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February 4, 2025 at 05:20 PM
13 अखाड़ों के हिन्दू संत अपने नाम के आगे गिरि, पुरी आदि उपनाम क्यों रखते हैं ?
हिन्दू संतों के 13 अखाड़े हैं।
शिव संन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़े,
बैरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़े
और उदासीन संप्रदाय के 3 अखाड़े हैं।
इन्हीं में नाथ, दशनामी आदि होते हैं।
संत अपने नाम के आगे गिरि, पुरी, आचार्य, दास,नाथ आदि उपनाम क्यों लगाते हैं।
1. इस उपनाम से ही यह पता चलता हैं कि वे किस अखाड़े, मठ, मड़ी और किस संत समाज से संबंध रखते हैं।
2. शिव संन्यासी संप्रदाय के अंतर्गत ही दशनामी संप्रदाय जुड़ा हुआ है। ये दशनामी संप्रदाय के नाम :- गिरि,पर्वत, सागर, पुरी, भारती, सारस्वत, वन, अरण्य, तीर्थ और आश्रम।
गोस्वामी समाज के लोग इसी दशनामी संप्रदाय से संबंधित हैं।
इन 7 अखाड़ों में से जूना अखाड़ा इनका खास अखाड़ा है।
3. दशनामी संप्रदाय में शंकराचार्य, महंत, आचार्य और महामंडलेश्वर आदि पद होते हैं।
किसी भी अखाड़े में महामंडलेश्वर का पद सबसे ऊंचा होता है।
4. शंकराचार्य ने चार मठ स्थापित किए थे जो 10 क्षेत्रों में बंटें थे जिनके एक-एक मठाधीश थे।
5. कौन किस कुल से संबंधित है, जानिए...
1.गिरी,
2.पर्वत और
3.सागर।
इनके ऋषि हैं भ्रुगु।
4.पुरी,
5.भारती और
6.सरस्वती।
इनके ऋषि हैं शांडिल्य।
7.वन और
8.अरण्य के ऋषि हैं कश्यप।
6. नागा क्या है : - चार जगहों पर होने वाले कुंभ में नागा
साधु बनने पर उन्हें अलग-अलग नाम दिए जाते हैं।
इलाहाबाद के कुंभ में उपाधि पाने वाले को
1.नागा,उज्जैन में
2.खूनी नागा,हरिद्वार में
3.बर्फानी नागा तथा नासिक में उपाधि पाने वाले को
4.खिचडिया नागा कहा जाता है।
इससे यह पता चल पाता है कि उसे किस कुंभ में नागा बनाया गया है।
शैव पंथ के 7 अखाड़े ही नागा साधु बनते हैं।
7. नागाओं के अखाड़ा पद : - नागा में दीक्षा लेने के बाद साधुओं को उनकी वरीयता के आधार पर पद भी दिए जाते हैं।
कोतवाल, पुजारी, बड़ा कोतवाल,भंडारी, कोठारी, बड़ा कोठारी, महंत और सचिव उनके पद होते हैं। सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण पद महंत का होता है।
8. बैरागी वैष्णव संप्रदाय के अखाड़े में आचार्य, स्वामी, नारायण, दास, आदि उपनाम रखते हैं।
जैसे रामदास, रामानंद आचार्य, स्वामी नारायण आदि।
9. नाथ संप्रदाय के सभी साधुओं के नाम के आगे नाथ लगता है। जैसे गोरखनाथ, मछिंदरनाथ आदि।
10. उनासीन संप्रदाय के संत निरंकारी होते हैं। इनके अखाड़ों की स्थापना गुरु नानकदेव के पुत्र श्रीचंद ने की थी।
इनके संतों में दास, निरंकारी और सिंह अधिक होते हैं।
नोट : संत नाम विशेषण और प्रत्यय : - परमहंस, महर्षि, ऋषि, स्वामी, आचार्य, महंत, नागा, संन्यासी, नाथ और आनंद आदि।
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