
Shivraj Singh Chouhan
February 16, 2025 at 08:35 AM
*साधना जी ने बच्चों को केवल प्रेम और ममत्व ही नहीं दिया, बल्कि उन्हें अनुशासन और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीना भी सिखाया है। उन्हीं के ममत्व की छांव ने कार्तिकेय और कुणाल को जिम्मेदार एवं समझदार बनाया।*
*उंगली पकड़कर चलने से लेकर बड़े निर्णय लेने तक वह मजबूती से बच्चों के साथ खड़ी रहीं।*
*विवाह इस सृष्टि का, हमारी संस्कृति का अत्यंत पवित्र और प्रेमिल क्षण है। मनुष्य विवाह के वर्षों बाद भी विवाह में निभाई गई रस्मों को नहीं भूलता है। आज जब कुणाल नए जीवन में प्रवेश कर रहे हैं तो साधना जी ने अपने मन के भावों को व्यक्त किया है।*
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