awgpofficial Shantikunj
awgpofficial Shantikunj
February 14, 2025 at 10:32 AM
*विवेकानन्द विदेश जा रहे थे। वे माता शारदामणि के पास आशीर्वाद लेने पहुँचे। माताजी ने कहा-पहले मेरा काम कर। बाद में आशीर्वाद दूँगी। सामने तलवार पड़ी थी इशारा करते हुए कहा-उसे उठा कर ला विवेकानन्द ने माता के हाथ में मूँठ थमा दी और धार वाली नोंक उसने हाथ में रखी।* *माताजी ने आशीर्वाद देते हुए कहा-जो दूसरों की कठिनाई को समझता है और मुसीबत अपने हिस्से में लेता है, उसी पर भगवान् का आशीर्वाद बरसता है। तुम्हें भगवान का अनुग्रह सदा मिलता रहेगा।* *विवेकानन्द जी कहते थे महानता के ढेरों गुण मुझे परमहंस जी के पारिवारिक वातावरण में सीखने-विकसित करने का लाभ मिला। अन्यथा वे दुर्लभ ही रहते।* *📖 अखण्ड ज्योति, दिसंबर 1995 पृष्ठ 31* > *आज ही Subscribe करें शांतिकुंज हरिद्वार के Official Youtube Channel `Shantikunj Rishi Chintan`* https://yugrishi-erp.awgp.org/l?id=IpX6xqFWK1-ya3
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