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February 12, 2025 at 02:36 AM
हमारे एक मित्र इस बस में है और उन्होंने यह फोटो लिया
ये हैं हमारी प्रयागराज से अयोध्या आने वाली बस के कंडक्टर साहब।
इस खचाखच भरी बस में जब महिला यात्री कंडक्टर सीट पर बैठ गई तो उसको उठाने में सकुचा गए और पूरी यात्रा ऐसे ही खड़े होकर कर आए। बात सिर्फ़ यहाँ तक नहीं है, अपितु ये भाई साहब और बस का ड्राइवर कल परसो रात्रि 1 बजे लखनऊ से प्रयागराज बस लेकर आए थे, और उनका अगला शेड्यूल रात्रि 2 बजे प्रयागराज से अयोध्या बस ले जाने का था। ये शेड्यूल बिना ट्रैफिक के रास्ते के लिए बनाया गया था जिसमे बीच में आराम के लिए काफ़ी वक्त था, परंतु लखनऊ से प्रयाग राज आने में बहुत लेट हो गई और जो बस शाम को आनी चाहिए थी वो रात में 1 बजे आई, ठीक अपने अगले शेड्यूल से पहले।
ड्राइवर साहब और कंडक्टर साहब पूरा मन बना चुके थे की सुबह से पहले बस नहीं ले जाएँगे, आराम करेंगे और जनता को बस में चढ़ने से रोकने भी लगे। परंतु जब बस 2 मिनट में ही फ़फ़ामऊ में खचाखच भर गई तो दोनों ने फ़ैसला किया की दिनभर थकी हारी जनता को गंतव्य पर पहुँचा ही देते हैं। दोनों में कुछ देर खाना पानी फ्रेश होने का ब्रेक लिया और 2 बजे जय श्री राम की हुंकार के साथ बस को निकाल दिया।
कंडक्टर के टिकट काटने के दौरान खड़ी महिला उसकी सीट पर बैठ गई और कंडक्टर साहब दिन रात भर थके होने के बावजूद उसको उठाने से संकुचा गए और शांति से खड़े हो गए एक आम जनता की तरह।
उसके बाद तो पूछिए मत रात्रि से सुबह हो गई बस प्रयागराज से निकली ही नहीं, घंटों जाम प्रयागराज में, प्रतापगढ़ में, सुल्तानपुर में बस को अयोध्या आते आते ही रात हो गई। रास्ते में ड्राइवर ने अपनी नींद से ध्यान भटकाने के लिए गाना बजाना चाहा, तो जनता ने उसे भी यह कहकर बंद करवा दिया की भैया सोने दो नींद आ रही है।
अपने कष्ट के आगे कभी कभी हम दूसरों का कष्ट भूल जाते है। किसी की सीट ले लेना, किसी को कोसते रहना, और क्या क्या। परंतु इस महाकुंभ की नेगेटिव खबरों के बीच ऑन ग्राउंड कार्यरत लोगों की मेहनत देख के लगता है की हर कोई अपने हिस्से का 100% दे रहा है इसको सफल बनाने में।
नमन है इन बस ड्राइवर, कंडक्टर, ट्रेन ड्राइवर, सफ़ाई कर्मचारी, पुलिस, हवलदार, आर्मी ऑफ़सर, सिपाही जैसे सभी लोगों लो जिन्होंने अपने हिस्से का काम पूरी लगन और मेहनत से किया है।व्यवस्था में कमी हो सकती है, पर इन लोगों को जो ऑर्डर मिला है उसको पूरा करने में अपनी जान लगा दे रहे हैं। उपर से अपनी क्षमता से उपर काम करके ये लोग अपनी नौकरी को ड्यूटी समझकर निभा रहे है।🙏🙏🙏
हमारे आपके घर में अगर शादी विवाह या कोई आयोजन हो 100- 200 मेहमान आते हैं तब भी हम आप पूरी ताकत लगा देते हैं फिर भी कमी निकालने वाले कुछ ना कुछ कमी निकालते हैं
यहां तो डेढ़ से 2 करोड लोग प्रतिदिन आ रहे हैं