awgpofficial Shantikunj
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February 14, 2025 at 05:53 PM
*‼ संगठित परिवार की विधि व्यवस्था ‼* *‼ शांतिकुंज ऋषि चिंतन ‼* ➖➖➖➖‼️➖➖➖➖ 🌞 *15 Febuary, 2025 Saturday* 🌞 🪻 *१५ फरवरी, २०२५ शनिवार* 🪻 *!! फाल्गुन माह, कृष्ण पक्ष, तृतीया तिथि, संवत २०८१ !!* ‼ *सूर्योदय 7:01 AM, सूर्यास्त 6:01 PM* ‼ ➖➖➖➖‼️➖➖➖➖ 🔷 *नयी व्यवस्था के अनुसार जहाँ भी कम से कम 10 सदस्य सूत्रबद्ध हो सके वहाँ परिवार शाखा की स्थापना की जानी चाहिए तथा उसकी समुचित व्यवस्था बनाई जानी चाहिए-* 🔸 *अपनी श्रद्धा एवं तत्परता के आधार पर अंशदानी व्रतधारी परिजन, वरिष्ठ सदस्य कहे जावेंगे उन्हीं में से न्यूनतम पाँच एवं अधिकतम दस सदस्यों की एक कार्यकारिणी समिति बनायी जायेगी। उन्हीं में से एक को कार्यवाहक नियुक्त कर दिया जाय। सबसे योग्य व्यक्ति ही कार्यवाहक बने यह आवश्यक नहीं। जो पर्याप्त समय दे सके तथा सबसे संपर्क सूत्र बनाये रख सके, ऐसे ही किसी प्रामाणिक कर्मठ सदस्य को कार्यवाहक मान लिया जाय। अन्य वरिष्ठ सदस्य उसे सहयोग एवं मार्ग दर्शन देते रहे। बड़े स्थानों पर जहाँ एक ही व्यक्ति को संपर्क सूत्र बिठाने में कठिनाई होती हो, वहां एक से अधिक कार्यवाहक भी नियुक्त किए जा सकते हैं।* *सद्गुरु से मिलने का सौभाग्य | Satguru Se Milne Ka Saubhagya | Dr Chinmay Pandya, Rishi Chintan* https://youtu.be/DPg5LTKMoVQ?si=LfaX1mDVhwjnWlgE 🔷 *जहाँ परिवार शाखा में सदस्यों की संख्या अधिक हो वहाँ उन्हें कई टोलियों में बाट लेना चाहिए। टोलियाँ दस से बीस व्यक्तियों तक की रहे। हर टोली किसी सुनिश्चित क्षेत्र एवं सुनिश्चित कार्यों का उत्तरदायित्व सँभालें। महिला जागरण के लिए महिलाओं की टोलियाँ भी बनाई जाये। महिला जागरण भी युग निर्माण परिवार के कार्यों का ही एक अंग है, अतः हर परिवार शाखा का इसके लिए भी कटिबद्ध होना ही चाहिए। महिलाओं में महिलाएँ ही ठीक से कार्य कर सकती है। इसलिए महिला टोलियों का गठन तथा महिला कार्यवाहिका की नियुक्ति भी की जानी चाहिए।* 🔸*कार्यवाहक-कार्यवाहिका की नियुक्ति मथुरा से कराई जाय। कभी परिवर्तन की आवश्यकता हो तो किसी केन्द्रीय प्रतिनिधि की उपस्थिति में यह कार्य सहज भाव से कर लिया जाय। अपने संगठनों को चुनाव के झंझट एवं पदलोलुपता के विष से बचाना आवश्यक है। सारे कार्य परिवार भाव से चलाये जाने चाहिए। परिवार शब्द हमें अत्यन्त प्रिय है। उसमें वे सभी विशेषताएँ जुड़ी हुई है जो इस धरती पर स्वर्ग के अवतरण के लिए आवश्यक है। हम सदैव से परिवार संस्था की गरिमा बखानते रहे हैं। आदर्श परिवार, व्यक्तित्व निर्माण की पाठशाला एवं नररत्नों की खदान सिद्ध हो सकते हैं। व्यक्ति ओर समाज को जोड़ने वाली शृंखला भी यही है। स्वस्थ पारिवारिक भावना जितनी व्यापक होती जाएगी, उसी अनुपात से मनुष्यों के बीच आत्मीयता एवं सहकारिता बढ़ेगी और उदार आदान प्रदान का पथ प्रशस्त होगा।* > 👉 *शांतिकुंज हरिद्वार के (अधिकारिक) Official WhatsApp Channel को Follow करें* ➡️ https://whatsapp.com/channel/0029VaBQpZm6hENhqlhg453J 🔶 *आदर्श परिवार वही है जिसके सदस्य एक दूसरे का हित साधन ही अपना सर्वोत्तम स्वार्थ समझते हो तथा अधिकार छोड़ने एवं कर्तव्य पालन के लिए तत्पर रहते हो। यह दिव्य वृत्तियाँ परिवारों में ही विकसित हो सकती है। आरम्भिक अभ्यास, व्यक्तिगत परिवार की छोटी व्यायामशाला में भी किया जा सकता है। किन्तु मात्र इतना ही पर्याप्त नहीं। वंश परिवार को विश्व परिवार के रूप में विकसित करना होगा। वसुधैव कुटुम्बकम् के आदर्श जब व्यवहार में उतरेंगे तभी सतयुग का पुनरागमन होगा। पारिवारिकता की भावना का उत्थान अभ्युदय ही समाज निर्माण का, विश्व शान्ति का, मानवी उज्ज्वल भविष्य का एकमात्र आधार है।* 🔹*परिवार शब्द हमारी नस नस में उत्साह भर देता है। उसका निखरा हुआ स्वरूप कही भी बनता दिखे, तो आँखें चमकने लगती है। गायत्री परिवार, युग निर्माण परिवार, नामकरण हम इसी दृष्टि से करते रहे हैं। इस नामकरण के साथ ही हम वह भाव भी पिरो देना चाहते हैं, जो हमें पुलकित करता रहता है। हम अपने पीछे ऋषि परम्परा के अनुकूल एक आदर्श परिवार छोड़ जाना चाहते हैं। इसलिए उसके सदस्यों में ऐसे लोगों को ही सम्मिलित करना चाहते हैं, जिनमें उर्वरता के व उत्कृष्टता के, जीवन और जागृति के कुछ चिन्ह पहले से ही विद्यमान हो, इन मौलिक गुणों के चिन्ह जहाँ होगे, वहाँ अपने परिश्रम का भी कुछ परिणाम निकलेगा। इन दिनों, इस गुरु पूर्णिमा पर हम अपने परिवार का पुनर्जीवन इसी दृष्टि से कर रहे हैं। उनके विकास तथा पुष्टि के लिये कुछ सुगम किन्तु प्रभावशाली कार्यक्रम नियमित रूप से अपनाने का आग्रह भी किया गया है।* *✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य* *📖 अखण्ड ज्योति जुलाई १९७७ पृष्ठ ५४* http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1977/July/v1.54 *🙏🏽 Please Like, Share, Comment and Subscribe Thanks 🙏🏽*
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