Veducation : Project Golden Bird
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February 1, 2025 at 03:48 AM
🍁 प्रश्न 016 का उत्तर, प्रश्न: शिवजी का तीसरा नेत्र कैसे प्रकट हुआ? उत्तर: पार्वती के द्वारा विनोद में दो नेत्र बंद कर लेने पर। व्याख्या शिवजी जब तपस्या कर रहे थे तब पार्वती पास के ही शिखर पर व्रतों का पालन करती हुई निवास करती थी। एक दिन पार्वतीजी शिवजी से मिलने गई तो उनने विनोद में शिवजी के नेत्र बंद कर दिए। शिवजी के नेत्र बंद होने से सर्वत्र अंधकार हो गया जगत चेतना शून्य हो गया। तभी स्थिति को सम्भालने के लिए शिवजी के ललाट से तीसरे नेत्र का आविर्भाव हुआ। - महाभारत, अनुशासनपर्व, अध्याय ततो वितिमिरो लोकः क्षणेन सम्पद्यत। ज्वाला च महती दीप्ता ललाटात् तस्य निःसृता ।। तृतीयं चास्य सम्भूतं नेत्रमादित्यसन्निभम्। युगान्तसदृशं दिप्तं येनासौ मथितो गिरिः ॥ - अनुशासनपर्व 140 | 29-30 अर्थात, इसके बाद एक ही क्षण में सारे जगत का अंधकार दूर हो गया। भगवान शिव के ललाट से अत्यंत दीप्तिशालिनी महाज्वाला प्रकट हो गई। उनके ललाट में आदित्य के समान तीसरे नेत्र का आविर्भाव हो गया। वह नेत्र प्रलयाग्नि के समान देदीप्यमान हो रहा था। उस नेत्र से प्रकट हुई ज्वाला ने उस पर्वत को जलाकर मथ डाला। नारायण 🙏🏻 _________________________ 📚 अधिक जानकारी के लिए वैदिक लाइब्रेरी App से 1008+ शास्त्र Free में पढ़ें : https://play.google.com/store/apps/details?id=com.veducation
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