Shrinathji nitya darshan
Shrinathji nitya darshan
February 3, 2025 at 11:46 PM
व्रज – माघ शुक्ल सप्तमी Tuesday, 04 February 2025 और राग सब भये बाराती दूल्हे राग बसंत। मदन महोत्सव आज सखि री बिदा भयो हेमंत।। मधुरे सुर कोकिल कल कूजत बोलती मोर हँसत।। गावती नारि पंचम सुर ऊँचे जैसे पिक गुनवंत ।। हाथन लइ कनक पिचकाई मोहन चाल चलंति।। कुम्भनदास श्यामा प्यारी कों मिल्यो हे भांमतो कंत।। बसंत पंचमी के दो दिन बाद आज श्रीजी में नियम से श्वेत लट्ठा के घेरदार वागा के ऊपर गुलाबी झाँई फ़तवी धरायी जाती है. फ़तवी आधी बाँहों वाली एक बंडी या जैकेट जैसी पौशाक होती है जो कि शीतकाल में चोली और घेरदार वागा के ऊपर धरायी जाती है. फ़तवी सदैव घेरदार वागा से अलग रंग की होती है. शीतकाल में फ़तवी के चार श्रृंगार धराये जाते हैं. आज की फ़तवी द्वितीय गृह प्रभु श्री विट्ठलनाथजी के घर से सिद्ध हो कर आती है जबकि घेरदार वागा श्रीजी में ही सिद्ध होते हैं. फ़तवी के संग श्रीजी के भोग हेतु गुड़कल और घी की कटोरी भी पधारती है जो कि प्रभु को मंगलभोग में आरोगायी जाती है और सखड़ी में वितरित होती है. 🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞 Facebook Page: https://m.facebook.com/Shreenathjinitydarshan/ Instagram Account https://instagram.com/shreenathji__nity_darshan YouTube channel https://youtube.com/@shreenathji_nitya_darshan?si=Q-O_OOLKDovsuK2S WhatsApp channel https://whatsapp.com/channel/0029Va9SrMw3AzNUdJyRmS2V 🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞 राजभोग दर्शन – कीर्तन – (राग : वसंत) (अष्टपदी) खेलत वसंत गिरिधरनलाल, कोकिल कल कूजत अति रसाल ll 1 ll जमुनातट फूले तरु तमाल, केतकी कुंद नौतन प्रवाल ll 2 ll तहां बाजत बीन मृदंग ताल, बिचबिच मुरली अति रसाल ll 3 ll नवसत सज आई व्रजकी बाल, साजे भूखन बसन अंग तिलक भाल ll 4 ll चोवा चन्दन अबीर गुलाल, छिरकत पिय मदनगुपाल लाल ll 5 ll आलिंगन चुम्बन देत गाल, पहरावत उर फूलन की माल ll 6 ll यह विध क्रीड़त व्रजनृपकुमार, सुमन वृष्टि करे सुरअपार ll 7 ll श्रीगिरिवरधर मन हरित मार, ‘कुंभनदास’ बलबल विहार ll 8 ll साज – आज श्रीजी में सफ़ेद मलमल की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, चन्दन से खेल किया गया है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है. वस्त्र - आज श्रीजी को सफ़ेद रंग का लट्ठा का सूथन, चोली, घेरदार वागा के ऊपर गुलाबी झाई की फ़तवी धरायी जाती है. लाल रंग के मोजाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र श्याम रंग के धराये जाते हैं. सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि से कलात्मक रूप से खेल किया जाता है. श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) का फ़ागुन का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. हरे मीना सर्व आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर श्वेत गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, मोरपंख का क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं. आज फ़तवी धराए जाने से त्रवल, कटिपेच बाजु एवं पोची नहीं धरायी जाती हैं. आज प्रभु को श्रीकंठ में हीरा की कंठी धराई जाती हैं. श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है. श्रीहस्तं में सुआ वाले एक वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं. पट गुलाबी एवं गोटी मीना की आती हैं. 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं. 
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