⛳सनातन धर्मरक्षक समिति⛳
February 9, 2025 at 02:43 AM
*┈┉सनातन धर्म की जय,हिंदू ही सनातनी है┉┈*
*लेख क्र.-सधस/२०८१/माघ/शु./१२-१६९६५*
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🕉️📿 *गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति, नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन् सन्निधिं कुरू'*📿🕉️
🔱 *महाकुम्भ* 🔱
*गतांक से आगे_____*
सम्पूर्ण देवताओं से सुरक्षित प्रयागतीर्थ में जाकर जो ब्रह्मचर्य का पालन तथा देवता और पितरों का तर्पण करते हुए एक मास तक वहाँ निवास करता है, वह जहाँ कहीं भी रहकर सम्पूर्ण मनोवांछित कामनाओं को प्राप्त कर लेता है। गंगा और यमुना का संगम सम्पूर्ण लोकों में विख्यात है। वहाँ भक्तिपूर्वक स्नान करने से जिसके जिसके मन में जो-जो कामना होती है, उसकी वह कामना अवश्य पूर्ण हो जाती है। हरिद्वार, प्रयाग और गंगा-सागर संगम में स्नान करने मात्र से मनुष्य अपनी रुचि के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव के धाम में चला जाता है। माघ मास में सितासित संगम के जल में जो स्नान किया जाता है, वह सौ कोटि कल्पों में भी कभी पुनरावृत्ति का अवसर नहीं देता।
*प्रयाग के ही अन्तर्गत प्रतिष्ठानपुर (झूसी) में एक अत्यन्त विख्यात कूप है। वहाँ मन को संयम में रखकर स्नान करने के पश्चात् देवताओं और पितरों का तर्पण करे और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए क्रोध को जीते। इस प्रकार जो तीन रात वहाँ निवास करता है, वह सब पापों से शुद्धचित्त हो अश्वमेध यज्ञ का फल पाता है।*
प्रतिष्ठान से उत्तर और *भागीरथी से पूर्व हंसप्रतपन नामक लोकविख्यात तीर्थ है। वहाँ स्नान करने मात्र से अश्वमेध-यज्ञका फल प्राप्त होता है* और जब तक चन्द्रमा और सूर्य रहते हैं, तब तक वह स्वर्गलोक में प्रतिष्ठित होता है। *तदनन्तर वासुकि नाग से उत्तर भोगवती के पास जाकर दशाश्वमेध तीर्थ है। वह परम उत्तम माना गया है।* वहाँ स्नान करके मनुष्य अश्वमेध यज्ञ का फल पाता है और इहलोक में धनाढ्य, रूपवान्, दक्ष, दाता एवं धार्मिक होता है।
रूपवान्, दक्ष, दाता एवं धार्मिक होता है। चारों वेदों का स्वाध्याय करने वाले पुरुषों को जो पुण्य प्राप्त होता है, सत्यवादियों को जो फल मिलता है और अहिंसा के पालन से जो धर्म होता है, उन सबका फल दशाश्वमेध तीर्थ में जाने मात्र से मिल जाता है। पायसी के उत्तर और प्रयाग के दक्षिण तट पर *ऋणमोचन नामक तीर्थ है, जो परम उत्तम माना गया है। वहाँ स्नान करके एक रात रहने से मनुष्य सब ऋणों से मुक्त हो जाता है और देवता होकर स्वर्गलोक में जाता है।*
प्रयाग में मुण्डन कराना अत्यावश्यक होता है, क्योंकि मनुष्यों के सब पाप केशों की जड़ का आश्रय लेकर टिके रहते हैं। अतः प्रयागतीर्थ में स्नान करने के पहले मुण्डन करा लेना चाहिये। यदि पौष और माघ के महीने में श्रवण नक्षत्र, व्यतिपात योग तथा रविवार से युक्त अमावास्या तिथि हो तो उसे अर्योदय पर्व समझना चाहिये। इसका महत्त्व सौ सूर्यग्रहणों से भी अधिक होता है।
यदि प्रयागतीर्थ में अरुणोदय के समय माघ शुक्ला सप्तमी प्राप्त हो तो वह एक हजार सूर्यग्रहणों के समान है। यदि अयनारम्भ के दिन प्रयाग का स्नान मिले तो कोटि गुना पुण्य होता है और विषुवयोग में लाख गुने फल की प्राप्ति होती है। षडतीति तथा विष्णुपदी में सहस्त्र गुना पुण्य प्राप्त होता है। अपने वैभव-विस्तार के अनुसार सबको प्रयाग में दान करना चाहिये, इससे तीर्थ का फल बढ़ता है।
जो गंगा और यमुना के संगम पर कन्यादान करता है, वह उस पुण्यकर्म के प्रभाव से कभी भयंकर नरक का दर्शन नहीं करता। प्रयाग-प्रतिष्ठान से लेकर वासुकि नाग के तालाब से आगेतक कम्बल और अश्वतर नामक जो दोनों नाग हैं, वहाँ से बहुमूलक नाग तक का जो भू-भाग है, यही प्रजापति-क्षेत्र है, जो तीनों लोकों में विख्यात है। इस क्षेत्र में जो स्नान करते हैं, वे स्वर्ग में जाते हैं और जो मर जाते हैं, उनका फिर जन्म नहीं होता। सन्मार्ग में स्थित बुद्धिमान् योगी को जो गति प्राप्त होती है, वही गंगा-यमुना के संगम में प्राण त्याग करने वाले को भी मिलती है।
प्रयाग के दक्षिण यमुना-तट पर विख्यात अग्नि तीर्थ है। पश्चिम में धर्मराज तीर्थ है। वहाँ जो स्नान करते हैं, वे स्वर्ग में जाते हैं और जो मरते हैं, उनका फिर संसार में जन्म नहीं होता। यमुना के उत्तर तट पर बहुत-से पाप नाशक तीर्थ हैं, जो बड़े-बड़े मुनीश्वरों से सेवित हैं, उनमें स्नान करने वाले स्वर्ग लोक को जाते हैं और जो मर जाते हैं उनका मोक्ष उनका मोक्ष हो जाता है। गंगा और यमुना दोनों का पुण्यफल एक समान है। केवल जेठी होने से गंगा सर्वत्र पूजी जाती हैं।
*क्रमश:_____*
💠 *विशेष_सभी से करबद्ध 🙏निवेदन है कि कृपया स्वच्छता का पूर्ण ध्यान रखें,पॉलिथीन या कचरा इधर_उधर फेंक कर पाप के भागी न बनें।*🙏
🙏 *ॐ पार्वती पत्ये नमः हर हर महादेव।* 🙏
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बहूनि मे व्यतीतानि जन्मानि तव चार्जुन ।
तान्यहं वेद सर्वाणि न त्वं वेत्थ परन्तप ॥
*सूर्यदेव भगवान जी की जय*
*⛳⚜सनातन धर्मरक्षक समिति⚜⛳*
🙏
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