडकर ने 1951 में मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. *बहुजन सामाजिक कार्यकर्ता* आपका भाई शिवम कुमार ( बिजनौर उत्तर प्रदेश ) Subscribe my youtube channelhttps://www.youtube.com/@Shivamgautam-e4x 💙 जय भीम नमो बुद्धाय 💙

*बहुजन सामाजिक कार्यकर्ता* आपका भाई शिवम कुमार ( बिजनौर उत्तर प्रदेश ) Subscribe my youtube channelhttps://www.youtube.com/@Shivamgautam-e4x

*"सम्राट अशोक" की जन्म-जयंती हमारे देश में क्यों नहीं मनाई जाती ??* *बहुत सोचने पर भी, "उत्तर" नहीं मिलता! आप भी इन "प्रश्नों" पर विचार करें!* *सम्राट अशोक* *पिताजी का नाम - बिन्दुसार गुप्त* *माताजी का नाम - सुभद्राणी* *जिस "सम्राट" के नाम के साथ संसारभर के इतिहासकार “महान” शब्द लगाते हैं* *जिस -"सम्राट" का राज चिन्ह "अशोक चक्र" भारतीय अपने ध्वज में लगाते है l* *जिस "सम्राट" का राज चिन्ह "चारमुखी शेर" को भारतीय "राष्ट्रीय प्रतीक" मानकर सरकार चलाते हैं l और "सत्यमेव जयते" को अपनाया है l* *जिस देश में सेना का सबसे बड़ा युद्ध सम्मान, सम्राट अशोक के नाम पर, "अशोक चक्र" दिया जाता है l* *जिस सम्राट से पहले या बाद में कभी कोई ऐसा राजा या सम्राट नहीं हुआ"...जिसने "अखंड भारत" (आज का नेपाल, बांग्लादेश, पूरा भारत, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान) जितने बड़े भूभाग पर एक-छत्र राज किया हो l* *सम्राट अशोक के ही, समय में "२३ विश्वविद्यालयों" की स्थापना की गई l जिसमें तक्षशिला, नालन्दा, विक्रमशिला, कंधार, आदि विश्वविद्यालय प्रमुख थे l इन्हीं विश्वविद्यालयों में विदेश से छात्र उच्च शिक्षा पाने भारत आया करते थे।* *जिस -"सम्राट" के शासन काल को विश्व के बुद्धिजीवी और इतिहासकार, भारतीय इतिहास का सबसे "स्वर्णिम काल" मानते हैं।* *जिस "सम्राट" के शासन काल में भारत "विश्व गुरु" था l "सोने की चिड़िया" था l जनता खुशहाल और भेदभाव-रहित थी l* *जिस सम्राट के शासन काल में, सबसे प्रख्यात महामार्ग "ग्रेड ट्रंक रोड" जैसे कई हाईवे बने l* *2,000 किलोमीटर लंबी पूरी "सडक" पर दोनों ओर पेड़ लगाये गए l "सरायें" बनायीं गईं..l* *मानव तो मानव..,पशुओं के लिए भी, प्रथम बार "चिकित्सा घर" (हॉस्पिटल) खोले गए l* *पशुओं को मारना बंद करा दिया गया ऐसे* *"महान सम्राट अशोक"* *जिनकी जयंती उनके अपने देश भारत में क्यों नहीं मनायी जाती ??* *न ही कोई छुट्टी घोषित की गई है?* *दुख: है कि, जिन नागरिकों को ये जयंती मनानी चाहिए...* *वो अपना इतिहास ही भुला बैठे हैं, और जो जानते हैं, वो ना जाने क्यों मनाना नहीं चाहते??* *"जो जीता वहीचंद्रगुप्त"* *ना होकर,* *"जो जीता वही सिकन्दर"* *कैसे हो गया??* *जबकि ये बात सभी जानते हैं, कि सिकन्दर की सेना ने चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रभाव को देखते हुए ही लड़ने से मना कर दिया था।* *बहुत ही बुरी तरह से मनोबल टूट गया था और सिकंदर को "वापस लौटना" पड़ा था।* *आइए हम सब मिलकर इस "ऐतिहासिक भूल" को सुधार करने की शपथ लें।* *कम से कम पांच ग्रुप मैं जरूर भेजे कुछ लोग नही भेजेंगे* *लेकिन मुझे यकीन है आप जरूर भेजें *बहुजन सामाजिक कार्यकर्ता* आपका भाई शिवम कुमार ( बिजनौर उत्तर प्रदेश ) 💙 जय भीम नमो बुद्धाय 💙

