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भारत के शत्रुओं के षड्यंत्रों का बोध भारतीयों को कराने का अभियान है कर्मयोगी.. भारत को शत्रुमुक्त, उन्नत और परम वैभवशाली बनाने के लिए प्रत्येक भारतीय (जिसकी आस्था भारतीय संस्कृति और भारतीय पूर्वजों में है) को जागरूक, सचेत, एकीकृत करना हम सभी हिंदुओं का परम धर्म है। आप सभी इस अभियान में जुड़कर इस अंतिम धार्मिक राष्ट्र को बचाने में योगदान दें... *Karmyogi social channels* ➡️1. Karmyogi YouTube account-: https://youtube.com/@iamkarmyogi?si=22F3hlKoMGTFiCVz ➡️2. Karmyogi Facebook account-: https://www.facebook.com/iamkarmyogi?mibextid=ZbWKwL ➡️3. Karmyogi Instagram account-: https://www.instagram.com/iamkarmyogi?igsh=MXU3dG03cml6a203ZA== ➡️4. Karmyogi twitter/X account-: https://x.com/iamkarmyogi?t=5w51h4NZmNegA8i6lkcULA&s=09 ➡️5. karmyogi on kutumbh app-: https://kutumb.app/k-j-association?ref=XF7OH&screen=id_card_section ➡️6. Karmyogi whatsapp channel-: https://whatsapp.com/channel/0029VaAPqc890x33j7SV5y3f
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अगर आप खुद क़ुरआन को पढ़ेंगे तो पाएंगे कि इसमें अल्लाह ने यहुदियों, ईसाईयों, मूर्तिपूजकों और बहुदेव उपासकों को अपनी सबसे घटिया उत्पत्ति कहा है। नमाज पढ़ते हुए मुसलमान उसी कुरान की आयतें पढ़ते हैं और अल्लाह पाक से यहुदियों का नाश करने की बद्दुआएं मांगते हैं। *मोहम्मद की जीवनी 'कथीर इब्ने कसीर' पढ़ेंगे तो पाएंगे कि मोहम्मद ने अपने मरते समय भी यहुदियों के सर्वनाश की बद्दुआ मांगी थी।* इस विश्व में २ अरब मुसलमान और १.५ करोड़ यहुदी हैं। *_क्या आप जानते हैं कि मानव जीवन को सरल सुगम बनाने के लिए चिकित्सा, भौतिकी, रसायन विज्ञान आदि विषय में नये नये आविष्कार करने वाले वैज्ञानिक में नोबेल पुरस्कार विजेताओं में १८७ यहुदी हैं ...और मात्र २ मुसलमान।_*


मोहम्मद, कुरान और इस्लाम का गुलाम ऐसा ही दुराचार करना जानता है। हिन्दू समाज की लड़कियाँ भेड हैं ' इतनी जागरूकता के बाद भी राक्षसों से खेलती हैं। राक्षसों का आर्थिक बहिष्कार नहीं, बल्कि वध किया जाता है ।


*उर्दू* किसी भी भाषा का विकास, मूल शब्दों के साथ बहिरागत शब्दों से भी होता है और इस प्रक्रिया में कोई बुराई नहीं। स्वयं हिंदी भाषा में फारसी के कई शब्द हैं, जो स्वयं एक आर्य भाषा है। लेकिन उर्दू भाषा नहीं बल्कि मुस्लिमों व दास मनोवृत्ति के लोगों द्वारा हजार वर्ष की दासता की स्मृति बनाये रखने का भाषाई प्रयत्न है। वस्तुतः उर्दू और कुछ नहीं बलात्कार की भाषा है ,जो तुर्की आक्रांताओं के खेमों जिन्हें 'ओर्दु' कहा जाता था, में तुर्क सैनिकों द्वारा हतभागी बलत्कृत हिन्दू स्त्रियों व गुलामों से बातचीत करने के लिए विकसित हुई थी। यह उन दास मनोवृत्ति के हिंदुओं द्वारा ही पसंद की जाती है जिनके वंश में किसी न किसी विदेशी के खून की मिलावट है और जिन्हें वामपंथी भाषा में लिबरल या धर्मनिरपेक्ष या प्रगतिशील कहा जाता है। उर्दू को अध्ययन के लिए सीखने में बुराई नहीं है लेकिन उसे सांस्कृतिक धरोहर या तहजीबी नाजुक जुबान बताना उन हजारों हिंदू स्त्रियों पर हुए बलात्कारों का महिमामंडन है।


