
( BAZM E ARQAM ) بزم ارقم
February 13, 2025 at 05:07 AM
*शबे बरात की फज़ीलत*
इस महीने की पन्दरहवी रात को शबे बरात कहा जाता हे जो १४ तारीख के सूरज डूबने से शुरू होती हे और १५ तारीख की सुबह सादिक़ तक रहती हे, शबे बरात फार्सी का लफ्ज़ हे जिस्के मानी निजात पाने की रात के हें, क्यों की इस रात मे बहोत से गुनाहगारों की मगफिरत की जाती हे इसलिए इस रात को शबे बरात कहा जाता हे,
*पन्दरहवी शाबान की रात में इन नेक आमाल का ख़ास एहतेमाम करना चाहिए.*
1] इशा और फजर की नमाज़ें वक़्त पर अदा करें.
2] बकदरे तौफीक नफल नमाज़ें खास कर नमाज़े तहज्जुद अदा करें. (Sabse pehle Chuti hui faraz namajo ki kaza ka khas ehtemam kare).
3] अगर मुमकिन हो तो सलातुत तसबीह पढ़ें.
4] क़ुरान पाक की तिलावत करें, ५] कसरत से अल्लाह का ज़िक्र करें,
5] किसी किसी शबे बरात मे कब्रस्तिान तशरीफ ले जाएं अपने और अपने मरहूमीन के लिए के लिए दुआए मगफिरत करें, लेकिन हर शबे बरात मे कब्रस्तान जाने का ख़ास एहतेमाम कोई ज़रूरी नहीं हे,
*क्यों कि पूरी ज़िन्दगी में नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से एक मरतबा इस रात मे कब्रस्तान जाना साबित हे.*
6] अल्लाह से खूब दुआए मांगे ख़ास कर अपने गुनाहों की मगफिरत चाहें.
नोट- शबे बरात मे पूरी रात जागना कोई ज़रूरी नहीं हे, जितना आसानी से मुमकिन हो इबादत कर लें, लेकिन याद रखें कि किसी शख़्स को आप के जागने की वजह से तकलीफ नहीं होनी चाहिए.
*पन्दरहवी शाबान की रात में इन आमाल का हदीस से कोई सबूत नहीं हे.*
१] हलवा पकाना (isitarah ache ache khane pakane ko jaruri samjna) हलवा पकाने से शबे बरात का दूर दूर तक कोई तअल्लुक नहीं हे.
२] आतिशबाज़ी (यानी पटाखे फोड़ना ) करना ये फुज़ूल खर्ची हे, और इससे अपनी और दूसरों की प्रोपर्टी को नुक्सान पहुंचने का भी खौफ हे.
३] इजतिमाई तौर पर कब्रस्तान जाना.
४] कब्रस्तान मे औरतों का जाना. ५] कब्रस्तान मे चिरागां रौशनी का इन्तेज़ाम करना. (Yani diya, agarbatti vagera kabro par jalana).
६] मुख्तलिफ किस्म के डेकोरेशन का एहतेमाम करना, ७] औरतों और मर्दों का इख्तिलात होना, (यानी एक जगह इकट्ठा होना )
८] कब्रों पर चादर चढाना.(fool patti dalna).
नोट- इस रात में बकदरे तौफीक इंफिरादी अकेले इबादत करनी चाहिये, लिहाज़ा इजतिमाई इबादतों से अपने आपको दूर रखने की पूरी कोशिश करनी चाहिए
क्यूं की *नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से इस रात में इजतिमाई तौर पर कोई इबादत करना साबित नहीं हे.*
*जिन गुनाहगारों की इस बा बरकत रात मे भी मगफिरत नही होती वह यह हे*
१] मुशरिक.
२] कातिल.
३] वालिदैन की नाफरमानी करने वाला.
४] बुग्ज़ वा अदावत रखने वाला. ५] रिश्ता तोडने वाला.
६] तकब्बुराना तौर टखनों से नीचे कपडा पहनने वाला.
७] शराब पीने वाला.
८] ज़िना करने वाला.
लिहाज़ा हम सबको तमाम गुनाहों से खास कर इन कबीरा गुनाहों से बचना चाहिए.
अल्लाह तआला हमारे तमाम नेक आमाल को क़बूल फरमाए,
शाबान के महीने की फज़ीलत और उसमे ज़्यादा रोज़ा रखने के मुतअल्लिक उम्मते मुस्लिमा मुत्तफिक हे, अलबत्ता पन्दरहवी रात की खुसूसी फज़ीलत के मुतअल्लिक उलमा, फुक़हा और मुहद्दिसीन के दरमियान ज़मानए क़दीम से इख्तिलाफ चला आ रहा हे. उलमा, फुकहा और मुहद्दिसीन की एक बडी जमाअत की राय हे कि इस बाब से मुतअल्लिक हदीस काबिले कबूल हैं (हसन लिगैरेही) और उम्मते मुस्लिमा का अमल इब्तिदा से इस पर होने की वजह से इस रात मे इंफिरादी तौर पर नफ़ल नमाज़ों की अदाएगी,
कुरान करीम की तिलावत,
ज़िक्र और दुआओ का किसी हद तक एहतेमाम करना चाहिए.
किसी किसी शबे बरात मे कब्रिस्तान भी चले जाना चाहिए. इस किस्म से इस रात मे इबादत करना बिदअत नहीं बल्कि इस्लामी तालिमात के एैन मुताबिक हे.
अल्लाह तआला हमारे तमाम नेक आमाल को कबूल फरमाए, आमीन
मुफ्ती मुहम्मद सालिम उवैसी नदवी जामिया दारुल उलूम ब्यावर मेवाड़ी गेट राजस्थान
9461011262
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