Kshatriya Voice - क्षत्रियों की आवाज़
January 22, 2025 at 04:06 AM
आज से पचास वर्ष पूर्व का अनपढ़ क्षत्रिय अपने स्वधर्म, इतिहास व कर्त्तव्य के बारे में जितना जानता था आज का पढ़ा-लिखा क्षत्रिय उसका दशांश भी नहीं जानता । इसीलिए वह गुमराह है, अपने स्वधर्म व संस्कृति से दूर हटता जा रहा है । यह स्थिति अब नवयुवतियों व बालिकाओं की होने वाली है, यदि उन्होंने भी अपने स्वधर्म, परम्परा, कर्त्तव्यों का ज्ञान खो दिया तो फिर इस महान संस्कृति का प्रायः लोप ही हो जाएगा । इसलिए माता-पिता का यह महान् दायित्व है कि वे बालिकाओं को न केवल शिक्षित करें बल्कि शिक्षा के साथ-साथ उनको इतिहास, परम्पराओं, स्वधर्म व संस्कृति का सम्यक् ज्ञान हो । इसकी व्यवस्था भी करें ताकि वे आने वाली पीढ़ी को बचपन से ही शिक्षित व दीक्षित कर सकें । यदि ऐसा नहीं किया गया तो पूरे समाज का भविष्य अन्धकारमय हो सकता है । क्षत्राणी पुस्तक से साभार लेखक राजर्षि देवी सिंह जी महार
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