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January 31, 2025 at 05:50 AM
हनुमानजी ने सागर पार कूद कर जाने हेतु युक्ति ढूंढी और सागर के निकट एक ऊंची सुंदर पर्वतमाला देखी, उसकी मजबूती जाँचने के लिए हनुमानजी कूद कर उस पर चढ़ गए व उछल- उछल कर जांचने लगे । हनुमानजी के कूदते ही उनके वेग से मानो पूरी धरती हिल गयी, शेषनागजी ने बड़ी मुश्किल से धरती को संभाला । अब प्रभु श्री राम ने मुस्कुराते हुए अंतरात्मा से हनुमानजी के वेग को, उत्साह को, जोश को नियंत्रित किया ताकि लीला का रूप ही न बदल जाये अन्यथा यदि हनुमानजी के प्रताप से धरा रसातल में चली गयी तो पहले वराह रूप में उसे निकाल कर लाना पड़ जायेगा ।। *राम राम जी*।।
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