*👉👉👉👉 धर्म और संविधान 👉👉आओ जाने और समझे, संविधान से पहले* *हमारे बाप दादा और हमारी पीढियां कहाँ, कैसे और किन हालातों में रहते थे* = = = = = = = = = = = = = = = = *1 :* हम लोग कच्चे घरों में, तम्बूओं में, झोपडियो में अमीरों की हदों से हट कर गांव से बाहर तालाब किनारे रहते थे। *2 :* धर्म प्रथा, जाति प्रथा, सति प्रथा, छूत प्रथा, रीति रिवाज, संस्कृति, परंपराओं और अमीरों के अपने ही बनाए गए कायदे कानून के तहत हम गुलाम थे *3 :* अच्छा खाना, अच्छा पहनना, बडे लोगों की बराबरी करना, अपने हक के लिए लडना, और पढाई करने का हमें कोई भी हक नहीं था। 4 : हमारे वैद्य ( डाक्टर ),धर्म गुरु और हमारी पंचायतें भी अलग होती थी। *5 :* अमीर - गरीब, छोटे - बडे, ऊंच - नीच , और जातिवाद की दीवारें होती थी। *6 :* हम औरों के टुकडों पर पलने वाले थे। *7 :* हमारा अपना कुछ भी वजूद नहीं था। *8 :* समाज में हमारा आदर, मान , सम्मान,इज्जत, नाम और पहचान कुछ भी नहीं था। *9 :* हमें मनहूस समझा जाता था। *10 :* हमारी औरतों से मनचाही मनमानी और बदसलूकीया की जाती थी। *11 :* हमें गुलाम बना कर खरीदा और बेचा जाता था। *12 :* हमें हदों और पाबंदियों में रखा जाता था। *13 :* जाति और धर्म के नाम पर हमें आपस में ही लडाया जाता था। *14 :* हमारे पास किसी भी प्रकार का कोई भी अधिकार नहीं था। *15 :* कुछ भी करने से पहले हमें इजाजत लेनी होती थी। *16 :* ऊंची आवाज में बोलना, आंखें उठाना, और ऊंचा सिर उठाना हमारे लिये वर्जित था , पाप था। *17 :* हमारी एकता के संगठनों को विद्रोही बताकर दण्डित किया जाता था। *18 :* अपने मतलब के लिए हमें मोहरा बनाया जाता था। *19 :* हम कमजोर, लाचार, असहाय,अनपढ, गरीब , बे-घर और बे- सहारा थे। *20 :* हमें दलिदरों में गिना जाता था। *21 :* कोई भी हम से दोस्ती या रिश्तेदारी बनाना पसंद नहीं करता था। *22 :* हमें नीच और तुच्छ समझा जाता था। *23 :* हमें बड़े लोगों की गंदगी साफ करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। *24 :* बिना वजह हमें दोषी करार देकर सजायें दी जाती थी। *25 :* कठपुतलियों की तरह हमें नचाया जाता था। *26 :* अत्याचार, अन्याय, शोषण और जुल्म सहना हमारी आदत थी। *27 :* हमारी कहीं भी कोई सुनवाई नहीं होती थी। *28 :* हम दर-ब-दर भटकने के लिए मजबूर थे। *29 :* मौत और नरक से भी बदतर थी हमारी जिन्दगियां , हमारे घर और हमारे परिवार । *30 :* जहां जीवन में आशा की कोई भी किरण नहीं थी। *31:* जहाँ हम गुलामी का जीवन जीते थे। *32 :* हमें गले में हांडी और पीछे झाड़ू बांधकर चलना होता था ताकि हम जमीन पर न थूकें और हमारे पैरों के अछूत निशान जमीन पर न बचें । *33 :* हम दोपहर के अलावा अपने दड़बों से बाहर नहीं निकल सकते थे ।ताकि हमारी परछाई किसी सवर्ण के ऊपर न पड़े । *34 :* दोपहर में बर्तन बजाते हुए ही घरों से बाहर निकल सकते थे । *35 :* हमारा कृषि करना और आखेट करने पर पाबन्दी थी ।