Shrinathji nitya darshan
Shrinathji nitya darshan
February 9, 2025 at 11:46 PM
व्रज – माघ शुक्ल त्रयोदशी Monday, 10 February 2025 सेहरा के शृंगार आज श्रीजी को नियम का केसरी सूथन, चोली चाकदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा. श्रीमस्तक पर केसरी दुमाला के ऊपर मीना का सेहरा धराया जाता है. आज प्रभु के कपोल पर कमल पत्र नहीं मांडे जाते, रोपणी से मांडे जाते हैं. राजभोग में दुमाला को गुलाल, अबीर आदि सब से खेलाया जाता हैं. 🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞 Facebook Page: https://m.facebook.com/Shreenathjinitydarshan/ Instagram Account https://instagram.com/shreenathji__nity_darshan YouTube channel https://youtube.com/@shreenathji_nitya_darshan?si=Q-O_OOLKDovsuK2S WhatsApp channel https://whatsapp.com/channel/0029Va9SrMw3AzNUdJyRmS2V 🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞 राजभोग दर्शन – कीर्तन – (राग : वसंत) देखो राधा माधो,सरस जोर, खेलत बसंत पिय नवल किशोर।।ध्रु। ईत हलधर संग,समस्त बाल।। मधि नायक सोहे नंदलाल।। उत जुवती जूथ,अदभूत रूप।। मधि नायक सोहें,स्यामा अनूप।।१।। बहोरि निकसि चले जमुनातीर,।। मानों रति नायक जात धीर।। देखत रति नायक बने जाय।। संग ऋतु बसंत ले परत पाय।।२।। बाजत ताल,मृदंग तूर,।। पुनि भेरि निसान रवाब भूर।। डफ सहनाई,झांझ ढोल।। हसत परस्पर करत बोल।।३।। जाई जूही,चंपक रायवेलि।। रसिक सखन में करत केलि।।४।। ब्रज बाढ्यो कोतिक अनंत।। सुंदरि सब मिलि कियो मंत।। तुम नंदनंदन को पकरि लेहु।। सखी संकरषन को माखेहु।।५।। तब नवलवधू कींनो उपाई।। चहुँ दिशते सब चली धाई।। श्रीराधा पकरि स्याम कों लाई।। सखी संकरषन ,जिन भाजिपाई।।६। अहो संकरषन जू सुनो बात बात।। नंदलाल छांडि,तुम कहां जात।। दे गारी बोहो विधि अनेक।। तब हलधर पकरे सखी अनेक।।७।। अंजन हलधर नेन दीन।। कुंकुम मुख मंजन जू किन।। हरधवजू फगवा आनी देहु।। जुम कमल नेन कों छुडाई लेहु।।८।। जो मांग्यो सो़ं फगूआ दीन ।। नवललाल संग केलि कौन हसत, खेलत चले अपने धाम।। व्रज युवती भई पूरन काम।।९।। नंदरानी ठाडी पोरि द्वार।। नोछावरि करि देत वार ।। वृषभान सुता संग रसिकराय।। जन माणिक चंद बलिहारि जाय।।१०।। साज – आज श्रीजी में सफ़ेद रंग की मलमल की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, चन्दन से खेल किया जाता है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है. वस्त्र – श्रीजी को आज केसरी लट्ठा का सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं एवं लाल मलमल का रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित अंतरवास का राजशाही पटका धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं. लाल रंग के मोजाजी भी धराये जाते हैं. सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि की टिपकियों से कलात्मक रूप से खेल किया जाता है. श्रृंगार – प्रभु को आज वनमाला का (चरणारविन्द तक) फागुण का श्रृंगार धराया जाता है. मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर केसरी रंग के दुमाला के ऊपर मीना का सेहरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं. सेहरा पर मीना की चोटी दायीं ओर धरायी जाती है. आज त्रवल की जगह स्वर्ण की चंपाकली धरायी जाती हैं. श्रीकंठ में कस्तूरी, कली एवं कमल माला माला धरायी जाती है. लाल एवं पीले पुष्पों की विविध पुष्पों की थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है. श्रीहस्त में कमलछड़ी, लहरिया के वेणुजी एवं वेत्रजी (एक लाल मीना का) धराये जाते हैं. पट चीड़ का एवं गोटी फागुण की आती हैं. 🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼 संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रभु के शृंगार श्रीकंठ के आभरण बड़े कर दिए जाते हैं. दुमाला रहे लूम तुर्रा नहीं आवे. 
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