Aazad Bablu (ASP जयपुर)
Aazad Bablu (ASP जयपुर)
January 26, 2025 at 08:16 AM
जब एक ओर देश संविधान लागू होने की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, वहीं दूसरी ओर तथाकथित धार्मिक राज्य के नाम पर मनु के विधान को लागू करने की साजिश रची जा रही है। क्या ग़ज़ब नौटंकी चल रही है, एक तरफ़ प्रधानमंत्री Narendra Modi जी द्वारा संविधान पर सिर पटक - पटक कर संविधानवादी होने का दावा किया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ़ प्रयागराज के महाकुंभ में हिंदू राष्ट्र के लिए संविधान का प्रारूप को सामने लाया जा रहा है। भारत का संविधान स्वतंत्रता, समानता और न्याय की गारंटी देता है। इसे मनुस्मृति और चाणक्य नीति जैसे पुराने और भेदभावपूर्ण नियमों से बदलने की कोशिश करने की बात करना न केवल असंवैधानिक है, बल्कि यह आधुनिक भारत की संकल्पना के खिलाफ है। मनुस्मृति, जो जातिगत एवँ लैंगिक भेदभाव और सामाजिक असमानता का प्रतीक है, को आधार बनाना भारत के संविधान द्वारा प्रदान किए गए मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है। यह कमजोर वर्गों, महिलाओं और समाज के हर उस व्यक्ति के अधिकारों पर हमला है, जिसे संविधान ने समानता का अधिकार दिया है। यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है। नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद
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