
Om Birla
February 15, 2025 at 10:48 AM
अश्वमेध सहस्त्राणि वाजपेय शतानि च।
लक्षं प्रदक्षिणा भूमेः कुम्भस्नाने हि तत्फलम्।।
प्रयागराज की पावन भूमि पर महाकुम्भ में स्नान कर मन असीम श्रद्धा और आनंद से भर उठा।
महाकुम्भ भारत की संस्कृति और चेतना का केंद्र है, जहाँ आस्था, अध्यात्म, और एकता का महासंगम हो रहा है।
यह महाकुम्भ 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की अनुपम अभिव्यक्ति है, जहाँ श्रद्धा की लहरें आत्मा को शुद्ध कर रही हैं और भक्ति की गूँज सम्पूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त हो रही है। देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालु इस पुण्य अवसर पर सामाजिक समरसता का संदेश दे रहे हैं।
मेरी प्रार्थना है कि महाकुम्भ के पुण्य प्रभाव से भारतवर्ष एवं संपूर्ण विश्व में कल्याण और उन्नति का मार्ग अविरल प्रशस्त हो।
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