सीखो ! ऐसे लिया जाता है आतंकवाद से बदला मोसाद टारगेट को मारने से पहले बुके भेजती थी जिसमें लिखा होता था " ये याद दिलाने के लिए कि हम ना तो भूलते हैं ना ही माफ करते हैं" उसके बाद आतंकवादी के जिश्म में गिनकर 11 गोली दाग दी जाती थी। 75 साल की बूढ़ी महिला थी इजरायल की प्रधानमंत्री गोल्डा मेयर। जिसने पूरी दुनियां को बताया कि इजरायल के नागरिकों पर हमला करने का अंजाम क्या होता है 5 सितंबर 1972 को जर्मनी में ओलंपिक खेलों के दौरान फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन के आतंकवादियों ने इजरायल के 11 खिलाड़ियों को पराए मुल्क में मार डाला। पूरा देश इस घटना से गुस्से में था लोग दुखी थे। लेकिन इजराइल की दादी मां गोल्डा मेयर ने छाती नहीं पीटी वो बूढ़ी औरत रोइ नहीं बल्कि उसने ऐसा कुछ किया कि फलस्तीनी आतंकी तो क्या दुनियां भर के आतंकवादी दहल गए। गोल्डा मेयर के आदेश पर इजरायली सेना ने अपने खिलाड़ियों की हत्या के महज 48 घण्टे में सीरिया और लेबनान में घुसकर फलस्तीन के 10 कैम्पों पर एयर स्ट्राइक कर 200 आतंकियों और आम लोगों को मौत के घाट उतार दिया। बूढ़ी गोल्डा मेयर यहीं नहीं रुकी, 200 मौतों के बाद भी उसके दिल में बदले की आग शांत नहीं हुई। इसके बाद गोल्डा मेयर ने जो किया उसने पूरी दुनियां को हिलाकर रख दिया। गोल्डा मेयर ने इजरायली खिलाड़ियों का बदला लेने के लिए ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड छेड़ दिया। और इसकी जिम्मेदारी दी इजरायल की सबसे खुंखार खुफिया एजेंसी मोसाद को। मोसाद ने अगले 7 साल तक दुनियां भर में खोज खोज कर अपने खिलाड़ियों के हत्याकांड से जुड़े सभी 35 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया। मोसाद टारगेट को मारने से पहले बुके भेजती थी जिसमें लिखा होता था " ये याद दिलाने के लिए कि हम ना तो भूलते हैं ना ही माफ करते हैं" उसके बाद आतंकवादी के जिश्म में गिनकर 11 गोली दाग दी जाती थीं। 11 गोलियां इसलिए कि आतंकियों ने इजरायल के 11 खिलाड़ी मारे थे। मोसाद ने आगे 20 साल तक ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड चलाया था। और दुनियां भर में फैले फलस्तीनी आतंकियों को ठिकाने लगाती रही। इसलिए गोल्डा मेयर को आयरन लेडी कहा गया, जो इजरायल की दादी मां थी।


जिन हिन्दू सेक्युलर कीड़ों को लगता है कि मुसलमान क्रूर नहीं था, वो ताजा तरीन जिंदा आंखों से ये दृश्य देखें। हमास ने इजरायल को इन दो बच्चों कफ़िर, एरियल और उनकी माँ शिरी का शरीर लौटाया। यह मासूम बंधक बनाए जाते समय ठीक थे, इनकी हत्या मुस्लमान आतंकियों ने कैप्टिविटी के दौरान की थी- लौटाने से पहले हमास ने इनके शरीर का परेड निकाला, इसको 'सेलीब्रेट' करने के लिए हजारों लोग एकत्र हुए। अब आप जानते