⛳सनातन धर्मरक्षक समिति⛳
February 9, 2025 at 09:04 AM
*┈┉सनातन धर्म की जय,हिंदू ही सनातनी है┉┈* *लेख क्र.-सधस/२०८१/माघ/शु./१२-१६९६८* *┈┉══════❀((""ॐ""))❀══════┉┈* महत्वकांक्षा चमत्कारिक है। मनुष्य जीवन में इसका बहुत बड़ा प्रभाव है। अगर इसे संतुलन के साथ जीवन शैली में घोल लें, तो करियर में शिखर पर पहुँच सकते है। किंतु इसकी लालसा से मात्रा अधिक हो जाए तब बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है और महाभारत की नींव रख देती है। भारतीय राजनीति में सत्ता सुख वाली महत्वाकांक्षा को एनालिसिस में लेंगे तब पारिवारिक राजनीतिक दलों में उसकी अधिकता स्पष्ट दिखाई देगी। बल्कि व्याकुलता बौखलाहट में सामने आएगी। खैर आज का संदर्भ में सत्ता ही है लेकिन किरदार भिन्न है। इस परिवेश में ऐसे किरदार आते है जिनका कोई स्थिर भाव नहीं होता है और सिर्फ महत्वाकांक्षा ही बैठी होती है। अर्थात् चाटुकारिता से सत्ता सुख में कुछ भागीदारी मिल जाये। यूँ देखें, तो राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता दिन-रात अपनी पार्टी के लिए एक कर लेते है। उन्हें तो परिश्रम के एवज़ में कुछ न कुछ मिलना चाहिए। किंतु कुछ लोग चाटुकारिता में सत्ताधारी नेताओं पर किताबें लिख देते है और उम्मीद करते है कोई न कोई पद मिल जाए, तो मामला सेट है। इसी को दिमाग में रखकर कार्य करते है, उनकी महत्वाकांक्षा सत्ता में पद के लिए होती है। ऐसे ही बुद्धिजीवी लेखक की किताबें पढ़ी थी, उन्होंने पहले लेफ्टी लिखकर भूमिका तैयार की और बाद में बड़े सूबे के मुख्यमंत्री की गाथा लिखी। उन्हें लगा कि इससे कुछ तो मिल जाना है। ऐसी लंबी सूची है। बहुतेरे मिल जाएँगे। लेकिन…लेकिन! कुछ न मिला तो जितना बुद्धि था फिर गया और एकदम उलट प्रवृत्ति हो चली और सनातन का ध्वज उठाकर, उन लोगों को ही गरियाने लगे। जिनकी चाटुकारिता में वर्षों बिता दिए थे। अब भाषा का स्तर बुद्धिजीवी छोड़िये, सामान्य भी नहीं रहा है। क्योंकि जो चाह थी, पूरी नहीं हुई तो जितना भी पॉजिटिव माहौल देखा या बनाया था। सब नेगेटिव शेड के पर्दे लगा डाले है। सबसे कर्रे वाले सनातनी योद्धा बन बैठें। ऐसे लोग न तो कल योद्धा थे न आज है, सिर्फ लालची है। जो मौके के हिसाब से स्वयं को बेच देते है। जानते है वर्तमान दौर में दो बिंदु ऐसे है, इनपर लिखेंगे तो पीछे कुछ लोग आकर खड़े हो जाएँगे। सनातन और राष्ट्रवाद। इन्हें छोड़ कितना भी लिखे दें, कोई न आयेगा। ▬▬▬▬▬▬๑⁂❋⁂๑▬▬▬▬▬▬ *जनजागृति हेतु लेख प्रसारण अवश्य करें* बहूनि मे व्यतीतानि जन्मानि तव चार्जुन । तान्यहं वेद सर्वाणि न त्वं वेत्थ परन्तप ॥ *सूर्यदेव भगवान जी की जय* *⛳⚜सनातन धर्मरक्षक समिति⚜⛳*
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