Jaigurudevukm
January 27, 2025 at 07:31 PM
जयगुरुदेव
समय का संदेश
30.12.2024
बाबा जयगुरुदेव आश्रम, उज्जैन।
https://www.youtube.com/live/c6utZuxYp6g?si=gMo6MkpZAndWf2v6
1. *कभी भी निराश नहीं होना चाहिए, लगे रहना चाहिए।*
(कहा गया है कि-)
अतिशय रगड़ करे जो कोई।
अनल प्रकट चंदन ते होई।।
यदि रगड़ते रहो, रगड़ते रहो, तो चंदन जो शीतल और ठंडा होता है, उसमें से भी आग निकल आती है। वह लगन के पक्के थे, लगे रहे। उनका लक्ष्य यह था कि हमें आवाज मिल जाए और उस आवाज से जुड़कर जो प्रभु आवाज रूप में हैं, उनका दर्शन कर लें। वे बराबर लगे रहे, उन्होंने आशा नहीं छोड़ी। आप तो निराश हो जाते हो कि कुछ दिखाई नहीं पड़ा, कुछ सुनाई नहीं पड़ा तो सुमिरन, ध्यान, और भजन करना बंद कर देते हो। लेकिन हिम्मत रखना चाहिए, कभी भी निराश नहीं होना चाहिए। लगे रहना चाहिए। लगे रहना अच्छा होता है।
आप यह समझो, कहा गया है -
"धीरे-धीरे रे मना,
धीरे ही सब होय।
माली सींचे सौ घड़ा,
ऋतु आए फल होय।।”
1.16.01 - 1.17.00
2. *गुरु यहां भी मददगार होते हैं और अन्तर में भी मददगार होते हैं।*
आप यह समझो, अंदर में भी इसी तरह से जो लोभ और लालच में फंस जाते हैं, वे रह जाते हैं। लेकिन जिनका लक्ष्य दूसरा होता है कि हमें अपने धाम पहुंचना हैं, अपने प्रभु के पास पहुंचना है, वे गुरु को बराबर याद करते रहते हैं। गुरु मददगार होते हैं। गुरु यहां भी मददगार होते हैं और गुरु अंतर में भी मददगार होते हैं। गुरु यहां भी मार्गदर्शन देते रहते हैं, समय-समय पर बताते रहते हैं और समय-समय पर आगाह भी करते रहते हैं। जो गुरु की दया लेता रहता है और गुरु के बताए घाट पर बैठता रहता है, गुरु उसकी जरूरत की चीजों की पूर्ति भी करते रहते हैं।
43.22 - 44.12
3. *जिनको सतसंग नहीं मिलता है, उनकी छवि खराब हो रही है।*
बराबर दर्शन मेला करते रहना चाहिए, सतसंग सुनते रहना चाहिए, आते-जाते रहना चाहिए। जिनको सतसंग नहीं मिलता है, उन्हीं की छवि खराब हो रही है। छवि किसे कहते हैं? प्रभाव, असर, तेज, जो चेहरे का प्रकाश होता है, जो आकर्षण पैदा करता है, वह सब लोगों का खत्म हो रहा है। चरित्र गिर रहा है। चरित्र का गिरना भारत देश के लोगों के लिए, विशेष रूप से आजकल के नौजवान बच्चों और बच्चियों के लिए, बड़ा ही दुखदाई होगा। कारण क्या है? कारण यही है कि सीख नहीं पा रहे हैं कि क्या खाया जाए, क्या पहना जाए, कैसे रहा जाए। इस चीज को सीख नहीं पा रहे हैं।
44.47 - 45.45
🙏
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🩷
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