हैं इजरायल किस बर्बर मानसिकता वालों से विगत हजारों वर्षों से लड़ रहा है। भारत में कुछ फ्लाॅप एक्टर-एक्ट्रेस इसी औरंगजेब जैसी विचारधारा का समर्थन करते हैं जब वह हमास के पिशाचों को स्वतंत्रता सेनानी बताते हैं। आक्रमणकारियों मुसलमानों ने भारत में कैसे शासन किया होगा यह कोई फिल्म भी सटीकता से नहीं बता सकती, इसके लिए वर्तमान के दृश्य ज्यादा प्रासंगिक हैं। ISIS द्वारा यज़ीदी लड़कियों को सेक्स स्लेव बनाना मात्र दस साल पुरानी बात है। तालिबान का महिलाओं के खिलाफ़ जेंडर अपार्थेड 2025 में चल रहा है। हमास का मासूम यहूदी बच्चों व महिलाओं के खिलाफ़ हिंसा तो मात्र डेढ़ साल पुरानी घटना है। जो वोक-लिबरल इन प्रत्यक्ष चरमपंथी घटनाओं को एकनाॅलेज नहीं करते, बल्कि ग्लोरिफाई करते हैं उन्हें 'छावा' जैसी फिल्मों से समस्या होना लाजिमी है। हमास के इस पैशाचिक कृत्य ने 'फिलीस्तीनी काॅज' के पक्ष को कमजोर कर दिया है, जो अब तक अनडिसाइडेड थे वह भी इजरायल की विवशता को महसूस कर रहे हैं। इजरायल मस्ट एलिमिनेट हमास टेररिस्ट्स वन्स फाॅर ऑल। इन निर्दोष यहूदी बच्चों और उनकी माता के साथ जो हुआ वह अत्यधिक डिस्टर्बिंग है जिसने इजरायल के जख्मों को ताजा कर दिया है.. पूरी दुनिया से सिर्फ एक सवाल.. क्या इनको अपना जीवन जीने का हक नहीं था..


साल 2004.. बेसलान के स्कूल में इस्लाम के आतंकीयों का बहुत बड़ा हमला हुआ था ... इस हमले से पूरी दुनिया भयभीत हो गई थी... यहां चेचन्या के 32 आतंकियों ने तीन दिनों तक स्कूल को घेरे रखा इस घटना में 330 से ज्यादा लोग मारे गए... जिसमें ज्यादातर बच्चे थे आतंकियों ने स्कूल के पहले दिन आयोजन समारोह में आए 1200 शिक्षकों, छात्रों और अभिभावाकों को बंदी बनाकर रखा... ये आधुनिक युग का सब से बड़ा दिल दहलाने वाला बच्चों का सेक्शुअल नरसंहार था... जो इतना दर्दनाक था कि पूरी दुनिया आतंकी दरिंदे मुसलमानों द्वारा किए गये इस कृत्य पर सन्न रह गयी... भारत की महा भ्रष्ट मीडिया की क्या कहें.. पूरी दुनिया के न्यूज़ में इस नरसंहार की कहानी पूरी नहीं आने दी गयी.. बेसलान के एक बच्चों के स्कूल में अचानक मुस्लिम हमलावरों ने इतिहास का सब से घिनौना हमला बोला.. इस हमले में जो मुसलमानों ने किया वो आज तक.. किसी भी मीडिया ने बोलने की हिम्मत नही दिखाई... अंदर घुसते ही जो भी स्कूल के अंदर पुरुष थे उनको तुरंत ही मार दिया गया ताकि किसी तरह के प्रतिरोध की संभावना ना रहे.. इसके बाद जैसे ही इनकी नज़रें डरी हुई और बेसहारे स्कूल की छोटी बच्चियों पर गयीं.. इनकी आँखों मे वासना उभर उठी.. इनके अंदर का शैतान जाग उठा.. बेसलान स्पष्ट रूप से एक यौन हत्या थी मुसलमान इस स्कूल में आतंकवाद से भी ज़्यादा की दरिंदगी दिखाना चाहते थे... अल्लाह के बंदे सेक्स हत्यारों ने अब सभी छोटी छोटी बच्चियों की तरफ देखा.. उन सबको अंदर बने एक जिम हॉल में ले गये इसके बाद छोटी छोटी बच्चियों की चीखती आवाज़ें इनके ज़ुल्म के आगे दब कर रह गयी.. अपने ही सारे दोस्तों के सामने अपमानित होती