
Azhar Tamboli
February 3, 2025 at 01:46 PM
अल्लाह तआला ने हज़रत यूसुफ عَلَيْهِ ٱلسَّلَام को ईमान व तौहीद और वही की बरकतों से नवाज़ा था, अगरचे शुरू में माल व दौलत, दुनियवी तरक़्क़ी और शहरी जिंदगी उन्हें हासिल नहीं थी और देहात की सादा और बे तकल्लुफ जिंदगी गुज़ारते थे, मगर क़ुदरते इलाही का करिश्मा देखिये के देहात के रहने वाले अपनी ख़्वाहिश व मर्जी के बगैर मिस्र जैसे तहज़ीब व तमद्दुन वाले मुल्क में पहुंच गए और इम्तेहान व आज़माइश के मुख्तलिफ मरहलों से गुज़रते हुए वहाँ के बादशाह के पास पहुंच गए, फिर एक मर्तबा बादशाह के एक ख़्वाब की ताबीर बताने के बाद मुल्के मिस्र की सूरते हाल का तज़केरा करते हुए फ़र्माया: कहत साली के इस दौर में हुकूमत को कामयाब के साथ चलाने की सलाहियत और तबाही से निकालने की तदबीर और मुल्क की गिरती हुई मईशत (Economy) की हिफाज़त करना मैं जानता हूँ।
जब अजीजे मिस्र ने ख़्वाब की सही ताबीर और हज़रत यूसुफ عَلَيْهِ ٱلسَّلَام की अमानत व दियानत और सादगी व सच्चाई को अपनी आँखों से देख लिया, तो हुकूमत के ओहदेदारों और आम व खास शहरियों को जमा कर के तख़्त व हुकूमत आप के हवाले करदी, आप की दावती कोशिशों से बादशाह ने ईमान क़बूल कर लिया और पूरा खान्दान मिस्र में आबाद हो गया। इस तरह नुबुव्वत के साथ उन्होंने मिस्र पर 80 साल तक कामयाब हुकूमत करते हुए 120 साल की उम्र में इन्तेक़ाल फ़र्माया।