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January 18, 2025 at 02:43 PM
*टायफायड बीमारी...?*
*इस बुखार का कारण साल्मोनेला टाइफी (Salmonella typhi) नामक बैक्टीरिया का संक्रमण होता है।*
इस बीमारी में तेज बुखार आता है जो कई दिनों तक बना रहता है।
यह बुखार कम ज्यादा होता रहता है लेकिन कभी सामान्य नहीं होता।
यह बैक्टीरिया छोटी आंत में स्थापित हो जाता है लेकिन कभी कभी यह पित्ताशय या गाल ब्लैडर में भी स्थापित रहता है यह वहीं अपनी संख्या बढ़ाकर विष फैलाता है और रक्त में मिलकर इस बीमारी का कारण बनता है।
मोतीझरा या टाइफाइड का इन्फेक्शन होने के एक सप्ताह बाद रोग के लक्षण नजर आने लगते हैं।
कई बार दो-दो महीने बाद तक इसके लक्षण दिखते हैं।
यह सब संक्रमण की शक्ति पर निर्भर करता है।
*पारंपरिक उपचार की विधि है...*
1. 10ml तुलसी की पत्तियों का रस, 10 मी.ली. अदरक का रस, 5 कालीमिर्च के दाने इन सभी को 1 चम्मच शहद के साथ टाइफाइड से पीड़ित रोगी को पिलाए और चादर ओढाकर सुला दें- इससे मोतीझरा के बुखार में लाभ मिलता है।
2. 10ml तुलसी की पत्तियों का रस, 10 ग्राम दालचीनी, 10 ग्राम जावित्री को 1 लीटर पानी में उबालें और जब ¼भाग पानी शेष बचे तो इसे मोतीझरा के रोगी को थोड़े थोड़े अंतराल में पिलाएं इससे टायफॉइड में लाभ मिलता है।
आयुर्वेद या प्राकृतिक चिकित्सा इस युग की ज़रूरत जरूरत और मजबूरी भी बन चुका है।
आयुर्वेद में सभी जीर्ण रोगों का निवारण हैं।
आयुर्वेद एक जीवनशैली है।
हमारे साधु, संत, ऋषि, मुनियों का दिया हुआ मंत्र आयुर्वेद है।
चिकित्सकीय सलाह अवश्य लें....
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श्याम सुंदर अग्रवाल हॉलिस्टिक एस्ट्रो हेल्थ काउंसलर
8299829590