केवल मुर्दा मवेशी का ही मांस खा सकते थे । *36 :* हम नया कपड़ा नहीं पहन सकते थे। *37 :* हम मानव द्वारा प्रयोग किए जाने वाले तालाब से पानी नहीं पी सकते थे ।पी लेने पर जिह्वा काट देने या मृत्यु दण्ड दिया जाता था । *38 :* हमारे पूर्वज जानवरों के तालाब से ही पानी पी सकते थे। *38 :* यदि हम किसी से छू जाते अथवा दिखाई दे जाते तो दंडित किया जाता था।और वह सवर्ण गौ मूत्र से नहाता था। *39 :* हमें जानवरों से भी बदतर समझा जाता था। *40 :* जब बारिश नहीं होती थी तो *तथाकथित इन्द्र देवता* को प्रसन्न करने के लिए जगह जगह हमारे पूर्वजों की *बलि* दी जाती थी। *42 :* हमारे पूर्वजों की पहली सन्तान को पैदा होते ही गंगा नदी में फेंक कर बहा देना होता था । *43 :* हमारे परिवार की बेटियों को मन्दिर को दान में देना पड़ता था जो *देव दासी* कहलाती थी ।उनसे पैदा अवैध सन्तान को *हरिजन* कहते है। *44 :* कोई ब्रिज अथवा भवन बनाते समय चरक प्रथा के नाम पर हमारे पूर्वजों की बलि देकर नींव में दफन किया जाता था। *45 :* हमारी माता बहनों को ऊपरी अंग ढकने पर पाबन्दी थी । *46 :* ब्राह्मणी रियासत *त्रावणकोर* में यह प्रथा अंग्रेज़ी शासनकाल में भी समाप्त करने के लिए तैयार नहीं थे।जिसके लिए जद्दोजहद करना पड़ा। *47 :* अच्छूत कहकर महामारी में भी हमारा इलाज नहीं हो पाने के कारण , तड़प - तड़पकर मरते थे हम लोग । *48 :* दो रोटी और कपड़ा के लिए कोल्हू के बैल की तरह काम लिया जाता था हमारे पूर्वजों से। *49 :*यह सब पाबंदी के नियम हमारे ऊपर यूरेशियन ब्राह्मणों के उन पूर्वजों ने लगा रखे थे *जिन्हें आज हम देवी देवता मानकर पूजते हैं* *50 :*आज भी ब्राह्मण *जन्म कुण्डली* में हमें *राक्षस , दानव ,दाना ,दैत्य या असुर*ही लिखता है । और स्वयं को *" श्रेष्ठ"* मानते हुए *देव या देवता* लिखता है ।bvn *51 : अपने पूर्वजों की दुर्गति जानकर भी आप इन्हें अपना देवी - देवता मानकर पूजना पसंद करते हैं ,इसे क्या कहें , *बहुजन सामाजिक कार्यकर्ता* आपका भाई शिवम कुमार ( बिजनौर उत्तर प्रदेश ) 💙 जय भीम नमो बुद्धाय 💙

जवाहरलाल नेहरू और डॉ अम्बेडकर हिंदू कोड बिल लाना चाहते थे। इस बिल के पास होने पर महिलाओं को जो अधिकार मिलने थे, वो थे: * महिलाओं को संपत्ति में अधिकार, * इंटर-कास्ट शादी, * तलाक का अधिकार, * बहूविवाह पर रोक * दूसरी जाति के बच्चों को गोद लेने की अनुमति मिलना * शादी के लिए जाति आधारित रीति रिवाज़ो की समाप्ति इस बिल के विरोध में मार्च 1949 में All India Anti Hindu Code Bill Committee बनाई गई थी। इस कमेटी ने देश में सैकड़ों मीटिंग की और बिल के ख़िलाफ़ धर्मयुद्ध की कॉल दी। 11 दिसंबर, 1949 को RSS ने दिल्ली के रामलीला मैदान में बिल के विरोध में रैली की। अगले दिन RSS ने असेंबली (संसद भवन) का मार्च किया और बिल और नेहरू विरोधी नारे लगाए। इस मार्च में RSS कार्यकर्ताओं ने नेहरू और डॉ अंबेडकर के पुतले जलाए। आंदोलन का नेतृत्व स्वामी करपात्री महाराज ने किया था, जो ब्राह्मणों के क्षेत्र में एक अछूत अंबेडकर के दखल के ख़िलाफ़ थे। 