
सभ्यता संस्कार मनोरंजन की पाठशाला।✅
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हमारे एक मित्र इस बस में है और उन्होंने यह फोटो लिया ये हैं हमारी प्रयागराज से अयोध्या आने वाली बस के कंडक्टर साहब। इस खचाखच भरी बस में जब महिला यात्री कंडक्टर सीट पर बैठ गई तो उसको उठाने में सकुचा गए और पूरी यात्रा ऐसे ही खड़े होकर कर आए। बात सिर्फ़ यहाँ तक नहीं है, अपितु ये भाई साहब और बस का ड्राइवर कल परसो रात्रि 1 बजे लखनऊ से प्रयागराज बस लेकर आए थे, और उनका अगला शेड्यूल रात्रि 2 बजे प्रयागराज से अयोध्या बस ले जाने का था। ये शेड्यूल बिना ट्रैफिक के रास्ते के लिए बनाया गया था जिसमे बीच में आराम के लिए काफ़ी वक्त था, परंतु लखनऊ से प्रयाग राज आने में बहुत लेट हो गई और जो बस शाम को आनी चाहिए थी वो रात में 1 बजे आई, ठीक अपने अगले शेड्यूल से पहले। ड्राइवर साहब और कंडक्टर साहब पूरा मन बना चुके थे की सुबह से पहले बस नहीं ले जाएँगे, आराम करेंगे और जनता को बस में चढ़ने से रोकने भी लगे। परंतु जब बस 2 मिनट में ही फ़फ़ामऊ में खचाखच भर गई तो दोनों ने फ़ैसला किया की दिनभर थकी हारी जनता को गंतव्य पर पहुँचा ही देते हैं। दोनों में कुछ देर खाना पानी फ्रेश होने का ब्रेक लिया और 2 बजे जय श्री राम की हुंकार के साथ बस को निकाल दिया। कंडक्टर के टिकट काटने के दौरान खड़ी महिला उसकी सीट पर बैठ गई और कंडक्टर साहब दिन रात भर थके होने के बावजूद उसको उठाने से संकुचा गए और शांति से खड़े हो गए एक आम जनता की तरह। उसके बाद तो पूछिए मत रात्रि से सुबह हो गई बस प्रयागराज से निकली ही नहीं, घंटों जाम प्रयागराज में, प्रतापगढ़ में, सुल्तानपुर में बस को अयोध्या आते आते ही रात हो गई। रास्ते में ड्राइवर ने अपनी नींद से ध्यान भटकाने के लिए गाना बजाना चाहा, तो जनता ने उसे भी यह कहकर बंद करवा दिया की भैया सोने दो नींद आ रही है। अपने कष्ट के आगे कभी कभी हम दूसरों का कष्ट भूल जाते है। किसी की सीट ले लेना, किसी को कोसते रहना, और क्या क्या। परंतु इस महाकुंभ की नेगेटिव खबरों के बीच ऑन ग्राउंड कार्यरत लोगों की मेहनत देख के लगता है की हर कोई अपने हिस्से का 100% दे रहा है इसको सफल बनाने में। नमन है इन बस ड्राइवर, कंडक्टर, ट्रेन ड्राइवर, सफ़ाई कर्मचारी, पुलिस, हवलदार, आर्मी ऑफ़सर, सिपाही जैसे सभी लोगों लो जिन्होंने अपने हिस्से का काम पूरी लगन और मेहनत से किया है।व्यवस्था में कमी हो सकती है, पर इन लोगों को जो ऑर्डर मिला है उसको पूरा करने में अपनी जान लगा दे रहे हैं। उपर से अपनी क्षमता से उपर काम करके ये लोग अपनी नौकरी को ड्यूटी समझकर निभा रहे है।🙏🙏🙏 हमारे आपके घर में अगर शादी विवाह या कोई आयोजन हो 100- 200 मेहमान आते हैं तब भी हम आप पूरी ताकत लगा देते हैं फिर भी कमी निकालने वाले कुछ ना कुछ कमी निकालते हैं यहां तो डेढ़ से 2 करोड लोग प्रतिदिन आ रहे हैं

बचपन मे जब मंदिरों में जब भीड़ की वजह से भगवान के दर्शन नही हो पाते थे तब पिता जी कंधे पे उठा के दर्शन करवाते थे तब इतना नही पता था कि जो कंधे पे उठाये हैं वही भगवान हैं..!! 🙏❤️🖤

