⛳सनातन धर्मरक्षक समिति⛳
February 10, 2025 at 02:30 AM
*┈┉सनातन धर्म की जय,हिंदू ही सनातनी है┉┈* *लेख क्र.-सधस/२०८१/माघ/शु./१३-१६९७१* *┈┉══════❀((""ॐ""))❀══════┉┈* ⛳🚩🚩🛕 *जय श्रीराम* 🛕🚩🚩⛳ ************************************** 🙏 *श्रीराम – जय राम – जय जय राम* 🙏 ************************ 🌞 *श्रीरामचरितमानस* 🌞 🕉️ *षष्ठ सोपान* 🕉️ ☸️ *लङ्काकाण्ड*☸️ ⛳ *चौपाई १ से ६, दोहा ७२*⛳ *दिन के अंत फिरीं द्वौ अनी।* *समर भई सुभटन्ह श्रम घनी ॥* *राम कृपाँ कपि दल बल बाढ़ा ।* *जिमि तृन पाइ लाग अति डाढ़ा ॥* दिन का अन्त होने पर दोनों सेनाएँ लौट पड़ीं। [आज के युद्ध में] योद्धाओं को बड़ी थकावट हुई; परन्तु श्रीरामजी की कृपा से वानर सेना का बल उसी प्रकार बढ़ गया जैसे घास पाकर अग्नि बहुत बढ़ जाती है ॥ १ ॥ *छीजहिं निसिचर दिनु अरु राती ।* *निज मुख कहें सुकृत जेहि भाँती ॥* *बहु बिलाप दसकंधर करई।* *बंधु सीस पुनि पुनि उर धरई ॥* उधर राक्षस दिन-रात इस प्रकार घटते जा रहे हैं जिस प्रकार अपने ही मुख से कहने पर पुण्य घट जाते हैं। रावण बहुत विलाप कर रहा है। बार-बार भाई (कुम्भकर्ण) का सिर कलेजे से लगाता है ॥ २ ॥ *रोवहिं नारि हृदय हति पानी ।* *तासु तेज बल बिपुल बखानी ॥* *मेघनाद तेहि अवसर आयउ ।* *कहि बहु कथा पिता समुझायउ ॥* स्त्रियाँ उसके बड़े भारी तेज और बल को बखान करके हाथों से छाती पीट-पीटकर रो रही हैं। उसी समय मेघनाद आया और उसने बहुत-सी कथाएँ कहकर पिता को समझाया ॥ ३ ॥ *देखेहु कालि मोरि मनुसाई ।* *अबहिं बहुत का करौं बड़ाई ॥* *इष्टदेव सैं बल रथ पायउँ।* *सो बल तात न तोहि देखायउँ ॥* [और कहा-] कल मेरा पुरुषार्थ देखियेगा। अभी बहुत बड़ाई क्या करूँ ? हे तात ! मैंने अपने इष्टदेव से जो बल और रथ पाया था वह बल [और रथ] अब तक आपको नहीं दिखलाया था ॥ ४॥ *एहि बिधि जल्पत भयउ बिहाना ।* *चहुँ दुआर लागे कपि नाना ॥* *इत कपि भालु काल सम बीरा ।* *उत रजनीचर अति रनधीरा ॥* इस प्रकार डींग मारते हुए सबेरा हो गया। लंका के चारों दरवाजों पर बहुत-से वानर आ डटे। इधर काल के समान वीर वानर-भालू हैं और उधर अत्यन्त रणधीर राक्षस ॥ ५ ॥ *लरहिं सुभट निज निज जय हेतू ।* *बरनि न जाइ समर खगकेतू ॥* दोनों ओर के योद्धा अपनी अपनी जय के लिये लड़ रहे हैं। हे गरुड़ ! उनके युद्ध का वर्णन नहीं किया जा सकता ॥ ६ ॥ *दोहा-७२* *मेघनाद मायामय रथ चढ़ि गयउ अकास ।* *गर्जेउ अट्टहास करि भइ कपि कटकहि त्रास ॥ ७२ ॥* मेघनाद उसी (पूर्वोक्त) मायामय रथ पर चढ़कर आकाशमें चला गया और अट्टहास करके गरजा, जिससे वानरों की सेना में भय छा गया ॥ ७२ ॥ 🙏 *श्रीराम – जय राम – जय जय राम* 🙏🚩⛳ *समिति के सभी संदेश नियमित पढ़ने हेतु निम्न व्हाट्सएप चैनल को फॉलो किजिए ॥🙏🚩⛳* https://whatsapp.com/channel/0029VaHUKkCHLHQSkqRYRH2a ▬▬▬▬▬▬๑⁂❋⁂๑▬▬▬▬▬▬ *जनजागृति हेतु लेख प्रसारण अवश्य करें* अजोऽपि सन्नव्ययात्मा भूतानामीश्वरोऽपि सन्। प्रकृतिं स्वामधिष्ठाय सम्भवाम्यात्ममायया ।। *महाकाल भगवान जी की जय* *⛳⚜सनातन धर्मरक्षक समिति⚜⛳*
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