रही बारी बारी से ३ साल ५ साल की एक-एक बच्ची के साथ कई-कई मुसलमानों ने बलात्कार किया.. ना सिर्फ़ मुस्लिम हैवानों ने बलात्कार किया बल्कि बच्चों के गुप्तांगों में अपनी बंदूकों और अन्य वस्तुओं को... दूसरे सारे बंधक बच्चों को ये सब देखने को मजबूर किया गया और आतंकवादी हंसते रहे.. जितना बच्चों के गुप्तांगों से खून निकलता.. मुसलमान उतनी ही ज़ोर से हंसते.. बहुत सारी छोटी छोटी बच्ची बच्चियां ज़्यादा ब्लीडिंग की वजह से वहीं उसी वक़्त मर गयी.. रेप करने के दौरान दरिंदे वीडियो शूट भी कर रहे थे.. खून से फर्श लाल हो गया था... लड़कियाँ इस रेप और हथियार के गुप्तांगों में डालने की वजह से खून से सन गयीं.. जिस्म से इतना खून निकला कि तत्काल चिकित्सा नहीं होने की वजह से चीखती मासूमों ने वहीं दम तोड़ दिया.. इस सब के बाद भी मुसलमानों का दिल नहीं भरा था, मुसलमानों ने छोटे छोटे बच्चों को पीटना शुरू किया.. बुरी तरह पीटा.. वास्तव में.. पिटाई तो वो शुरू से ले कर अंत तक करते रहे इस दौरान मुसलमान खुश होते.. हंसते.. आतंकवादियों ने बच्चों को खूब लहू लुहान किया.. और खूब ठहाके लगाए.. जैसे जैसे समय बीता मुसलमानों के ज़ुल्म और बढ़ते गये.. जब बच्चों ने प्यास के मारे पानी माँगा तो वो लोग हँसने.. मज़ाक उड़ाने लगे.. उस दिन मौसम भी अजीब था बाहर जबरदस्त गर्मी थी और अंदर के उस हॉल में एयर कंडीशनर भी काम नहीं कर रहा था.. बच्चे प्यास से तड़प रहे थे.. पानी माँग रहे थे पीड़ित बच्चों की हालत उस वक़्त और बुरी हो गई जब उन दरिंदों ने बच्चों को अपना पेशाब पीने पर मजबूर किया !! कुछ मामलों में तो बंधकों के ऊपर ही पेशाब किया !! आतंकवादियों ने एक गेम खेला.. बच्चों के सामने जो बहुत ही ज़्यादा प्यासे थे उनके सामने पानी के बर्तन को रख दिया और कहा जो इसको पीने आएगा उसको मैं गोली मार दूँगा !! जब बच्चों ने पूछा.. क्या वो रेस्ट रूम मे जा कर पानी पी सकते हैं तो उस मे से एक आतंकी मुस्लिम ने कहा.. हम तुम्हारे अंकल नही बल्कि जिहादी हैं और तुम्हे मारने आए हैं.. इसके बाद बच्चों मे अपनी मौत का ख़ौफ़ समा गया, खुद के ज़िंदा बच पाने की उम्मीद ख़त्म हो गयी.. बच्चे डर कर चिल्ला भी नहीं पा रहे थे क्योंकि ऐसा करने पर उनको मारा जाता, पीटा जाता.. बच्चों को डर था.. अगर वो चिल्लाएँगे तो ये लोग उनको गोली मार देंगे अब तक स्कूल के बाहर भीड़ लग चुकी थी.. आतंकी अंदर से खड़े हो कर नगरवासियों पर कॉमेंट करते.. अंडे फेंकते.. हंसते.. और ये सब रात तक चलता रहा बच्चों के ऊपर इनकी क्रूरता जारी रही, रात को इन्होनें बच्चों को ही कहा कि वो नंगे.. बलात्कार किए हुए.. मर चुके.. बच्चों की लाशों को उठा कर के पीछे फेंक कर आयें इस बीच रशियन सैनिकों ने स्कूल को घेर लिया था.. समझौते की कोशिशें जारी थी सैनिकों ने आतंकवादियों से खाना खाने के लिए फूड देने की बात की पर आतंकियों ने इनकार कर दिया.. क्योंकि उन्हें उसमे ज़हर होने का डर था इस बीच रूस की सब से अच्छी फोर्स Alpha and Vympel (Russia Special forces) आ चुकी थी आतंकियों ने साफ कर दिया था.. अगर गैस का इस्तेमाल हुआ या बिजली काटी गयी तो वो बच्चों को तुरंत मार देंगे इस्लामिक आतंकवादियों ने फोर्स के पहले की सारी कारवाई की छानबीन कर ली थी.. वे थकान और नींद भगाने वाली दवाई amphetamines लाए थे रूसी विशेष बलों ने विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते हुए स्कूल पर हमला कर दिया टैंक से .. बंदूक से ... विस्फोटक से.. हर तरह से हमला किया गया स्पेशल फोर्स के कमांडो भी जान पर खेल गये.. लेकिन उस अभागे दिन रक्तपात को छोड़ कर और कुछ हासिल नही हो पाया 330 लोग मारे गये जिसमें से 180 छोटे छोटे मासूम बच्चे थे बच्चों को गोली मार दी गयी थी 247 बच्चे जो गंभीर रूप से घायल थे उनको इलाज के तुरंत बाद सर्जरी के लिए मास्को भेजा गया फोर्स के भी कई सैनिक मारे गये थे 3 दिनों तक बंधक बच्चों पर ये ज़ुल्म ढाते रहे थे.. अंत में चारों तरफ बच्चों की लाशों को देख कर उनके माँ बाप की चीख पुकार और रोने की आवाज़ से पूरा इलाक़ा दहल उठा.. जो बच्चे स्कूल से निकल रहे थे सब खून से सने हुए थे.. लाशों के ढेर लगे थे.. इस्लाम ने सबकी खुशियाँ छीन ली


देश का दुर्भाग्य देखिए की एक नौवीं फेल "नेता" "सिविल सेवा दिवस" पर खड़े हो कर IAS और IPS को ज्ञान दे रहा है।🤣🤣😂😂😅😅


*ना भूले हैं ना भूलने देंगे* कैसे जिहादियों एवं सेकुलर द्वारा हिंदुओं पर अत्याचार होता रहा और दोषी हिंदुओं को ही ठहराया जाता रहा.... *27 फरवरी 2002* आज ही के दिन गोधरा में 59 हिन्दू तीर्थ यात्रियों को ट्रेन में ज़िन्दा जला दिया गया था उनका गुनाह सिर्फ़ इतना सा था कि वो अयोध्या में कारसेवा करने गये थे 🙏 *दिवंगत आत्माओं को विनम्र श्रद्धांजलि*


कृतज्ञ राष्ट्र का नमन ................. हमारे वीर..... हमारे सावरकर..........भारत रत्न के सच्चे अधिकारी वो सावरकर जो भारत की भूमि का अभिनन्दन है वो सावरकर जो वीरों के मस्तक का भी चन्दन है वो सावरकर जिनको दो आजीवन कारावास मिले वो सावरकर जिनकी पुस्तक से अंग्रेजी देश हिले जिसने वर्षों सही यातना पर सम्मान नहीं त्यागा जो कोल्हू में जुता रहा लेकिन अभिमान नहीं त्यागा जिसने पहली चोट करी थी हिन्दूहित हत्यारों पर जिसकी गाथा लिखी पड़ी है जेलों की दीवारों पर वो सावरकर जिसने रक्खी प्रथम होलिका वस्त्रों की उसने ही तो त्याग अहिंसा बात बताई अस्त्रों की धर्मचक्र सावरकर का ही भारत की भी शान बना लगा तिरंगे पर ये ही और भारत की पहचान बना वो सावरकर जिसके आगे वीर लगाया जाता है वो सावरकर जिनको सबसे धीर बताया जाता है अंग्रेजों से पीछा छूटा पर चमचे सरदार हुए सावरकर को वर्षों तक फिर से कारागार हुए एक मात्र सावरकर ने दो टुकड़ों का प्रतिरोध किया यही एक कारण है जिसका अबतक है प्रतिशोध लिया भारत के अस्तित्व पे ही जो एक तमाचा बन बैठा कैसे नहरू उड़ा कबूतर देश का चाचा बन बैठा जिसके कारण खोया तिब्बत और आधा कश्मीर गया जिसके कारण भगत सिंह और शेखर जैसा वीर गया वो जिसने निज हित में बोस का भी प्रतिकार किया वो जिसने पटेल के हक़ को भरी सभा में मार लिया खुद को भारत रत्न दे लिया यूँ सत्ता का पान किया नहरु की संतानों ने कब वीरों का सम्मान किया जो इनके गुणगान करे ये केवल उसके प्यारे हैं ये दोषी धर्म धरा के हैं, हिन्दू हित के हत्यारे हैं पूज्य वीर स्वातंत्र्य के हैं अंग्रेजो के हमराज नहीं सावरकर गद्दारों की तारीफ़ों के मोहताज़ नहीं


