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January 31, 2025 at 05:04 AM
*भगवान भाव के भूखे हैं!*
*बंगाल में अघोरमणि नाम की एक ब्राह्मणी माई थी*, उसके सास-ससुर, पति सब मर गए । मन में आया कि मेरे कोई नहीं है, मैं अकेली रह गई! निराश हो गई तो भगवान याद आए। तो सोचती क्या यशोदा का लाला मेरा लल्ला नहीं है ? तो *भगवान् कृष्ण को बेटा मान लिया । उसको मन से ही रात्रि में गोदी में सुलाती । उसके पास भगवान की कोई मूर्ति नहीं ,तस्वीर नहीं।* मन से कहती सो जा बेटा - सो जा ! एक दिन *मन में* आया कि भगवान् को भूख लगी है तो वह भगवान् के लिए खिचड़ी बनाने लगी । हवा चल रही थी, खिचड़ी बनने में देर लग रही थी तो उसे मालूम हुआ कि सामने भगवान खड़े हैं और बार-बार रट लगा रहे हैं कि आे मां! भूख लगी है, भूख लगी है। जब खिचड़ी बन गई तो पत्तल रखने लगी , पत्तल हवा में उड़ गई! दोबारा रखी ,वह भी उड़ गई। फिर भगवान बार-बार कहने लगे - मां भूख लगी है- भूख लगी है तो उसने कहा - *अरे! पहले पत्तल तो पकड़ तो देखा छोटे से भगवान पत्तल पकड़े बैठे हैं।*
*श्रीरामकृष्ण परमहंस जी उस माई को कहते थे- गोपाल की मां है, गोपाल की मां ।*
*ऐसे भगवान् में रात- दिन लग जाओ भाई !* उस अघोरमणि माई की तरह । आपको जो प्यारा लगे उसका ध्यान करो । *भगवान् को छोटा भाई बना लो । बेटा बना लो । सखा बना लो । पति बना लो । जो अच्छा लगे वही बना लो । जिसका जहां-जहां भाव है, उसी भाव से लग जाओ ।* रात और दिन लग जाओ । सत्संग की बातें सुनो प्रेम से । पर भाव वो ही हमारे भगवान् की बात कह रहे हैं । रात और दिन तत्परता से लग जाओ ।
रात- दिन भगवान् की *मानसिक सेवा* करो। कपड़ा पहनाओ , भोजन कराओ, सुलाओ । बच्चों में खेलने जाए तो कहना- नजदीक खेलना, *दूर मत जाना । 'हाऊ है, हाऊ '। दूर मत जाना । ये माइयां कहती हैं - 'हाऊ ' है, खा जाएगा । भगवान् कहते हैं - मैंने इतने अवतार ले लिए, पर ' हाऊ ' देखा ही नहीं । पर भाव है, स्नेह करती हैं । 'हाऊ ' खा जाएगा ।*
किसी को पूछने की जरूरत नहीं । कहीं जाने की जरूरत नहीं । अघोरमणि अकेली थी, कोई भी नहीं बचा । सास, ससुर, जेठ- जिठानी कोई नहीं था । तो गोपाल की मां हो गई ।
*ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्।*
*भगवान् कहते हैं -जो जैसे मेरे को भजता है, मैं भी उसको वैसे ही भजता हूं।*
*ठाकुर जी भाव के भूखे हैं ।* जो जैसे मेरे को भजता है, मैं उसको वैसे ही भजता हूं। *कितनी छूट दे दी।* लगे रहो भाई, रामजी से लगे रहो । पालन करो । *प्रेम पूर्वक भोजन करा दो, कपड़ा पहना दो । खिलाओ और खेलो, लग जाओ । भगवान् में किसी तरह से लग जाओ ।* पति रूप की, सखा रूप से, पिता रूप से, पुत्र रूप से तल्लीन हो जाओ । रात और दिन लग जाओ उसी में । जो नाम, संबंध प्यारा लगे, उसी संबंध से लग जाओ । जो कपड़ा प्यारा लगे वह कपड़ा पहनाओ, जो भोजन अच्छा लगे, वह भोजन खिलाओ । *भगवान् में लग जाओ । जो भाव अच्छा लगे, उसी भाव से लग जाओ। बड़ी सरल - सीधी बात है।सब काम ठीक हो जाएगा एकदम!
*🙏 जय जय श्री राधे 🙏*
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