Mufti Wasim Akram Razavi
Mufti Wasim Akram Razavi
January 28, 2025 at 05:56 AM
*सोशल मीडिया पर एहतियात: नेकी या गुनाह?* सोशल मीडिया पर स्टेटस लगाने या कोई भी संदेश आगे साझा करने में एहतियात बरतें। अगर वह किसी नेकी का संदेश देता है तो यह निःसंदेह बहुत अच्छी बात है। लेकिन अगर उसमें कोई गुनाह भरा संदेश हो, तो इसका अंजाम बहुत बुरा हो सकता है। अल्लाह के रसूल ﷺ ने फरमाया: "जिसने इस्लाम में कोई अच्छा तरीका जारी किया और उस पर अमल किया गया तो उसके लिए उसका सवाब लिखा जाएगा और उन लोगों के सवाब के बराबर भी जो उस पर अमल करेंगे, और उनके सवाब में कोई कमी नहीं की जाएगी। और जिसने इस्लाम में कोई बुरा तरीका जारी किया और उस पर अमल किया गया तो उस पर उसका गुनाह भी लिखा जाएगा और उन लोगों के गुनाह के बराबर भी जो उस पर अमल करेंगे, और उनके गुनाहों में कोई कमी नहीं की जाएगी।" (सहीह मुस्लिम) अगर कोई नाजायज़ संदेश साझा कर दिया जाए और तौबा भी न की जाए और वह क़यामत तक चलता रहे तो इंतकाल के बाद भी गुनाहों का सिलसिला जारी रह सकता है, जिससे क़ब्र में अज़ाब बढ़ सकता है। अक्सर ऐसा होता है कि हम अपनी कम इल्मी की वजह से किसी बात को नेकी समझ कर साझा कर देते हैं, जबकि वह नाजायज होती है। जैसे: किसी कुरआनी आयत को वीडियो के रूप में साझा करना जिसमें बेपर्दा औरतें या म्यूजिक शामिल हो। कभी किसी बात को हदीसे पाक कहकर साझा कर दिया जाता है जबकि वह हदीस नहीं होती। इसलिए, साझा करने से पहले संदेश की सही और जायज़ होने की तस्दीक़ जरूर करें ताकि नेकी का ज़रिया बनें, न कि गुनाह का। *✍️: मुहम्मद वसीम अकरम रज़वी* टिटलागढ़, बलांगीर, ओडिशा
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