खबर जोरदार है... अवैध घुसपैठियों के मामले में कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों का विरोध बाकी बचे लोगों ओर उनके परिवारों को कितना भारी पड़ गया है.. यह आने वाले समय में पता लग जाएगा. दो बार सैन्य विमान से भारत के अवैध घुसपैठियों को भारत भेजने के बाद जब अमेरिका की भारत के विपक्ष ने बहुत तगड़ी आलोचना की और भारत सरकार ने भी अमेरिका के सामने मुद्दा उठाया। तब अमेरिका तमाम देशों के घुसपैठियों को जिसमें भारत, वियतनाम, चीन, ईरान, पाकिस्तान आदि देशों के हैं उन सबको पनामा, ग्वाटेमाला और मेक्सिको ले जाकर छोड़ रहा है। अब वहां मुफ्त में बंधूवा मजदूरी करें और पनामा नहर विस्तार में सहयोग करें,,,,,, ये सही भी है..अवैध घुसपैठियों का बेहतर इलाज यही है। वहां की सरकारों के साथ अमेरिका का समझौता हो गया है.. वहां उन्हें अस्थाई जेलों में कैद किया गया है। उसके बाद अमेरिकी सरकार ने संबंधित देशों को कह दिया है और उन घुसपैटियों के परिवार वालों को भी सूचना दे दी गई है कि आप इनको यहां से जैसे चाहे वैसे फूल-मालाएं पहना कर ले जा सकते हैं... अब अमेरिका किसी भी देश में घुसपैठियों को अपने विमान से अपना पैसा खर्च करके नहीं भेजेगा बल्कि उन्हें ग्वाटेमाला, मैक्सिको और पनामा में छोड़ देगा जहां वो मुफ्त में पनामा नहर खुदाई करेंगे। सही सलामत घर वापसी हो रही थी। उसकी खुशी मनाने की जगह विपक्ष अमेरिका ओर मोदी सरकार को कोस रहे थे जबकि लोगो को पता है मोदी है तो लोग विदेशों से सही सलामत ओर जीवित लौट रहे थे। ये कतर में फांसी की सजा पा चुके नौ सैनिक के बारे में नहीं बताते। कांग्रेस से एक सबरजीत जिंदा नहीं लाया गया। कुत्तों... को घी हजम न होना था..ना हुआ, अमेरिका घुसपैठियों को घर तक छोड़कर जा रहा था तो पेट में दर्द था..अब अमेरिका ने घुसपैठियों को पनामा, ग्वाटेमाला, मैक्सिको की जेल में डाल दिया। बाद में इनके पैरों में चिप फिट करके मजदूरी पर लगाया जायेगा और इनकी चिप से निगरानी की जाएगी ताकि ये लोग भाग ना सकें। तो भाऊ जिनके परिवार वाले अमेरिका से वापस नहीं आए हैं, अब वो खुद पनामा, ग्वाटेमाला, मैक्सिको जाकर अपने पैसे खर्च करके अपनों को छुड़ा लाएं या राहुल, सोनिया, प्रियंका या अन्य विपक्षी दल जिनको हथकड़ियों पर एतराज था अब अपना पैसा खर्च करके वहां पर फंसे अवैध भारतीयों को छुड़ाकर ले और उनके परिवार वालों को सौंप दें. ज़मीन तो पहले ही बिक ही गई थी.. अब विपक्ष ने रिटर्न टिकट का खर्च भी गले पड़वा दिया। इसका श्रेय जाता है, भारत के विपक्ष को और हथकड़ियों वाले पोस्ट करने वालों को... बोलो मुर्खाधिराज pappu बाबा की जय...