1950 और 1951 नेहरू -अंबेडकर ने बिल पास करने की कई बार कोशिश की। लेकिन RSS और दूसरे रूढ़िवादियों के विरोध के कारण सफल नहीं हुए। ये रूढ़िवादी कांग्रेस में भी थे, महिलाओं को अधिकार देने को धर्म विरुद्ध मानते थे। RSS के कार्यकर्ता बैच बना कर दिल्ली में आते और बिल का विरोध करते थे। 17 सितंबर 1951 को स्वामी करपात्री और उनके लोगों ने संसद का घेराव किया, जिसमें लाठीचार्ज भी हुआ। इन विरोधों के कारण बिल पास नहीं हो सका। निराश डॉ अंबेडकर ने अक्टूबर 1951 में मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया।वो ऐसे मामले में नेहरू से अधिक गंभीरता और संकल्प की उम्मीद रखते थे। लेकिन नेहरू गंभीर भी थे और उनका संकल्प मज़बूत भी था। अंबेडकर के इस्तीफ़े के बाद वो भी बिल पास करवाने की कोशिश करते रहे, हालाँकि संघ- हिंदू महासभा के साथ साथ कांग्रेस के कई दिग्गज भी उनकी इस कोशिश के विरोधी थे। इस बीच, 1952 का पहला लोकसभा चुनाव घोषित हो गया। ये बिल नेहरू के चुनाव का मुख्य मुद्दा बन गया। जनसंघ और हिंदू महासभा ने नेहरू के ख़िलाफ़ पहला लोकसभा चुनाव इसी एक मुद्दे पर लड़ा था। उन्होंने नेहरू के ख़िलाफ़ एक धर्मगुरु प्रभु दत्त ब्रह्मचारी को उतारा। उस चुनाव में ब्रह्मचारी केवल एक ही मुद्दा उठाते थे - हिंदू रीति रिवाजों में कोई संवैधानिक बदलाव नहीं होना चाहिए और महिलाओं को धर्म विरोधी अधिकार देने वाला बिल पास नहीं होना चाहिए। लेकिन नेहरू ने धार्मिक रूढ़िवादियों के ख़िलाफ़ उन्होंने झुकने से मना कर दिया। उन्होंने मानो अपने पहले लोकसभा चुनाव को महिला अधिकारों पर जनमत संग्रह में बदल दिया था। इस चुनाव में नेहरू ने और कांग्रेस ने ज़बरदस्त जीत हासिल की। कांग्रेस को देश भर में 364 सीट मिली, जनसंघ को 3 और हिंदू महासभा को 4 सीट ही मिली थी। नेहरू और डॉ अंबेडकर का महिलाओं को अधिकार देने प्रयास संघ और हिंदू महासभा को चुनाव में हरा कर ही आगे बढ़ सका था। उसी के बाद नेहरू ने हिंदू कोड बिल को चार अलग अलग बिल में बांट कर संसद में पास किया था। आज भारत की महिलायें जो कर सकी हैं, उनकी स्थिति में आज़ादी के बाद जो बदलाव हुआ है, उसमें नेहरू-अंबेडकर की सोच का और संघर्ष का पूरा योगदान है। अगर नेहरू पहला चुनाव इस मुद्दे पर हार जाते, जनसंघ- हिंदू महासभा का उम्मीदवार जीत जाता, तो देश की महिलाओं को न जाने कितने दशक या सदियाँ इंतज़ार करना पड़ता! डॉ अम्बेडकर की निराशा और इस्तीफ़े का कारण RSS- हिंदू महासभा का और दूसरे रूढ़िवादियों का ज़बरदस्त विरोध था। आज संघ के लोग मजबूरी में डॉ अंबेडकर को मानते हैं क्योंकि उनका विरोध राजनैतिक रूप से ख़तरनाक है। लेकिन बाबा साहेब के जीते जी उनका विरोध इतिहास में दर्ज है *बहुजन सामाजिक कार्यकर्ता* आपका भाई शिवम कुमार ( बिजनौर उत्तर प्रदेश ) 💙 जय भीम नमो बुद्धाय 💙

दिल्ली विधानसभा चुनाव .. लड़ेंगे और जीतेंगे 💪 विधानसभा किराड़ी में

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