
Azhar Tamboli
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ᴼᶠᶠⁱᶜⁱᵃˡ ᶜʰᵃⁿⁿᵉˡ 𝘚𝘵𝘶𝘥𝘦𝘯𝘵 𝘢𝘵 𝘘𝘶𝘳'𝘢𝘯 𝘢𝘯𝘥 𝘏𝘢𝘥𝘪𝘵𝘩. ᴵⁿˢᵗᵃᵍʳᵃᵐ: https://www.instagram.com/azharbakshu
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ایک طرف لمبی اُمیدیں، ایک طرف كُلُّ نَفْسٍ ذَائِقَةُ الْمَوْتِ.

रसूलुल्लाह ﷺ ने फर्माया: ईमान वालों में जियादा मुकम्मल ईमान वाले वह लोग हैं, जो अखलाक़ में ज़ियादा अच्छे हैं और तुम में सब से अच्छे वह लोग हैं जो अपनी बीवियों के साथ अच्छा बरताव करते हैं। [तिर्मिज़ी:1162]

रसूलुल्लाह ﷺ ने फर्माया: हम्माम (ग़ुस्ल खाना) से निकलने के बाद क़दमों को ठंडे पानी से धोना दर्द सर से हिफाज़त का ज़रिया है। [कंजुल उम्माल: 27296]

अल्लाह तआला ने हज़रत यूसुफ عَلَيْهِ ٱلسَّلَام को ईमान व तौहीद और वही की बरकतों से नवाज़ा था, अगरचे शुरू में माल व दौलत, दुनियवी तरक़्क़ी और शहरी जिंदगी उन्हें हासिल नहीं थी और देहात की सादा और बे तकल्लुफ जिंदगी गुज़ारते थे, मगर क़ुदरते इलाही का करिश्मा देखिये के देहात के रहने वाले अपनी ख़्वाहिश व मर्जी के बगैर मिस्र जैसे तहज़ीब व तमद्दुन वाले मुल्क में पहुंच गए और इम्तेहान व आज़माइश के मुख्तलिफ मरहलों से गुज़रते हुए वहाँ के बादशाह के पास पहुंच गए, फिर एक मर्तबा बादशाह के एक ख़्वाब की ताबीर बताने के बाद मुल्के मिस्र की सूरते हाल का तज़केरा करते हुए फ़र्माया: कहत साली के इस दौर में हुकूमत को कामयाब के साथ चलाने की सलाहियत और तबाही से निकालने की तदबीर और मुल्क की गिरती हुई मईशत (Economy) की हिफाज़त करना मैं जानता हूँ। जब अजीजे मिस्र ने ख़्वाब की सही ताबीर और हज़रत यूसुफ عَلَيْهِ ٱلسَّلَام की अमानत व दियानत और सादगी व सच्चाई को अपनी आँखों से देख लिया, तो हुकूमत के ओहदेदारों और आम व खास शहरियों को जमा कर के तख़्त व हुकूमत आप के हवाले करदी, आप की दावती कोशिशों से बादशाह ने ईमान क़बूल कर लिया और पूरा खान्दान मिस्र में आबाद हो गया। इस तरह नुबुव्वत के साथ उन्होंने मिस्र पर 80 साल तक कामयाब हुकूमत करते हुए 120 साल की उम्र में इन्तेक़ाल फ़र्माया।

हजरत उमर फ़ारूक़ रज़ियल्लाहु अन्हु पहली बार फिलिस्तीन (बैतुल मक़दिस/येरुशलम) 637 ईस्वी (16 हिजरी) में गए थे। उस समय इस्लामी फौजों ने फिलिस्तीन को जीत लिया था, और वहाँ के ईसाई शासक ने इस शर्त पर आत्मसमर्पण किया कि खलीफा स्वयं आकर शहर की चाबियां लें।

रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़र्माया: ईमान वालों में ज़ियादा मुकम्मल ईमान वाले वह लोग हैं, जो अख़लाक़ में ज़ियादा अच्छे हैं और तुम में सब से अच्छे वह लोग हैं जो अपनी बीवियों के साथ अच्छा बरताव करते हैं। [तिर्मिज़ी: 1162]

*हमारे जिस्म में खून कौन बनाता है* अल्लाह तआला ने इन्सानी ज़िंदगी का दारोमदार जिन चीज़ों पर रखा है, उन में से एक खून है, अगर जिस्म में खून की कमी हो जाए या खून बनना बंद हो जाए, तो इन्सान का जिंदा रहना मुश्किल हो जाएगा, खून के अन्दर एक किस्म की हरारत और गर्मी होती है, जिस से वह पुरे जिस्म में दौड़ता है और हमारी जिदंगी चलती रहती है, यकीनन यह अल्लाह का बनाया हुवा निज़ाम है के बे जान चीजों से इन्सान को हयात बख्शने वाला खून बनाता है।