Karmyogi
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January 26, 2025 at 03:07 AM
जस्टिस अहसानुदीन अमानुल्लाह की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति का आधार ही उनका मुस्लिम होना था और ताहिर हुसैन को आम आदमी पार्टी से पार्षद का टिकट मिलने का आधार भी इसका मुस्लिम होना था। २०२० में इसी पार्षद ताहिर हुसैन ने दुर तक मार करने वाली लोहे की गुलेलों और बड़े बड़े पैट्रोल बम बनवाए और चलवाए थे। ताकि एक बड़े इलाके से गैर मुस्लिमों को जिंदा जलाया जा सके। *कुरान और हदीस गैर मुस्लिमों से नफ़रत, अमानवीय शिक्षाओं, अतार्किक और अवैज्ञानिक सुचनाओं से भरा पड़ी हैं*। जस्टिस अहसानुदीन अमानुल्लाह और २०२० दिल्ली दंगों का प्रमुख आरोपी दोनों ही तो कुरान और हदीसों को दिव्य ज्ञान मानते हैं। दोनों ही तो सच्चे और पक्के मुसलमान हैं। अहसानुदीन ने ताहिर हुसैन को जेल से रिहा करने का आदेश दिया तो अहसानुदीन और ताहिर हुसैन में फर्क क्या रह गया?? बिहार का दिहाड़ी मजदूर ताहिर हुसैन दिल्ली में आकर करोड़ों की फैक्ट्रियों, गोदामों, बिल्डिंगों का मालिक और पार्षद बन बैठा। यानि है तो कढ़ा हुआ। और अहसानुदीन अमानुल्ला जज है यानि ये पढ़ा हुआ है। *_बात साफ है मुसलमान चाहे पढ़ा हुआ हो या कढ़ा हुआ। होता मुसलमान ही है, इंसान नहीं_*
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