मुझे दहेज़ चाहिए तुम लाना तीन चार ब्रीफ़केस जिसमें भरे हो तुम्हारे बचपन के खिलौने बचपन के कपड़े बचपने की यादें मुझे तुम्हें जानना है बहुत प्रारंभ से.. तुम लाना श्रृंगार के डिब्बे में बंद कर अपनी स्वर्ण जैसी आभा अपनी चांदी जैसी मुस्कुराहट अपनी हीरे जैसी दृढ़ता.. तुम लाना अपने साथ छोटे बड़े कई डिब्बे जिसमें बंद हो तुम्हारी नादानियाँ तुम्हारी खामियां तुम्हारा चुलबुलापन तुम्हारा बेबाकपन तुम्हारा अल्हड़पन.. तुम लाना एक बहुत बड़ा बक्सा जिसमें भरी हो तुम्हारी खुशियां साथ ही उसके समकक्ष वो पुराना बक्सा जिसमें तुमने छुपा रखा है अपना दुःख अपने ख़्वाब अपना डर अपने सारे राज़ अब से सब के सब मेरे होगे.. मत भूलना लाना वो सारे बंद लिफ़ाफे जिसमें बंद है स्मृतियां जिसे दिया है तुम्हारे मां और बाबू जी ने भाई-बहनों ने सखा-सहेलियों ने कुछ रिश्तेदारों ने.. न लाना टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन लेकिन लाना तुम किस्से कहानियां और कहावतें अपने शहर के.. कार,मोटरकार हम ख़ुद खरीदेंगे तुम लाना अपने तितली वाले पंख जिसे लगा उड़ जाएंगे अपने सपनों के आसमान में.. मुझे दहेज़ में चाहिए तुम्हारा पूरा प्यार पूरा खालीपन तुम्हारे आत्मा के वसीयत का पूरा हिस्सा सिर्फ़ इस जन्म का साथ तो चाहिए ही है..

🔥 जिस दिन आप अपने डर पर काबू पा लोगे, 💪 उस दिन दुनिया आपको हराने की हिम्मत नहीं करेगी! 📚 पढ़ाई में जीत उन्हीं की होती है, ⏳ जो हर मुश्किल के बाद भी डटे रहते हैं! ━━━━━━━━━━━━━━━

*हमें दूसरों पर आश्रित नहीं रहना चाहिए* अब्राहीम लिंकन दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर सुबह ही सुबह अपने जूतों पर पालिश कर रहें थे उनका एक मित्र आया। एक राष्ट्रपति को अपने जूते पर पालिश करते देखा तो उसे लगा जैसे उसकी आंखें धोखा खा रही है। आखिर उस पर न रहा गया तो बोला-लिंकन! यह क्या करते हो। तुम्हें अपने जूतों पर स्वयं पालिश करनी पड़ती है। तो क्या तुम दूसरों के जूतों पर पालिश करते हो। कुछ देर के लिए कमरा कहकहों से गूँज उठा मित्र ने कहा- मैं तो जूतों पर पालिश स्वयं न करके दूसरों से करवा लेता हूँ। मेरी समझ में दूसरों के जूतों पर पालिश करने से भी यह बुरी बात है कि अपने जूतों पर किसी मनुष्य से पालिश करवाई जाये। इतने छोटे-छोटे कार्यों के लिये हमें दूसरों पर आश्रित नहीं रहना चाहिए। लिंकन की बात सुनकर मित्र के पास उत्तर के लिए अब शेष ही क्या रह गया था ?

लोगों से कैसे बात करें... • माँ से प्यार से बात करें। • पिता से सम्मानपूर्वक बात करें। • पत्नी से सच बोलें। • भाई से दिल से बात करें। • बहन से प्यार से बात करें। • बच्चों से उत्साहपूर्वक बात करें। • रिश्तेदारों से सहानुभूतिपूर्वक बात करें। • दोस्तों से प्रसन्नतापूर्वक बात करें। • अधिकारियों से विनम्रता से बात करें। • विक्रेताओं से सख्ती से बात करें। • ग्राहकों से ईमानदारी से बात करें। • कर्मचारियों से विनम्रता से बात करें। • राजनेताओं से सावधानी से बात करें। • अधिक टिप्स के लिए मुझे फॉलो करें !!!

This is easy work: 1 complaining 2 pretending 3 blaming 4 judging 5 resenting 6 taking 7 shouting 8 expecting 9 waiting 10 doubting This is hard work: 1 inspiring 2 learning 3 teaching 4 trusting 5 empowering 6 sponsoring 7 committing 8 unselfishly giving 9 loving 10 nurturing